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रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट नए पोप चुने गए हैं, अब पोप लियो चौदहवें (XIV) के नाम से जाने जाएंगे

Robert Francis Prevost अमेरिका से पोप बनने वाले पहले Cardinal हैं. उनका जन्म 14 सितंबर, 1955 को Chicago में हुआ था. बचपन में ही उन्होंने चर्च जॉइन कर लिया था. प्रीवोस्ट के पोप चुने से पहले माना जाता था कि किसी अमेरिकी का इस पद पर आना मुश्किल है. लेकिन उन्होंने इसको झुठला दिया है.

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रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट नए पोप चुने गए हैं. (इंडिया टुडे)

वेटिकन सिटी (Vatican City) में 8 मई को सिस्टिन चैपल से सफेद धुआं उठता दिखा. और सेंट पीटर्स की घंटिया बज उठी. ये संकेत था कि रोमन कैथोलिक चर्च के कार्डिनल्स ने अपना नया पोप चुन लिया है. शिकागो में जन्मे रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट (Robert Francis Prevost) नए पोप चुने गए हैं. प्रीवोस्ट को अब पोप लियो चौदहवें (XIV) के नाम से जाना जाएगा.

पोप चुने जाने के बाद अपने पहले भाषण में रॉबर्ट प्रीवोस्ट ने कहा, 

मैं अपने सभी कार्डिनल्स को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे पीटर का उत्तराधिकारी चुना है. हम एक संयुक्त चर्च के रूप में आपके साथ मिलकर हमेशा शांति और न्याय के रास्ते पर चलने की कोशिश करेंगे.

अमेरिका से पोप बनने वाले पहले कार्डिनल

रॉबर्ट प्रीवोस्ट अमेरिका से पोप बनने वाले पहले कार्डिनल हैं. उनका जन्म 14 सितंबर, 1955 को शिकागो में हुआ था. बचपन में ही उन्होंने चर्च जॉइन कर लिया था. उनकी शुरुआती पढ़ाई पैरिश स्कूल और सेमिनरी हाई स्कूल में हुई. फिर विलानोवा यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया. यहां से उन्होंने मैथ्स में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद शिकागो के कैथोलिक थियोलॉजिकल यूनियन से उन्होंने धर्मशास्तर में डिप्लोमा की डिग्री ली. इसके अलावा उन्होंने रोम के सेंट थॉमस एक्विनास यूनिवर्सिटी में कैथोलिक चर्च के कैनन लॉ की स्टडी की.

दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में बीता लंबा वक्त

साल 1980 में रॉबर्ट प्रीवोस्ट पादरी बन गए. इसके दो साल बाद उनको मिशनरी काम के लिए पेरू भेजा गया. इस दक्षिण अमेरिकी देश में उन्होंने लगभग दो दशक तक अपनी सेवाएं दी. फिर साल 1998 में रॉबर्ट प्रीवोस्ट को शिकागो के ऑगस्टीनियन प्रांत की जिम्मेदारी दी गई. जिसके बाद वो देश लौट गए. हालांकि साल 2014 में एक बार फिर उन्हें पेरू भेजा गया. इस बार उन्हें चिकलायो का बिशप बनाकर वहां भेजा गया. 

कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स की रिपोर्ट के अनुसार, वहां रहते हुए उन्होंने 2018 से 2023 तक पेरू बिशप कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और स्थायी परिषद के सदस्य के तौर पर काम किया. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पेरू के राजनीतिक संकट के दौरान स्थिरता बहाल करने में अहम भूमिका निभाई.

साल 2023 में प्रीवोस्ट को दिवंगत पोप फ्रांसिस ने बिशपों के डिकास्टरी का प्रीफेक्ट नियुक्त किया. यह बिशपों का चयन करने वाली एक संस्था है. इसी साल वो लैटिन अमेरिका के पोंटिफिकल कमीशन के अध्यक्ष बने. और उन्हें कार्डिनल बनाया गया.  (रोमन कैथोलिक चर्च के सीनियर मोस्ट पादरियों को कार्डिनल कहा जाता है.)

