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जब मैंने दफ्तर जाते हुए गैंगस्टर बलराज भाटी का एनकाउंटर देखा

नोएडा में दिनदहाड़े हुए एक एनकाउंटर का आंखों देखा बयान.

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प्रतीक फोटो. योगी के आने के बाद यूपी में लगातार एनकाउंटर हुए हैं. (फोटोः पीटीआई)
सीएम बनते ही योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों को चेतावनी दी थी कि या तो अपराध छोड़ दें या यूपी छोड़ दें. और दोनों ना छोड़ने पर एनकाउंटर के लिए तैयार रहें. इसके बाद से ही प्रदेश में एनकाउंटर राज शुरू हो गया. लगातार हो रहीं इन मुठभेड़ों पर सवाल भी उठ रहे हैं और इन्हें राजनीति से प्रेरित भी बताया जा रहा है. 23 अप्रैल को यूपी पुलिस और गुड़गांव पुलिस ने संयुक्त एनकाउंटर कर नोएडा में गैंगस्टर बलराज भाटी को मार दिया. इस एनकाउंटर को लाइव देखने वाली पत्रकार यशी सिंह ने अंग्रेज़ी वेबसाइट डेलीओ पर इसके बारे में लिखा. वेबसाइट की इजाज़त के साथ हम इस लेख का हिंदी अनुवाद आपको पढ़ा रहे हैं.
23 अप्रैल को अपने काम पर जाते हुए मैं एक एनकाउंटर की गवाह बनी. सुबह के करीबन 11.30 बजे मैं घर पर अपने फोन को घूरते हुए कुढ़ रही थी. कैब आने में चार मिनट के वेटिंग टाइम से कहीं ज्यादा समय लगा रही थी. आखिरकार जब कैब आई, तो मेरे ओटीपी (जो ओला कैब में जरूरी है) बताने से पहले ही ड्राइवर बोल पड़ा,
''बरौला बत्ती पर ढेर सारी पुलिस खड़ी है. एनकाउंटर होने वाला है. क्या आप अब भी वहां से जाना चाहेंगी?''
मैं कंफ्यूज़ थी, लेट भी हो रही थी. मैंने सोचा कि एक व्यस्त सड़क पर 'एनकाउंटर' नहीं हो सकता है. पुलिस किसी और कारण से आई होगी. इसलिए मैंने कैब ड्राइवर से कह दिया कि हम जा सकते हैं. जैसे ही हम आगे बढ़ने लगे, ड्राइवर ने एक बार फिर मुझे भारी पुलिस इंतजाम के बारे में चेताया और कहा कि उसने सुना है कि वहां कोई बड़ा गैंगस्टर अपने साथियों के साथ आया है. अब पुलिस उसे पकड़कर मारने आई है. बरौला बत्ती (ट्रैफिक लाइट) नोएडा सेक्टर 49 में है. यहां से दो लेन की एक सड़क जाती है, जिसके एक तरफ ढाबे और दुकानें हैं और दूसरी तरफ घर. मैं अभी भी ड्राइवर (वो अपना नाम स्टोरी में नहीं आने देना चाहता) को सीरियसली नहीं ले रही थी. पर जब हम मेन रोड पर पहुंचे तो मैंने देखा कि पुलिस की एक गाड़ी भी उसी तरफ जा रही थी, जहां हम. बरौला बत्ती पर भीड़ जुट गई थी. सड़क की दूसरी तरफ, जहां मेरी कैब फंसी हुई थी बीकानेर स्वीट्स नाम से एक दुकान है. वहां पर भारी पुलिस इंतजाम और पुलिस की दो गाड़ियां देखकर मुझे फिक्र होने लगी कि मैं काम के लिए लेट हो जाउंगी. वहां मौजूद हर किसी का ध्यान बीकानेर स्वीट्स पर टिका हुआ था. अचानक, वहां हो-हल्ला हुआ, कोई दौड़ा, तीन गोलियां चलीं और कोई नीचे गिर गया.

Retweeted Piyush Rai (@PiyushRaiTOI):

Big one! Dreaded Gangster Balraj Bhati, undoubtedly among Top 10 criminals in UP, was killed in an encounter in PS Sector 49 Noida by STF UP. He was a rewarded criminal of Sundar Bhati Gang, wanted in several heinous cases. @UPpolice मैं नहीं देख पाई कि गोली किसने चलाई और गिरा कौन. मुझे अपनी आंखो-देखी पर भरोसा नहीं हो रहा था. ओला का ड्राइवर एक सज्जन आदमी था. वो ''मैंने तो पहले ही कहा था'' कहने से बचा. उसने पूछा, कि क्या मैं ठीक हूं?
''पर वो ऐसे किसी को नहीं मार सकते''
मैं बुदबुदाई,
''क्या कोई जानता है कौन मरा? क्या हमको एंबुलेंस नहीं बुलानी चाहिए?''
कैब ड्राइवर ने कहा, वो अपराधी थे. पुलिस अपना काम कर रही है. उतने में भीड़ में से किसी ने कहा, 'मर गया, मर गया'. मैंने घबराहट में चारों ओर देखा. यह देखकर मैं हैरान रह गई कि आस-पास के लोग कैसे बेफिक्र बने हुए थे. आस-पास के लोग अपने घरों के बरामदों में आ गए थे. मैंने एक आदमी को साथ वाले से कहते हुए सुना,
''पुलिस वाले ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर इस्तेमाल नहीं की. ये अलग गन थी, जैसी सिक्योरिटी गार्ड्स के पास होती है.''
एक दूसरा आदमी बोला,
''यहां पर 15 गैंगस्टर हैं. दो मारे गए हैं और वो बचे 13 को भी मारने वाले हैं.''

