
एडमंड हिलेरी और तेनज़िंग नॉर्गे, एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के बाद
बात जब एवरेस्ट फ़तेह करने की आती है तो दिमाग में एक बात ज़रूर आती है. सबूत क्या है? किसे मालूम है कि आप एवरेस्ट के टॉप से वापस आये हैं? क्यूंकि वहां कोई रहता तो है नहीं. ऐसे में आप खींचीं गयी तस्वीरें पेश करके दिखा सकते हैं कि आप दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को छूकर वापस आये हैं. लेकिन, तब क्या जब कोई एवरेस्ट के टॉप तक पहुंचे लेकिन वापस आते वक़्त रास्ते में उसकी मौत हो जाए. फिर क्या हो? और अब अगर आपसे कहा जाये कि ऐसा ही हादसा किसी के साथ एडमंड हिलेरी के एवरेस्ट फ़तेह करने से सालों पहले हुआ था तो?
ऐसा कहा जाता है कि कोई और भी है जो एवरेस्ट नाप चुका था. वो भी एडमंड हिलेरी से पहले. 32 साल पहले. लेकिन वो वापस आकर अपनी विजय गाथा नहीं गा सका. और यही वजह है कि इस 'शायद' के 'बेशक' में न बदल पाने की वजह से एडमंड हिलेरी को एवरेस्ट की चोटी पर पर कदम रखने वाला पहला इंसान माना जाता है.
कौन था वो जो जीतकर वापस न आ सका?
1924 में ब्रिटिश पर्वतारोही जॉर्ज मैलोरी अपने अच्छे दोस्त सैंडी इरविन के साथ दूसरे ब्रिटिश चढ़ाई दल का हिस्सा थे. उन्हें अपनी जीत का इतना भरोसा था कि ऑक्सीजन सिलिंडर, बिज़नेस सूट, हैट्स और शेरपाओं के साथ कैमरा भी लेकर गए थे. उनका प्लान था कि वो खूब सारी तस्वीरें भी खीचेंगे.
नीचे बैठे आदमी पर पैर रखे हुए जॉर्ज मैलोरी.
ऐसे पहाड़ों की चढ़ाई करने में होता ये है कि एक वक़्त के बाद टीम के सभी साथी एक साथ चढ़ाई नहीं करते. आखिरी हिस्से की चढ़ाई में लोगों को दो-दो के जोड़े में जाना होता है. 8 जून 1924 को एवरेस्ट पर चढ़ते-चढ़ते इन चढ़ाई करने वाले ग्रुप के सामने यही सिचुएशन आ खड़ी हुई. ऐसे में जॉर्ज मैलोरी और सैंडी इरविन एक साथ जोड़े में चले गए.
उस दिन दोपहर में उस ग्रुप के एक मेम्बर ने बताया कि उसे चढ़ाई के आखिरी हिस्से में 2 काले धब्बे दिखे थे. जो हो सकता है कि जॉर्ज और इरविन ही होंगे. लेकिन वो दोनों लौट कर कभी नहीं आये. ऐसा हुआ कि जैसे वो गायब हो गए हों. उनके ग्रुप ने कुछ दिनों तक उनकी तलाश की मगर कोई भी उन्हें ढूंढ न सका. इधर सभी साथी एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने की भी कोशिश कर रहे थे. उसमें भी कोई सफल नहीं हो पाया. बाद में सभी ने आपस में फ़ैसला कर वापस लौटने की सोची. इस वक़्त तक जॉर्ज और इरविन के बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता था.
जॉर्ज और इरविन के ऊपर पहुंचने के सबूत
1999 में कुछ पर्वतारोहियों को एवरेस्ट की बर्फ़ में अकड़ा हुआ एक शरीर मिला. शरीर पर कपड़ों और रस्सी में लगे एक टैग पर नाम लिखा था जी. मैलोरी. और तब उन्हें ये मालूम चला कि वो शरीर जॉर्ज मैलोरी का था.यहां उनके पास से जो चीज़ें बरामद हुईं, उनके बेस पर कुछ नतीजों पर पहुंचा जा सकता था. सबसे पहले, मैलोरी के बटुए में उनकी पत्नी की फ़ोटो नहीं थी. जबकि घर से चलते हुए उन्होंने अपनी पत्नी की फ़ोटो अपने बटुए में रक्खी थी और उससे कहा था कि जब वो एवरेस्ट फ़तेह कर लेंगे तो वहां उसकी फ़ोटो छोड़ कर आयेंगे. साथ ही उन्होंने अपने बर्फ़ में पहने जाने वाले चश्मे नहीं पहने थे. जबकि चश्मा एकदम सही-सलामत था और उनके पास ही था. अक्सर पहाड़ों पर चढ़ने वाले ऐसे बर्फ़ के चश्मों को सिर्फचढ़ते वक़्त इस्तेमाल करते थे. उतरते वक़्त वो चश्मा उतार देते थे.
यानी ये पॉसिबल है कि जॉर्ज मैलोरी और इरविन एवरेस्ट पर चढ़ चुके थे. वहां जॉर्ज ने अपनी पत्नी की फ़ोटो अपने पर्स से निकाल कर छोड़ दी, अपना चश्मा उतारा और नीचे उतरने लगे. लेकिन रास्ते में किसी दुर्घटना से या ठण्ड से उनकी मौत हो गयी.