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'मोहब्बतें' के अमिताभ बच्चन से भी धाकड़ हैं कानपुर के प्रिंसिपल अंगद सिंह

कभी कोई राज आर्यन हाथों में वायलिन और चेहरे पर मुस्कान लिए अंगद सिंह की ईंट से ईंट नहीं बजा पाया.

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अंगद सिंह
अभिनव
अभिनव

दी लल्लनटॉप के एक डियर रीडर हैं अभिनव राय. कानपुर के हैं. कानपुर का जब कोई रैपर फटता है, तो अभिनव राय जैसा पटाका निकलता है. कविताएं लिखने के शौकीन अभिनव धनबाद के IIT(ISM) में पढ़ते हैं. पिछली बार वो आपके लिए अपने इंस्टीट्यूट के माहौल में घुले वर्ड
लेकर आए थे और इस बार वो अंगद सिंह का किस्सा लाए हैं. कानपुर के कॉलेज का वो प्रिंसिपल, जिसके आगे अच्छे-अच्छे 'राज आर्यन' पानी भरते हैं. अब इन प्रिंसिपल साहब के बारे में अभिनव ने इतनी खूबसूरती से लिखा कि हम क्या कहें. लीजिए. आप खुद ही बिस्मिल्लाह कीजिए.



'परंपरा, प्रतिष्ठा, अनुशासन. ये इस गुरुकुल के तीन स्तंभ हैं. ये वो आदर्श हैं, जिनसे हम आपका आने वाला कल बनाते हैं.' अपनी बुलंद आवाज से सन्नाटे से भरे गुरुकुल के ऑडिटोरियम में बोलते अमिताभ बच्चन ने 'मोहब्बतें' को न जाने कितनों की फेवरेट मूवी बना दिया.

ऐसा ही एक गुरुकुल है कानपुर में. BNSD शिक्षा निकेतन. यहां के अमिताभ बच्चन हैं डॉक्टर अंगद सिंह. यहां हाथों में वायलिन और चेहरे पर मुस्कान लिए कोई राज आर्यन कभी इस गुरुकुल की एक भी ईंट नहीं बजा पाया. यहां की चारदीवारी में कुछ ऐसे कानून हैं, जो केवल यहीं लागू होते हैं. ये गुरुकुल RSS के शिक्षा प्रखंड विद्या भारती द्वारा संचालित होता है. RSS का नाम सुनते ही कुछ लोगों ने अभी से जज करना शुरू कर दिया होगा. लेकिन महाराज... पहले पूरी कथा तो पढ़िए.


1983 में बने इस कॉलेज को पहले दिन से ही डॉक्टर अंगद सिंह ने संभाला है. दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार पा चुके हैं. 47 साल की उमर में पहली बार ये पद पाने वाले वो सबसे युवा प्रधानाचार्य थे पूरे देश में. 2011 में यूपी बोर्ड के एग्जाम्स का जो रिजल्ट आया था, उसमें टॉप-10 में इस स्कूल के सिर्फ 2 स्टूडेंट्स का नाम आए और IIT में उन दोनों में से सिर्फ एक का ही सेलेक्शन हुआ था. तब कानपुर के कुछ अखबारों के फ्रंट पेज पर सुर्खियां थीं, 'बोर्ड परीक्षाओं में उखड़ा अंगद का पांव'. ये हेडलाइन ही उनका रसूख बयां करती है.

अगले ही साल बोर्ड के एग्जाम्स में अंगद के स्कूल के स्टूडेंट्स ने झामफाड़ परफॉर्मेंस दी और यहां के 22 स्टूडेंट्स (पासआउट छात्र मिलाकर) का IIT में सेलेक्शन हुआ. अंगदद ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अंगद सिंह हैं. मकबरा नहीं हुए हैं अभी. हड़कंप तो तब मचा था, जब 2009 में यूपी बोर्ड की मेरिट लिस्ट के 72 छात्रों में से 46 तो सिर्फ BNSD से थे. हड़कंप मच गया था एजुकेशन डिपार्टमेंट के गलियारों में.


