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क्राइम पेट्रोल फ़ेम एक्टर सहीम खान ने कनाडा में जीता बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड

इकराम नाम की इस फिल्म के डायरेक्टर भी हैं सहीम.

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कनाडा क्रिएशन फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म को बेस्ट फिल्म इन फॉरेन लैंग्वेज का अवॉर्ड मिला है.
भैया देश में नाम हो तो भौकाल, परदेस में नाम हो तो महा भौकाल. सहीम खान की फिल्म 'इकराम' को कनाडा में क्रिएशन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फीचर फिल्म ऑफ फॉरेन लैंग्वेज का अवॉर्ड मिला है. खुद सहीम को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला है. ये फिल्म एक रियल इंसीडेंट पर बेस्ड है. जिसमें एक ब्लास्ट केस में मुस्लिम युवक को शक के आधार पर पुलिस ने अरेस्ट कर लिया. 12 साल जेल में बेगुनाह होने के बावजूद बिताने पड़े. उसके बाद कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया. बेहद इमोशनल कहानी है और सहीम खान की डायरेक्टोरियल डेब्यू फिल्म है. खास बात ये कि इस फिल्म की शूटिंग सिर्फ 15 दिन में पूरी की गई. बड़े स्टार्स न होने के बावजूद फिल्म ने बहुत प्रभावित किया.
जेल जाने से पहले इकराम
जेल जाने से पहले इकराम

ये तो हो गई ताजा जानकारी. हमको पता चला तो हमने सहीम से बात की. फिर जो डीप ज्ञान वाली इंट्रेस्टिंग बातें निकलकर आई हैं कि क्या बताएं. बताएंगे, जरूर बताएंगे. इसी काम के लिए बैठे हैं हम. तो हम प्वाइंट दर प्वाइंट एक एक चीज बताते हैं.
यूपी के प्रतापगढ़ का लड़का पहुंचा सलमान के घर
सहीम खान उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से आते हैं. किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. सहीम से हमारी बात हुई तो बताने लगे कि गांव में बड़े स्वैग में टहिलते थे. जैसे गांव के लड़के होते हैं. फिर पता नहीं क्या हुआ कि दिमाग में एक्टर बनने का खयाल आया. और वो खयाल इतनी बुरी तरह से छाया कि रातों को नींद नहीं आती थी. झोला उठाकर मुंबई पहुंच गए. इस काम में सहीम के बचपन के दोस्त हसरत ने बड़ा रोल अदा किया. ये 2007 की बात है. मुंबई पहुंचते ही सीधे सलमान खान के घर पहुंचे. गेट पर गार्ड ने रोका तो कहा सल्लू भाई का फैन हूं. बड़ी दूर से आया हूं. प्लीज उनसे मिलवा दीजिए. गार्ड ने हाथ जोड़ लिए. भैया रोज तुम्हारे जैसे फैन आते हैं यहां. फिर सहीम ने जिद पकड़ ली कि हमको सल्लू से मिलना ही है. तो धक्के मारकर निकाले गए. कहां तो मिलकर काम मांगने आए थे. इज्जत का फालूदा हो गया. लेकिन कहानी तो अब शुरू हुई थी.
ड्राइवर और सेल्समैन का काम किया, फिर मिला पहला ब्रेक
चेहरा- द अननोन मास्क
चेहरा- द अननोन मास्क

पहुंचते ही स्ट्रगल शुरू हो गया. तकरीबन ढाई साल ड्राइवरी की, सेल्समैन का काम किया. सहीम बताते हैं कि कायदे से एक्टिंग मैंने ये सारे काम करते हुए ही सीखी. लोगों के चलने, बोलने और बाकी के कामों का स्टाइल करीब से ऑब्जर्व किया. ये सब चलता रहा, ऑडिशन देते रहे. 2011 में एक फिल्म में लीड रोल मिल गया. फिल्म का नाम था 'चेहरा- द अननोन मास्क.' फिल्म पिट गई लेकिन सहीम का काम हो गया. रास्ता खुल गया उनके लिए. इसके बाद जगमोहन कपूर ने इनको 'पराकाष्ठा' नाम की फिल्म में कास्ट किया. ये फिल्म जगमोहन कपूर की थी. जगमोहन कपूर वही हैं जिन्होंने सुपरहिट 'नगीना' लिखी थी. लेकिन फूटी किस्मत, फिल्म विवादों में उलझ गई और कभी रिलीज ही नहीं हुई.
फिर बने क्राइम पेट्रोल के विलेन
फिल्में मिल नहीं रही थीं, मिलीं तो पिट रही थीं या रिलीज ही नहीं हो रही थीं. आया साल 2013. सहीम के लिए लाया क्राइम पेट्रोल का तोहफा. इस क्राइम टीवी शो में सहीम को विलेन का रोल प्ले करने का मौका मिला. बस गाड़ी चल पड़ी. इतने एपिसोड्स में काम किया है कि सहीम गिनती भूल गए हैं. अगले ही साल सावधान इंडिया भी सहीम की झोली में आ गिरा. विलेन के रोल पर सहीम बताते हैं कि ये आसान काम नहीं है. क्राइम सीरियल्स में तीन ही पात्र होते हैं. एक- जिसने क्राइम किया, दूसरा- जिसके साथ क्राइम हुआ, तीसरी पुलिस. इन सबमें विलेन का रोल सबसे पावरफुल होता है. क्राइम पेट्रोल के सिर्फ एक एपिसोड में सहीम ने पाजिटिव रोल किया था. इस एपिसोड का टाइटल था 'बेगुनाह.'
बेगुनाह एपिसोड के एक सीन में सहीम खान
बेगुनाह एपिसोड के एक सीन में सहीम खान

अगले साल भारत में रिलीज होगी 'इकराम'
इकराम फिल्म अभी फिल्म फेस्टिवल्स में चल रही है. अगले साल इसे भारत में रिलीज करने का प्लान है. इसके लिए सहीम डिस्ट्रीब्यूटर्स और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग वेबसाइट्स से टच में हैं. तो उम्मीद कीजिए कि जल्दी ही हमें भी ये अवॉर्ड विनिंग फिल्म देखने को मिलेगी. सहीम खान की पिछली फिल्म 'खातून की खिदमत' को मुंबई में होने वाले जियो मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था. ये फिल्म सहीम ने खुद ही लिखी थी और डायरेक्शन भी खुद किया था.
खातून की खिदमत
खातून की खिदमत