2001 का साल. लोहे की मोटी प्लेट पर एक तीखी रौशनी की धार पड़ती है और... छेद हो जाता है! DRDO की यूनिट LASTEC (Laser Science & Technology Centre) पहली बार 100 किलोवॉट लेज़र बीम तैयार करती है. ये दिन था, जब भारत ने तय कर लिया था कि जंगों का भविष्य होगा ‘लाइट वॉरफेयर’.
भारत बना रहा ऐसा हथियार जो दिखेगा नहीं, लेकिन दुश्मन को मिटा देगा! नाम है Directed Energy Weapon
India's Future Weapons: भारत अब जंग के मैदान में धमाके नहीं, रोशनी की धार से वार करेगा! जानिए कैसे Directed Energy Weapons (DEW) बिना गोली चलाए, दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल और सैटेलाइट को हवा में ही खाक कर सकते हैं. DURGA-II, ADITYA, KALI जैसे गुप्त हथियारों की पूरी जानकारी, सिर्फ यहां...

आज 2025 में, भारत कम से कम 5 हाई-टेक प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है जो दुश्मन की मिसाइलों, ड्रोन, और यहां तक कि सैटेलाइट तक को हवा में ही भस्म कर सकते हैं-बिना गोली चलाए, बिना धमाका किए.
1. DURGA-II – जब नाम से ही डर लगे!“Directionally Unrestricted Ray-Gun Array” यानी DURGA-II . DRDO की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक उसका ये सबसे बड़ा और सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. इसका लक्ष्य है 100 किलोवॉट की हाई एनर्जी लेज़र जो दुश्मन के फाइटर जेट, मिसाइल या ड्रोन को 7 किलोमीटर दूर से ही खाक कर दे.
- 2022 में पहला डेमो ट्रायल हुआ, जिसमें प्रोटोटाइप ने 2.5 किमी रेंज में टारगेट लॉक किया.
- 2025 तक इंडक्शन की उम्मीद, Phase-1 में 20 यूनिट्स तैयार की जा रही हैं.
खासियत:
अब बात इस हथियार की खूबियों की. यूं तो कई बातें हैं, मगर खास है ये दो विशेषताएं-
- एक शॉट की लागत सिर्फ 500 रुपये से भी कम
- दुश्मन के रडार को भी ब्लाइंड कर सकता है
“Aditya” यानी वो लेज़र सिस्टम जो तेज़ रोशनी से भी ज़्यादा तेज़ काम करे! ट्रक पर माउंटेड यह DEW सिस्टम है 20 किलोवॉट का, जो भीड़ नियंत्रण से लेकर कम दूरी के ड्रोन तक को सेकेंडों में रोक सकता है. इसे खासतौर पर LAC जैसे इलाकों के लिए तैयार किया गया है. अगर दो पॉइंट में इस हथियार को बयां करें तो कुछ इस तरह होगा-
- प्रोटोटाइप ट्रायल सफल
- मोबाइल और कम लागत वाला सिस्टम

खासियत:
अब लगे हाथों इस हथियार की खूबियां भी जान लेते हैं, रक्षा क्षेत्र के जाने माने पोर्टल DefenceXP के मुताबिक,
- रिमोट-ऑपरेटेड, किसी भी टेरिन में इस्तेमाल संभव
- लॉजिक: रोकथाम और कंट्रोल में इस्तेमाल होने वाला सबसे सस्ता DEW
“Kilo Ampere Linear Injector” – एक ऐसा हथियार जो दिखता नहीं, पर असर छोड़ जाता है. BARC और DRDO का जॉइंट प्रोजेक्ट, KALI दुश्मन के सैटेलाइट या एयरबोर्न सिस्टम को हाई-फ्रीक्वेंसी माइक्रोवेव से ‘शॉक’ करता है. डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक KALI-5000 के कई वेरिएंट विकसित किए जा रहे हैं. इसका मुख्य लक्ष्य है ‘Electronic Kill’ यानी दुश्मन की मशीनें चलने लायक न रहें.
खासियत:
और बात इस हथियार की दो बड़ी खूबियों की. जो कि ये रहीं-
- बिना किसी विस्फोट के दुश्मन के सिस्टम को निष्क्रिय करना
- एंटी-सैटेलाइट और एंटी-ड्रोन ऑपरेशंस के लिए आदर्श
“सहस्त्र शक्ति यानी हजारों किरणों की मार, और सूर्य यानी उसकी अल्टीमेट फॉर्म”. जहां Sahastra Shakti एक 30 किलोवॉट लेज़र सिस्टम है, वहीं इसे स्केल करके Surya System को 300 किलोवॉट की शक्ति देने की तैयारी है. डिफेंस थिंकटैंक सिपरी के मुताबिक 2027–28 तक इन हथियारों के फुल स्केल टेस्टिंग का लक्ष्य है. ये हथियार हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक थ्रेट्स को रोकने में सक्षम होंगे.
खासियत:
बात दो बड़ी खूबियों की, तो वो कुछ इस तरह से हैं,
- भारत का सबसे पावरफुल लेज़र सिस्टम बनने की दिशा में
- नेवी और एयरफोर्स दोनों के लिए डिजाइन किया जा रहा है

