भोपाल का एक घर. 13 साल का शादाब सोया हुआ था. जब अचानक बगल के कमरे से मां के खांसने की आवाज आई. शादाब की समझ में कुछ नहीं आया. लेकिन मां समझ गई थी. ज़हर की चादर शहर को अपने आगोश में ले रही थी. पूरा भोपाल जल्द ही शमशान में तब्दील होने वाला था. शादाब की मां ने शादाब और उसके तीन भाइयों को उठाया और घर से भाग निकली. परिवार की जान बच गई. उस रात उनके साथ और सैकड़ों लोग थे जो जान बचाने के लिए भागे. जान बचाने के लिए भागना लाजमी सी बात है. आम आदमी यही करेगा. लेकिन फिर कुछ लोग होते हैं जो आम नहीं होते. मौत को सामने देखकर अपनी नहीं औरों की सोचते हैं. इनमें से एक शादाब के पिता भी थे. और उनके साथी जो उस रात किसी हीरो से कम नहीं थे. ये कहानी भोपाल गैस त्रासदी की. देखें वीडियो.