18 जून 2025 की बात है. केंद्र सरकार एक आर्कियोलॉजिस्ट के ट्रांसफर का आदेश जारी करती है. किसी भी सरकार के लिए ये निहायत रोज़मर्रा का काम है. लेकिन आर्कियोलॉजिस्ट का ये तबादला तुरंत हेडलाइन बन गया. क्योंकि ये आर्कियोलॉजिस्ट के. अमरनाथ रामकृष्ण के 21 साल के करिअर का 12वां तबादला था. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया एंटिक्विटी के डायरेक्टर पद से ट्रांसफर कर उन्हें नेशनल मिशन ऑन मॉन्यूमेंट एंड एंटिक्विटीज़ का डायरेक्टर पद दे दिया गया. कुछ जानकारों ने इस तबादले की कुछ ऐसे व्याख्या की, कि ये उन्हें पुरातात्विक खुदाइयों की मुख्यधारा से हटाने की कोशिश है. क्या वाकई ऐसा था? और अगर हां तो क्यों?जवाब में सामने आता है एक नाम- कीलाडी. तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले में वैगई नदी के किनारे बसा ये एक गांव हैं. यही कीलाडी फिलहाल उत्तर वर्सेस दक्षिण, आर्य वर्सेस द्रविड़ की सदियों पुरानी लड़ाई का नया केंद्र बना हुआ है. क्या है कीलाडी की कहानी और कैसे ये सदियों पुरानी डिबेट्स का और आज की सरकारी लड़ाइयों का केंद्र बना हुआ है. जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.
तारीख: कहानी Keeladi की जिसकी वजह से आर्य बनाम द्रविड़ की बहस शुरू हुई
केंद्र ने अमरनाथ रामकृष्ण की जगह इस प्रोजेक्ट के लीड के तौर पर किसी को भी अपॉइंट नहीं किया. 2017 में साइट पर खुदाई का कोई नया फेज शुरू नहीं हुआ. जाने से पहले के अमरनाथ रामकृष्ण ने जो रिपोर्ट तैयार की थी ASI ने उसे भी पब्लिश नहीं किया.
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