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सिंधू की विजयगाथा

सुपर सीरीज़ तो बस शुरूआत है

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सौजन्य: BWF

आज चायना ओपन सुपर सीरीज़ का खिताब जीतकर पी वी सिंधू ने ओलंपिक के बाद अपना पहला बड़ा खिताब जीता है. यह सिंधू की पहली सुपर सीरीज़ जीत है. सुपर सीरीज़ साल भर में होने वाले 12 टूर्नामेंटों की श्रृंखला को कहते हैं. इन टूर्नामेंटों में सिर्फ टॉप-32 खिलाड़ी ही भाग लेते हैं. साल के आखिर में सुपर सीरीज़ फाइनल्स होता है जिसमें सिर्फ टॉप 8 खिलाड़ी ही भाग लेते हैं. सिंधू का अगला लक्ष्य रैंकिंग सही करके टॉप-8 में आना और सुपर सीरीज़ फाइनल्स जीतना होगा.

5 जुलाई 1995 को हैदराबाद में खिलाड़ी परिवार में जन्मी पी वी सिंधू ने सिर्फ 8 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया. कुछ दिनों बाद सिंधू ने अपने आदर्श खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद की अकेडमी में दाखिला ले लिया. और यहीं से पहले अंडर-10 और फिर अंडर-13 टूर्नामेंट्स जीतते 51वें नेशनल स्कूल गेम्स में अंडर-14 कैटेगरी का स्वर्ण पदक जीत लिया.

2011 कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स में सिंधू ने स्वर्ण पदक जीता और 2012 में सिर्फ एशियन जूनियर चैंपियनशिप का खिताब जीता. 2012 में सिंधू ने कोई बड़ा खिताब तो नहीं जीता लेकिन उस साल चायना मास्टर्स सुपर सीरीज़ में 2012 लंदन ओलंपिक की गोल्ड विजेता ली जुइरूई को 21-19, 9-21, 21-16 से हरा दिया. अब तक सायना नेहवाल के साथ-साथ पी वी सिंधू का नाम भी सुनाई देने लगा था. इसी साल सिंधू टॉप-20 खिलाड़ियों में शामिल हो गईं.

2013 सिंधू के करियर का सबसे निर्णायक साल रहा. 18 साल की उम्र छूते-छूते मलेशियन ओपन का खिताब जीतकर अपना पहला ग्रां प्री गोल्ड खिताब जीता. और उसके बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप में चीन की वांग शिज़ियान को हराकर सिंधू कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं. साल के आखिर में मकाऊ ओपन जीता. इन कामयाबियों के लिए सिंधू को अर्जुन पुरस्कार दिया गया.

साल में अलग-अलग जगहों पर होने वाले ग्रां प्री टूर्नामेंट्स में कोई भी खिलाड़ी खेल सकता है और इन टूर्नामेंट्स की ईनामी धनराशि सुपर सीरीज़ से कम होती है. हर साल इन टूर्नामेंट्स की संख्या भी बदलती रहती है.

वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य की कामयाबी को सिंधू ने फिर अगले साल दोहराया और साथ ही उबेर कप, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशिया चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीततीं गईं.

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2015 में सिंधू पहली बार सुपर सीरीज़ के फाइनल में पहुंची लेकिन जीत नहीं पाईं. डेनमार्क ओपन में तीन वरीयता प्राप्त खिलाड़ियों को हराकर फाइनल में पहुंची सिंधू को फाइनल में हार का सामना करना पड़ा. अपने फाइनल तक के सफर में सिंधू ने कैरोलिना मरीन को भी हराया था. लेकिन मकाऊ ओपन का खिताब लगातार तीसरी बार जीतकर उस हार के गम को कुछ कम किया.

सिंधू ने 2016 की शुरूआत मलेशियन ओपन ग्रां प्री जीतकर की. और फिर आया वह मौका जिसके बाद सिंधू घर-घर का नाम बन गईं. ओलंपिक 2016. ओलंपिक में सिर्फ 21 साल की उम्र में रजत पदक जीतकर सिंधू इस मुकाम को हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं. और आज ओलंपिक के बाद अपने तीसरे टूर्नामेंट  चायना ओपन के फाइनल में चीन की सन यू को 21-11, 17-21, 21-11 हराकर सुपर सीरीज़ में भी शुरूआत कर दी है. सिंधू सुपरफिट हैं, टॉप खिलाड़ी जब तक सुपरफिट रहता है वो कभी भी मेडल-खिताब ला सकता है और दूसरा सिंधू का खेल दवाब में निखर जाता है. ये तो बस शुरूआत है...