हमारे यहां के पॉपुलर कल्चर में रजनीकांत को लेकर जिस पैमाने के जोक बने हैं, वैसे विश्व इतिहास के किसी दिग्गज को लेकर नहीं बने. यहां तक कि इतने सारे धर्म हैं संसार में, इन्हें पैदा करने वाले भगवानों में भी इतनी शक्तियां नहीं हैं जितनी रजनीकांत को उनके फैंस ने उनके चुटकुलों में दे रखी हैं. उपरोक्त 8 नमूनों में ये पाएंगे.1. एक बार डायनोसॉरों ने रजनीकांत से कुछ रुपये उधार लिए और वापस देने से मना कर दिया. फिर? फिर क्या था? वह आखिरी बार था जब डायनोसॉरों को धरती पर देखा गया.
2. एक बार एक बच्चे ने खेलते-खेलते बर्फ का एक ढेला बना दिया. आज सारा संसार उसे हिमालय के नाम से जानता है. वह बच्चा था- रजनीकांत.
3. रजनीकांत सांस नहीं लेता, सांस रजनीकांत को लेती है.
4. एक दिन रजनीकांत नींद से जागे और सोचा, उन्हें अपने ज्ञान का एक परसेंट हिस्सा वर्ल्ड के साथ शेयर करना चाहिए. बस, उसी दिन गूगल का जन्म हुआ.5. कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध चल रहा था. तभी दुर्योधन की नज़र पांडवों के पीछे गई. वहां एक आदमी खड़ा था. दुर्योधन बोला: चल यार युधिष्ठिर बाय, हमें नहीं लड़ना तेरे साथ. युधिष्ठिर ने कहा: क्यों, क्या हुआ? दुर्योधन बोला: नहीं भाई बस. बाय. तू हस्तिनापुर भी ले ले और द्रौपदी भाभी से हम खुद जाकर सॉरी कह देंगे. हमने नहीं लड़ना तेरे साथ. तू खुश रह. युधिष्ठिर ने कहा: अबे रुक तो सही? बता तो सही हुआ क्या? दुर्योधन बोला: रहने दे यार. ज़रा सी बात थी और तूने रजनीकांत को बुला लिया.
6. एक बार रजनीकांत कौन बनेगा करोड़पति में हॉट सीट पर बैठा. उस दिन सवाल सलेक्ट करने के लिए कंप्यूटर को लाइफलाइन लेनी पड़ी.
7. एक बार बास्केटबॉल लैजेंड माइकल जॉर्डन ने रजनीकांत से कहा, मैं ये बॉल अपनी अंगुलियों पर दो घंटे घुमा सकता हूं. तुम कर लोगे ऐसा? महान रजनीकांत बोले, तुम्हे क्या लगता है? ये धरती कैसे घूमती है?
8. कुछ दिनों पहले चीन का एयरपोर्ट कोहरे की वजह से बंद था. बाद में पता चला रजनीकांत भारत में सिगरेट पी रहा था!
हमारी फिल्मों में, खासकर तमिल सिनेमा में भी उनका रुतबा वैसा ही है. वहां उनके नाम मात्र से रौंगटे खड़े हो जाते हैं. फिल्म रिलीज से पहले उनके कई मीटर ऊंचे विशाल कटआउट्स को दूध से नहलाया जाता है. मालाएं पहनाई जाती हैं. साउथ में वो शुक्रवार एक त्योहार होता है. वे 65 बरस के हो चले हैं लेकिन भारतीय सिनेमा के सबसे बूढ़े एक्टर हैं जो अपनी उम्र से आधी या चौथाई की हीरोइनों के साथ काम करते हैं. पिछली फिल्मों में ऐश्वर्या राय बच्चन, सोनाक्षी सिन्हा और अनुष्का शेट्टी से उन्होंने रोमांस किया.
लेकिन पिछले कुछ समय से रजनी की कुंडली ठीक नहीं चल रही.
रजनी बाबू की पिछली दो फिल्में कोच्चडैयान और लिंगा जो क्रमशः 125 करोड़ और 80 करोड़ में बनी थीं, फ्लॉप हो गईं. इन फिल्मों का न चलना ऐसी परिघटना थी जिस पर यकीन करना मुश्किल था. लेकिन इससे ये स्पष्ट हो गया कि रजनी जिंदगी भर पुराने ढर्रों पर नहीं चल सकते और लोग ये ढर्रे नहीं देखेंगे. यही कारण है कि उन्होंने पा. रंजिथ नाम के कल के छोकरे को पकड़ा. उन्हें इस लौंडे निर्देशक की ताज़ा नजर और अप्रोच की गरज महसूस हुई.
इसी नए निर्देशक ने उन्हें हीरो लेकर तमिल फिल्म कबाली बनाई जो आज 22 जुलाई को लग रही है. इसमें रजनी का अंदाज अलग है. नजर आता है कि निर्देशक ने अड़े रहकर उनसे अभिनय करवाया है.
तो ये पा. रंजिथ कौन है?