The encounter in which inter state gangster Balraj Bhati was gunned down in Noida. pic.twitter.com/9szcOta5IC

मैंने यह देखने के लिए अपनी गर्दन घुमाई कि क्या वो आदमी मर गया? लेकिन सड़क पर लगी डिवाइडर-रेलिंग और वहां मौजूद लोगों के हुजूम में कुछ समझ नहीं आया. 'एनकाउंटर' साइट पर नज़र आ रही गतिविधियां आश्चर्यजनक रूप से सामान्य थी. कैब ड्राइवर धीरे-धीरे भीड़ में रास्ता बनाते हुए गाड़ी आगे बढ़ाता रहा. फिर जैसे ही गाड़ी दाएं मुड़ी, सबकुछ एकदम से सामान्य हो गया. सड़क वैसे ही नज़र आने लगी जैसे मैं उसे रोज़ काम पर जाते देखने की आदी थी, ठीक-ठाक आवाजाही और किनारे खड़े पेड़. मेरा ड्राइवर लगातार मुझसे पूछता रहा कि क्या मैं ठीक हूं. मैंने भी पूछा क्या वो ठीक है?
''मर्डर बड़ा गंदा धंधा है''
ड्राइवर ने कहा,
''पर एनकाउंटर भी जरूरी हैं.''
मुझे ऑफिस छोड़ते हुए कैब ड्राइवर बोला कि सरकार बस छोटी मछलियों के पीछे पड़ी है. उन बड़े गुंडों के पीछे नहीं, जो जेल के अंदर से ही मंत्रियों तक की हत्या करवा देते हैं. मेरे ऑफिस में लगभग हर दीवार पर टीवी स्क्रीन हैं. उनपर जो पहली चीज़ मैंने देखी, वो था स्क्रीन के नीचे चल रहा टिकर (जिस पट्टी पर खबरें चलती रहती हैं) - 'दो लाख का इनामी बदमाश ढेर.' ट्विटर पर भी यही सब चल रहा था. जिस आदमी को मैंने थोड़ी ही देर पहले मरते हुए देखा था, वो कोई और नहीं, खतरनाक गैंगस्टर बलराज भाटी था. उसपर यूपी पुलिस, दिल्ली पुलिस और गुड़गांव पुलिस ने इनाम रखा हुआ था. इस एनकाउंटर में यूपी पुलिस और गुड़गांव पुलिस दोनों शामिल थीं. भाटी पर अपहरण, मर्डर और गैंगवार के आरोप थे. वो एक सुपारी किलर भी था. वह गैंगस्टर सुंदर भाटी का राइट हैंड कहलाता था. सुंदर के जेल जाने के बाद से उसका सारा काम बलराज भाटी देखता था. वो बुलंदशहर का रहने वाला था, और ऐसा कहा जाता है कि किसी समय वो पुलिस में था. एक मर्डर में शामिल होने की वजह से उसको नौकरी से हाथ धोना पड़ा. जेल में उसकी मुलाकात सुंदर से हुई, जिसने उसे ट्रेनिंग दी.  अब मैं ये भी जान गई हूं कि जिस आदमी को मैंने गिरते देखा, वो भाटी नहीं था. वो एक तमाशबीन था. बताया जाता है कि भाटी रेस्त्रां के किचन में घुस गया था और वहीं उसे गोली मार दी गई. गुड़गांव पुलिस के मुताबिक दो कांस्टेबल, एक सात साल की बच्ची और एक आम नागरिक 'अपराधियों की फायरिंग' में घायल हुए थे. पुलिस इस एनकाउंटर को अपनी बड़ी सफलता के रूप में दिखा रही है. हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश से लगातार पुलिस एनकाउंटर की खबरें आ रही हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 20 मार्च, 2017 से 31 जनवरी, 2018 तक राज्य में 1,144 एनकाउंटर हो चुके हैं. इनमें 34 अपराधी मारे जा चुके हैं और 2,744 गिरफ्तार किए गए हैं. कुछ दिन पहले एक पुलिस अफसर को सस्पेंड कर दिया गया था क्योंकि उसका एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें वो एक गैंगस्टर को उसके ही एनकाउंटर की योजना लीक कर रहा था. एनकाउंटर मैनेज करने के लिए पुलिस वाले ने दो बीजेपी नेताओं के नाम भी सुझाए थे. इन नेताओं के नाम थे - झांसी से भाजपा विधायक राजीव सिंह पारीछा और बीजेपी जिलाध्यक्ष संजय दुबे. ओला कैब के ड्राइवर ने आखिर में जो बात कही, वो इस पूरे वाकये में निहित विडंबना को सबसे अच्छे से बयान करती है. उसने कहा,
''बताइए मैडम, मर्डर रोकने के लिए मर्डर करना पड़ता है.''

ये अनुवाद ऋषभ ने किया है.


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