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BNSD शिक्षा निकेतन

कई स्कूलों के प्रिंसिपल तो बाकायदा शिकायत करने चले गए थे यूपी बोर्ड के पास. अंगद सिंह पर धांधली करवाने का आरोप लग गया था. कॉपियां दोबारा चेक की गईं और इससे अंगद सिंह और भी चमक कर उभरे. अबकी बार 72 में BNSD के छात्रों की संख्या 51 हो गई थी. पहले से पांच ज्यादा. अंगद सिंह अपने स्कूल के बच्चों को बोर्ड परीक्षा की ऐसी तैयारी कराते थे, जैसे चीन में ओलिंपिक खिलाड़ियों की ट्रेनिंग कराई जाती है. या शायद उससे भी एक कदम ज्यादा.


अंगद सिंह ने इस स्कूल को इस मुकाम पर पहुंचाया है कि इसके स्टूडेंट NTSC और KVYP जैसी परीक्षाओं में भी छाए रहते हैं. कनपुरिए तो ये सब अखबारों में पढ़ते ही रहते हैं. रात 12 बजे भी छठी क्लास के लौंडे वैदिक गणित की किताब लिए किसी कॉम्पिटीशन की तैयारी करते बालकनी में टहलते मिल जाएंगे. यहां एक बड़ी प्रचलित मान्यता है कि जब ओबामा मुंबई आया था, तो सेंट स्टीफेंस गया था. अगर कानपुर आता, तो BNSD आना पड़ता. यकीनन.

अनुशासन

ये अंगद सिंह की खासियत भी है और सबसे बड़ी कमजोरी भी. अगर पढ़ने-लिखने में थोड़ा हाथ टाइट है, तो कोई बात नहीं. ये सुधार लेंगे. अनुशासन में कोई गड़बड़ नहीं. नो कॉम्प्रोमाइज. चाहे कित्ते भी बड़े टॉपर हो, अपने घर के होगे. कहा जाता है कि BNSD वाले फीस से ज्यादा फाइन लगाते हैं. यहां पहली छोटी गलती पर 7 से 14 दिन का सेवाकार्य लगता है. इसके अंदर पार्क में सामूहिक घास उखाड़ना, कंकणों में थोड़े से मिलाए हुए चावल के दानों में से चावल चुनना पड़ता है और ये सब उस समय करना होता है, जब आपके बाकी साथी फुटबॉल खेल रहे होते हैं. छोटी गलती माने दिन में सोना, क्लास में बात करना.

दूसरी-तीसरी बार ऐसा करने पर फाइन 100 रुपए और उसके बाद 500 रुपए. गाली देते हुए पकड़े जाने या अपने पास 50 रुपए से ज्यादा रखे हुए पकड़े जाने पर 5000 की सिक्यॉरिटी मनी जमा करानी पड़ती है. छात्रों को 'सुयोग्य सदन' या 'आदर्श सदन' में रखा जाता है. ये नाम भले बहुत रोचक लग रहे हों, पर असल में ये काला पानी जैसी सजा है. 8-8 लोगों की कैपेसिटी वाले ये सदन प्रिंसिपल के ऑफिस के बिल्कुल पास ही हैं। 5000 रुपए जमा कराया हुआ बंदा 302 की सजा पाए कैदी जैसा ही होता है. कोई डर नहीं, क्योंकि 100, 500 रुपए के फाइन तो उसी 5,000 में अडजस्ट हो जाएंगे.