BEL और Tonbo Imaging - टैक्टिकल DEW का कमाल
कभी-कभी छोटी चीजें बड़ा धमाका करती हैं…BEL ने 2kW dazzler DEW बनाए हैं जो वर्तमान में LAC और एयरबेस पर तैनात हैं. वहीं Tonbo Imaging का "Wavestrike" सिस्टम माइक्रोवेव आधारित है और ग्राउंड तथा एयरबोर्न प्लेटफॉर्म से फायर हो सकता है.
खासियत:
Indian Defence News के मुताबिक इस हथियार की दो बड़ी खूबियां ये रहीं-
- थ्रेट डिटेक्शन से लेकर इन्फ्रारेड ब्लाइंडिंग तक की क्षमता
- लाइटवेट और मॉड्यूलर डिज़ाइन – किसी भी वाहन पर इंस्टॉल किया जा सकता है

पैरामीटर | लेज़र (DEW) | पारंपरिक हथियार |
गति | प्रकाश की गति | सुपरसोनिक |
लागत प्रति शॉट | 500 रुपये से कम | 5 लाख रुपये से ज्यादा |
लॉजिस्टिक्स | केवल ऊर्जा की जरूरत | गोला-बारूद और ट्रांसपोर्ट |
सटीकता | अत्यधिक | collateral damage संभव |
इस हथियार की जरूरत भारत को क्यों है? इस सवाल के एक नहीं, तीन-तीन जवाब हैं,
- चीन पहले से ही 100kW DEW विकसित कर चुका है.
- ड्रोन स्वार्म अटैक रोकने के लिए एकमात्र सस्ता और सटीक विकल्प
- साइलेंट ऑपरेशन: सीमाओं पर बिना आवाज़ किए जवाब देना संभव
डायरेक्ट एनर्जी वेपन की राह में कांटे भी कम नहीं हैं. वैसे तो चुनौतियां बहुत सारी है, मगर खास मुश्किलें कुछ इस तरह से हैं.
- बादल, धूल और मौसम DEW की प्रभावशीलता कम कर सकते हैं
- लगातार हाई एनर्जी सप्लाई और कूलिंग सिस्टम की जरूरत
- रडार, AI, और ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम का कॉर्डिनेशन ज़रूरी

DEW को लेकर दूसरा अहम सवाल ये है कि आगे क्या होगा? इस सवाल के भी तीन जवाब हैं-
- 2027 तक DURGA-II को भारत के एयरबेस और सीमाओं पर तैनात किया जा सकता है
- P-17A नेवल फ्रिगेट और LCA Tejas में DEW को इंटीग्रेट करने की योजना
- भारत की स्पेस डिफेंस क्षमता में भी DEW एक गुप्त हथियार बनने वाला है
भूल जाइए बम, बंदूक, और बारूद की गर्जना को. अब जंग लड़ी जाएगी ‘सन्नाटे’ से, लेकिन असर ऐसा कि दुश्मन का सिस्टम ही रुक जाए.
भारत की यह Directed Energy Revolution न सिर्फ हमारी रक्षा नीति बदल देगा, बल्कि दुनिया को यह संदेश देगा-हमारे पास ‘लाइट’ है, लेकिन सिर्फ रोशनी के लिए नहीं, जवाब के लिए भी.
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