आरोप भी लगे हैं 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में प्रीवोस्ट पर पेरू और अमेरिका में पादरियों के यौन शोषण से जुड़े मामलों को लेकर कई आरोप लगे हैं. उन पर इन मामलों को ठीक से हैंडल नहीं करने और कोई एक्शन नहीं लेने के आरोप लगे हैं.

डार्क हॉर्स कैंडिडेट 

द इंडिपेंडेंट के मुताबिक, प्रीवोस्ट एक लो प्रोफाइल कैंडिडेट थे. पिछले साल फरवरी में कार्डिनल-बिशप बनाए जाने के बाद वो चर्चा में आए थे. प्रीवोस्ट के पोप चुने से पहले माना जाता था कि किसी अमेरिकी का इस पद पर आना मुश्किल है. लेकिन उन्होंने इसको झुठला दिया है.

रॉबर्ट प्रीवोस्ट को बेहद संयमित और तार्किक इंसान के तौर पर देखा जाता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की मानें तो पोप के तौर पर उनकी कार्यशैली दिवंगत पोप फ्रांसिस से अलग होगी. उनके सपोटर्स का मानना है कि वो फ्रांसिस द्वारा शुरू की गई परामर्श प्रक्रिया को जारी रखेंगे. जिसके जरिए आम लोगों को बिशप से मिलने के लिए आमंत्रित किया जाता है.

ये भी पढ़ें - कौन होते हैं कार्डिनल? नया पोप चुनने में उनकी क्या भूमिका होती है?

पोप लियो XIV के चयन में कितना समय लगा?

पैप्पल कॉन्कलेव ने दो दिन में पोप का चयन कर लिया. साल 1990 के बाद से ये पांचवां मौका है जब दो दिन में पोप चुन लिए गए हैं. सबसे लंबा कॉन्कलेव साल 1922 में हुआ था. जब पोप चुनने में पांच दिन लगे थे. इस दौरान 14 बैलेट्स यूज हुए थे.

सबसे छोटा कॉन्कलेव साल 1939 में हुआ था. जब पोप पायस XII को पोप चुना गया था. उनको एक दिन में ही पोप चुन लिया गया था. लेकिन हमेशा पोप का चयन इतनी जल्दी या आसानी से नहीं होता.  1 सितंबर, 1271 को पोप ग्रेगरी X को पोप चुना गया था. उनका चुनाव दो साल, नौ महीने और दो दिन तक चला था.

पैपल कॉनक्लेव के जरिए चुने जाते हैं पोप

पोप की मौत के बाद अगले पोप के दावेदारों के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं होती है. नए पोप के चयन की प्रक्रिया को पैपल कॉन्क्लेव कहा जाता है. जब पोप की मौत हो जाती है. या वो इस्तीफा दे देते हैं, तब रोमन कैथोलिक चर्च के कार्डिनल्स नया पोप चुनते हैं. 

कार्डिनल्स कैथोलिक चर्च के सीनियर मोस्ट पादरियों का ग्रुप होता है. इनको कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स के नाम से जाना जाता है. अभी कैथोलिक चर्च में 252 कार्डिनल्स है. लेकिन 80 साल के कम उम्र के कार्डिनल्स ही पोप के चुनाव में वोट डाल सकते हैं. अभी 135 कार्डिनल 80 साल से कम उम्र के हैं. ये संख्या चर्च के अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा है. इनमें से 80 फीसदी लोगों को पोप फ्रांसिस ने नियुक्त किया था.

इनका काम पोप को सलाह देना होता है. हर बार इन्हीं कार्डिनल्स में से किसी को पोप चुन लिया जाता है. पोप चुने जाने के लिए कार्डिनल होना जरूरी नहीं है. लेकिन अब तक जितने पोप बने हैं, सब कार्डिनल रह चुके हैं.

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