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ब्रह्मोस ने पाकिस्तान के एयरबेस उड़ा दिए, वो देखता रह गया! खूबियां जो इस मिसाइल को बनाती है अचूक और घातक

BrahMos Strike: भारत की सुपरसोनिक मिसाइल (BrahMos missile) ने पाकिस्तान के एयर बेस (Pakistan Air Force bases) पर 9-10 मई की रात कहर बरपाया. दुश्मन की एयर डिफेंस को संभलने तक का मौका नहीं मिला. जानिए ब्रह्मोस की रेंज (Range), स्पीड (Speed), वर्जन (Variants), और इसकी तबाही मचाने की ताकत (Destructive power) के बारे में, जो इसे दुनिया की सबसे खतरनाक (Deadliest Missile) बनाती है.

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भारत का अचूक अस्त्र 'ब्रह्मोस' (फोटो- ANI)

“ये ब्रह्मोस का प्रहार है, जब होता है ना तो दुश्मन ‘उठता’ नहीं, 'उठ, जाता है!” सनी पाजी की मूवी का ये डॉयलॉग इन दिनों पाकिस्तानी सेना और वहां के हुक्मरानों की समझ में अच्छी तरह से आ गई होगी. आएगी भी कैसे नहीं? 9 और 10 मई की दरमियानी रात रावलपिंडी के नूर खान एयरबेस, चकवाल के मुरीद एयरबेस, शोरकोट के रफीकी एयरबेस और रहीम यार खान एयरबेस को तबाह-ओ-बर्बाद करने का काम ब्रह्मोस ने ही किया. दुनियाभर की मीडिया और रक्षा विशेषज्ञ ना सिर्फ ये बात कह रहे हैं. बल्कि राजस्थान के बीकानेर में मिला, ब्रह्मोस के बूस्टर और नोज़ का टुकड़ा भी संकेत कर रहा है कि हमले में ब्रह्मोस शामिल था. बूस्टर और नोज़, ब्रह्मोस को फायर करने के कुछ ही देर बाद ये हिस्से मिसाइल से अलग हो जाते हैं.

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बीकानेर में मिला ब्रह्मोस का बूस्टर (फोटो- इंडिया टुडे)

द इंडियन एक्सप्रेस समेत दुनियाभर की मीडिया हवाले से आ रही भारत के हमलों की तेजी देखते हुए रिएक्ट करना तो दूर, खुद को बचा पाना भी भारी पड़ रहा था. ऐसा होना ही था क्योंकि ‘ब्रह्मोस’ कोई आम मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की ‘गरजती बिजली’ है, जो दुश्मन के ठिकानों को चंद सेकेंडों में खाक कर देती है. 

पाकिस्तान के सैन्य सूत्रों के मुताबिक एयरबेस पर हुए हमले के वक्त वहां के एयरडिफेंस सिस्टम की हालत ऐसी थी, मानोे कोई नींद में हो और भूचाल आ जाए. न रोकने की ताक़त, न संभलने की मोहलत. लेकिन ब्रह्मोस की यह गूंज पहली बार नहीं हुई है. आइए जानते हैं इस मिसाइल की ताकत, इतिहास और भविष्य की उड़ान के बारे में.

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तबाही का दूसरा नाम है ब्रह्मोस (फोटो- ANI)
ब्रह्मोस: नाम में ही विनाश छिपा है

‘ब्रह्मोस’ नाम बना है भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्कवा नदियों को मिलाकर. ये सिर्फ मिसाइल नहीं, बल्कि भारत-रूस की वैज्ञानिक दोस्ती की उड़ान है. इसे बनाया है ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने, जिसमें भारत का DRDO और रूस का NPOM कंधे से कंधा मिलाकर चले हैं.

कैसे हुआ जन्म और कितना लगा खर्च?

डिफेंस मैगजीन मिसाइल मैटर्स के मुताबिक इस ‘सुपरसोनिक सनसनी’ की नींव पड़ी 1998 में, और पहली बार इसकी गरज सुनाई दी 12 जून 2001 को. शुरुआत से लेकर अब तक इस प्रोजेक्ट के ऊपर करीब 12,000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. लेकिन बदले में भारत को मिली है एक ऐसी मिसाइल जो दुश्मनों के लिए एक खौफनाक सपना बन चुकी है.

सेना में कब और कैसे आई?

