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'नर्वस' नरेंद्र मोदी ने किस नेता के पांव छुए?

मीटिंग में ऐसा क्या पूछ लिया गया कि नरेंद्र मोदी के पास जवाब ही नहीं था? फिर जवाब किसने दिया?

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प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के साथ उस मीटिंग में क्या हुआ था?

ये कुछ नौ बरस पहले की बात है. रायसीना हिल में एक प्राइवेट मीटिंग हो रही है. कुलजमा दो नेता इस मीटिंग में हैं - एक वो, जिनके बारे में कहा जाता है, “The PM India never had." यानी वो व्यक्ति जो हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री बन सकता था, पर कभी बन नहीं पाया. जिसने अपनी बेटी से ब्लंट लहजे में कह दिया, “सिर्फ इसलिए कि मैं ये पद चाहता हूं, इसका ये मतलब नहीं कि ये पद मुझे मिल ही जाएगा.” दूसरा नेता वो, जिसने राजधानी दिल्ली का तीन दशक से कायम भ्रम तोड़ डाला. भ्रम, कि एक पार्टी के अपने बूते सरकार बनाने के दिन लद गए. ये नेता अगले एक दशक तक मुल्क की नियति तय करने जा रहा है. 

आपने अंदाज़ा लगा लिया होगा कि हम किनकी बात कर रहे हैं. नहीं लगा पाए, तो हम बता देते हैं. इस मीटिंग के होस्ट हैं, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, जो पीएम बनना चाहते थे, लेकिन बन नहीं पाए. और गेस्ट हैं नरेंद्र मोदी जिन्हें विपक्ष समेत उन्हीं की पार्टी के संस्थापक पीएम नहीं बनाना चाहते थे, पर उन्होंने अपने नाम की लहर पैदा की, सत्ता पाई. और पीएम की पोस्ट पर काबिज हुए.

इस मुलाकात के बारे में प्रणब मुखर्जी अपनी डायरी में लिखते हैं,

“'मोदी ने मेरे पैर छुए और कहा, दादा, आप मुझे अपने छोटे भाई की तरह सलाह दें. मुझे रास्ता दिखाएं.” 

प्रणब मुखर्जी  (फोटो / इंडिया टुडे)

मुखर्जी ने आश्वासन दिया कि वे उन्हें पूरा सहयोग देंगे. बाद में खुद नरेंद्र मोदी ने इस मीटिंग से जुड़ा एक मजेदार किस्सा प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी को सुनाया. कि जब वे प्रणब मुखर्जी से मिलने गए तो थोड़े घबराए हुए थे. मुखर्जी ने उन्हें सहज किया और कहा,

“हम दो अलग-अलग राजनैतिक विचारधाराओं को मानते हैं. जनता ने आपको शासन करने के लिए जनादेश दिया है. शासन करना प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल का काम है. तो मैं उसमें दखल नहीं दूंगा. हां, अगर आपको संवैधानिक मामलों पर कोई सलाह चाहिए तो मैं जरुर आपकी मदद करूंगा."

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अपनी बेटी शर्मिष्ठा के साथ प्रणब मुखर्जी (साभार: एक्स)

मोदी ने शर्मिष्ठा को कहा था,

 “दादा का मुझे ये कहना बहुत बड़ी बात थी.”

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इसके बाद प्रणब ने मोदी से 2014 के आम चुनावों के बारे में उनकी राय पूछी. मोदी ने जवाब दिया कि तीन दशकों के बाद किसी राजनैतिक दल ने पूर्ण बहुमत हासिल किया है. लेकिन मुखर्जी सिर्फ इतने भर से संतुष्ट नहीं हुए.

उन्होंने पलटकर पूछा, 

“इसके अलावा और क्या?' 

जब मोदी कोई जवाब नहीं दे पाए, तो प्रणब ने उन्हें बताया कि 2014 का चुनाव, लोकसभा चुनावों के इतिहास में सबसे अलग था. क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री पद के लिए एक नया चेहरा पहले से ही घोषित था. कि अगर सरकार बनी तो यही होंगे पीएम. प्रणब ने इस बात पर जोर दिया कि लोगों ने न केवल मोदी की पार्टी के लिए वोट किया है, बल्कि उन्हें पीएम के रूप में भी वोट दिया है.

बाद में मोदी ने शर्मिष्ठा से कहा था, 

“जब तक दादा ने ये बात पॉइंट आउट नहीं की, मैंने इस तरह सोचा ही नहीं था!”

चार सौ पन्नों और नौ चैप्टर्स की इस बायोग्राफी में शर्मिष्ठा ने कई निजी किस्से बांचे हैं. (फोटो/रूपा प्रकाशन)

बहरहाल, आप ये सोचें कि ये सब जानकारी हमें मिली कहां से, तो बता दें कि प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एक किताब लिखी है. इसका टाइटल है, “Pranab, My Father”. रूपा प्रकाशन से छपी ये किताब दिल्ली के इंडिया इन्टरनेशनल सेंटर में 11 दिसम्बर को लॉन्च होगी. आने वाले दिनों में इस किताब से जुड़े और भी किस्से हम आपके सामने लेकर आते रहेंगे.  

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