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सबसे शर्मनाक सजा उस बंदे को मिली थी, जो प्रिंसिपल और मैथ्स टीचर को गाली देता पकड़ा गया था. बोर्ड एग्जाम आने वाले थे और उसके पेरेंट्स को बुलाकर हर एक क्लास में ले जाकर उनके ही हाथों एक-एक कंटाप मरवाया गया था. उसके बाद ही उसे बोर्ज एग्जाम का एडमिट कार्ड दिया गया. बाद में वो टॉप-10 में भी आया, फिर भी उसे निकाल दिया गया. एक छात्र ने शिक्षक-कक्ष से शिक्षकों के लिए रखा हुआ बिस्किट खा लिया था. उससे 5000 रुपए वसूले गए थे. उसने बदले में बिस्किट का पूरा पैकेट देने की पेशकश की, लेकिन उससे लगभग सोने का ही बिस्किट लिया गया.


योग

अंगद सिंह बाबा रामदेव के बहुत बड़े भक्त हैं. 65 साल उमर हो गई है, लेकिन दौड़ते ऐसे हैं, जैसे 30 के हों. उनकी भक्ति इस कदर है कि छात्रावास में सुबह-शाम 20-20 मिनट तक योग कराया जाता है. योग में न आने वाला अगले दिन से सेवाकार्य का भागी होता है. सारी गलतियों की सजा भी वहीं दी जाती है. 12वीं के जिस लौंडे को अंगद सिंह का कंटाप पड़ गया, उसे बधाई दी जाती है. प्रिंसिपल के हाथ का कंटाप IIT में सेलेक्शन की मुहर होता है.


नियंत्रण

शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों पर गजब का नियंत्रण है अंगद सिंह का. कोई पत्ता भी दूसरे पत्ते से उनकी आलोचना नहीं कर सकता, क्योंकि उसे डर होता है कि अंदर सिंह को पता चल जाएगा. एक बार तो अंगद सिंह ने मेस के अकाउंट में थोड़ी सी गड़बड़ होने पर मेस प्रमुख, जो मैथ्स के टीचर भी हैं, को कुछ स्टूडेंट्स के सामने ही मुर्गा बना दिया था. टीचर्स को सरेआम डांटना और नपुंसक आदि बोल देना एक रूटीन वर्क जैसा है उनके लिए.

खाली तो वो किसी को देख ही नहीं सकते. पार्क का माली, जो अभी-अभी गमलों में खाद-मिट्टी बदलकर बैठा है, वो दिख गया तो उसे फिर से ऐसा करने का आदेश दे दिया जाता. यहां हर कोई मल्टी-टास्किंग के लिए ही हायर किया जाता है. ड्राइवर, माली, वार्डन, सबको भोजन परोसने के लिए उपलब्ध रहना पड़ता है.

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पुरस्कार, सम्मान और सुविधाएं

अगर कोई लौंडा अनुशासित और फोड़ू है, तो उसके लिए इससे बढ़िया कोई जगह है ही नहीं. मंथली एग्जाम में 1 से 5 तक की रैंक ले आओ, तो 2 महीने की फीस माफ. 6 से 10 तक की रैंक लाओ, 1 महीने की फीस माफ. IIT में रैंक ले लाओ, 11 हजार ले जाओ. मुझे 2 बार मिला. हर महीने फोड़ू लौंडों को पतंजलि का च्यवनप्राश प्राइज में मिलता ही रहता है. एक बार एक स्कॉलर फोड़ू लौंडे की रैंक खराब आ गई, तो PC ने उसे बुलाया. उसने बताया कि टेस्ट वाले दिन रातभर बिजली नहीं थी. अंगद सिंह ने वाइस प्रिंसिपल को उसके घर भेजकर उसके पहुंचने से पहले ही इन्वर्टर लगवा दिया. इसके अलावा BNSD शिक्षा निकेतन की तरफ से एक अनाथालय के 120 से भी ज्यादा बच्चों को फ्री पढ़ाई और फ्री लंच उपलब्ध कराया जाता है.

कन्क्लूजन आप पर छोड़ रहे हैं. सॉल्व कीजिए. 'Curios Case of Real Life Mohabattein.' क्या यहां कभी हाथों में वायलिन और चेहरे पर मुस्कान लिए कोई राज आर्यन आएगा इसकी ईंट से ईंट बजाने?




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