वे तमिल फिल्मों के निर्देशक हैं. अब तक दो ही फिल्में डायरेक्ट की हैं. बड़े सितारों को लेकर नहीं बनाई. नए चेहरों को लेकर बनाई लेकिन कथ्य, सिनेमाई व्याकरण और मनोरंजन इतना आला दर्जे का था कि जादू था. उनकी पहली फिल्म अट्टाकथी 2012 में प्रदर्शित हुई. ये एक रोमैंटिक कॉमेडी थी. इसमें दिनेश रवि जिनकी दो और फिल्में कुकू
(2014) और विसारनाई
(2015) को देखें तो अंदाजा हो जाएगा कि अच्छे अभिनेताओं की आपकी लिस्ट कितनी खाली-खाली थी.
https://www.youtube.com/watch?v=ahmdb6yKfaU
खैर, रंजिथ की दूसरी फिल्म थी मद्रास जो 2014 में आई. ये एक रोमांटिक, पोलिटिकल, एक्शन ड्रामा थी. इसका ट्रीटमेंट भी ऐसा था कि तमिल सिनेमा के प्रशंसकों को बहुत आनंद मिला.
https://www.youtube.com/watch?v=4wBsmjHc62g
हुआ ये था कि रजनीकांत की बेटी सौंदर्या (जिन्होंने अपने अप्पा को कोच्चडैयान की डायरेक्ट किया था) रंजिथ की दोस्त हैं. उन्होंने फोन किया और कहा कि रजनी सर तुमसे मिलना चाहते हैं. रजनी ने रंजिथ की मद्रास दो बार देखी थी. बहुत पसंद किया और रंजिथ से कहा कि वे उन्हें एक फिल्म में डायरेक्ट करें.
रंजिथ ने रजनीकांत को दो स्क्रिप्ट के विकल्प दिए थे. इनमें से एक थी एक साइंस-फिक्शन सुपरनेचुरल कहानी जिसे रजनी ने मना कर दिया. उन्होंने इसके ऊपर मलेशियन डॉन वाली कहानी चुनी.
ये कहानी मलेशिया में घटती है. तमिल भाषी लोगों से बुरा बर्ताव हो रहा होता है यहां. नस्लभेद. तभी रजनी के पात्र कबालीश्वरन की एंट्री होती है. वो उनके अधिकारों के खिलाफ लड़ते हुए नेल्सन मंडेला की तरह कई साल जेल में गुजारता है. बाहर आने के बाद वो सामान्य जीवन जीने लगता है. फिर हालात ऐसे होते हैं कि वो गैंगस्टर बन जाता है. तमिलों का नेता बन जाता है और उनकी बेहतरी के लिए काम करता है.

फिल्म के एक दृश्य में रजनीकांत और राधिका आप्टे.
शूटिंग के दौरान रजनी ने रंजिथ को कहा कि वे एक्टर बिलकुल भी नहीं हैं. लेकिन ये भी माना कि इस फिल्म में उनके घिसे-पिटे टोटके नहीं रखे गए थे.
कबाली का अर्थ तमिल में गुंडों जैसे बर्ताव से होता है. लेकिन इस फिल्म में पा रंजिथ ने इस शब्द को सकारात्मक अर्थ देने की कोशिश की है.
करीब 25 साल बाद कोई ऐसी फिल्म आ रही है जिसमें रजनीकांत डॉन के रोल में नजर आ रहे हैं.

पा. रंजिथ और रजनीकांत.
रंजिथ के मुताबिक ये किसी सुपरस्टार की फिल्म नहीं है और ये फर्क बता देना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा है, "पहले सौंदर्या रजनीकांत ने मुझे कहा था कि अच्छा होगा अगर मैं फिल्म में कुछ कॉमेडी डाल दूं क्योंकि रजनी सर को लग रहा है कि स्क्रिप्ट बहुत रॉ और ठोस है. मैंने स्पष्ट मना कर दिया. ये बड़े जोखिम वाला कदम था. लेकिन मैंने ऐसा किया क्योंकि मैं स्क्रिप्ट के साथ ईमानदार होना चाहता था. मुझे डायरेक्टर के तौर पर ये पद दिया गया है और रजनीकांत जैसे सुपरस्टार की फिल्म का डायरेक्टर हूं तो किसी कारण से ही हूं. मैं यहां कुछ बदलाव रच सकता हूं और मैं समझौता करने को तैयार नहीं हूं."
पिछली फ्लॉप फिल्मों के बाद रजनीकांत की कबाली कैसा प्रदर्शन करती है, इसी पर उनका आगे का करियर निर्भर करेगा. क्योंकि तमिल सिनेमा तेजी से बदल रहा है और चाहे वो रजनी हों या कोई और. सदा शीर्ष पर नहीं रहा जा सकता. कभी न कभी किसी के लिए गद्दी खाली करनी ही पड़ती है. वैसे पहले दिन के अब तक के नतीजे सकारात्मक ही हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=9mdJV5-eias