सबसे पहले ब्रह्मोस का ‘सरफेस टू सरफेस’ वर्जन बना जो 2007 में थलसेना को सौंपा गया. फिर 6 साल के रिसर्च के बाद ब्रह्मोस का नौसेना वेरिएंट तैयार हुआ. 2013 में इंडियन नेवी ने इस अपने तरकश में शामिल किया. अब बारी थी वायुसेना की. 2020 में सुखोई SU-30 MKI ने ब्रह्मोस के ‘एयर टू सरफेज’ वेरिएंट का परिक्षण के दुनिया को बता दिया कि अब ज़मीन, समंदर और आसमान- हर ओर ब्रह्मोस की तैनाती है.

वर्जन दर वर्जन: हर रूप में विध्वंस

जमीन हो, समंदर हो या फिर आसमान, अपने हर रूप में ब्रह्मोस घातक है. इसके हर वर्जन की अपनी खूबियां हैं, जिनसे दुश्मन थर-थर कांपता है.

जमीन पर तैनात ब्रह्मोस: मोबाइल लॉन्चर पर तैनात, चलती-फिरती मौत. दुश्मन के बंकर, रडार और अड्डों को मिट्टी में मिला देती है.

ब्रह्मोस का बैटलशिप संस्करण: जहाज से छोड़ी जाने वाली ब्रह्मोस- समुद्र के सीने को चीरकर निकलती है और दुश्मन जहाजों को डुबा देती है.

ब्रह्मोस सबमरीन वर्जन: अभी टेस्टिंग में है, लेकिन जब आएगी तो समंदर के नीचे से होगी चुपचाप तबाही.

हवाई ब्रह्मोस (Su-30 MKI से लॉन्च): हवा से दागी जाती है और 450–800 किमी तक किसी भी टारगेट को भेदती है.

BrahMos-ER (Extended Range): इसका अगला अवतार- 1500 किमी तक की रेंज की तैयारी में है. बोले तो दूर बैठे दुश्मन के घर तक पहुंचने की क्षमता.

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ब्रह्मोस का हर अवतार खतरनाक (फोटो- PTI)
ब्रह्मोस की विनाशलीला

अब बात ब्रह्मोस के उन खूबियों की जो इसे बेहतरीन और घातक बनाती हैं. डिफेंस पत्रिका मिसाइल थ्रेट्स के मुताबिक ये अपने कैटेगरी की बेहतरीन मिसाइल है. आइये एक-एक करके सबसे रूबरू होते हैं.

रफ्तार: मैक 2.8 से 3 (यानी आवाज से लगभग 3 गुना तेज)

रेंज: 290 किमी से लेकर 800+ किमी तक.

वारहेड: 200–300 किलो का विस्फोटक या परमाणु क्षमता वाला वॉरहेड.

सटीकता: एक मीटर के अंदर टारगेट पर हिट- जैसे किसी की पेशानी पर अंगुली रखना.

विनाश क्षेत्र: एक मिसाइल से 3–4 किलोमीटर का इलाका धूल में तब्दील.

एक ब्रह्मोस की कीमत क्या है?

एक ब्रह्मोस मिसाइल की लागत 25–30 करोड़ रुपये है. लेकिन जब इसका असर देखते हैं- तब हर रुपये की कीमत समझ आती है. एक मिसाइल, एक शहर की रफ्तार रोक सकती है.

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भारत के पास कितनी ब्रह्मोस हैं?

भारत के पास 1000+ ब्रह्मोस मिसाइलें हैं, जो अलग-अलग मोर्चों पर तैनात हैं. किसी भी वक्त, किसी भी दिशा में दागने को तैयार.

कौन-कौन चाहता है ब्रह्मोस?

भारत अब हथियारों का खरीदार नहीं बल्कि व्यापारी बन रहा है. ब्रह्मोस इसकी जीती-जागती मिसाल है. फिलीपींस दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसे भारत ने ब्रह्मोस सिस्टम बेचा. डील करीब 32 हजार करोड़ रुपये की थी. इसके अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया और ब्राजील से सौदे की बात अभी चल रही है.

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दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं देता ब्रह्मोस (फोटो- PTI)
भविष्य का ब्रह्मोस कैसा होगा?

अब बारी है BrahMos-II की- हाइपरसोनिक मिसाइल जो आवाज से 5 गुना तेज होगी. DRDO इस पर काम कर रहा है और जब ये आएगी, तो दुनिया की कोई भी सेना शायद ही इससे बच पाएगी.

वीडियो: भारत ने किया सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का परीक्षण, जानें खूबियां