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'सरकार, विपक्ष तो कभी न्यायपालिका', जब-जब जगदीप धनखड़ ने लांघी 'लक्ष्मण रेखा'

VP Jagdeep Dhankhar Resigns: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंजूर होने के बाद उनका तीन साल का कार्यकाल समाप्त हो गया. इस छोटे से कार्यकाल में उनके नाम कई विवाद जुड़े. कई बार वह विपक्ष से उलझे.

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जगदीप धनखड़ (फोटोः India Today)

उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा मंजूर होने के बाद जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के 3 साल के छोटे कार्यकाल का समापन हो गया. इस दौरान, राज्यसभा से सभापति के तौर पर वह काफी ‘विवादित’ भी रहे. उनके कार्यकाल में ही ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ ‘अविश्वास प्रस्ताव’ लाया गया. धनखड़ पर सदन में सरकार को ‘विशेष संरक्षण’ देने और विपक्ष के सांसदों के साथ ‘सही बर्ताव न करने’ के आरोप भी लगे. हालांकि, कुछ घटनाओं में धनखड़ ने सरकार से भी तीखे सवाल किए. खासतौर पर किसानों के मुद्दे पर. पूर्व उपराष्ट्रपति ने न्यायपालिका को भी नहीं छोड़ा. उस पर भी लगातार सवाल उठाते रहे. तब लगा कि आखिर धनखड़ किसके साथ हैं!

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सुप्रीम कोर्ट से उलझे

अगस्त 2022 में जैसे ही धनखड़ ने अपना पद संभाला, उन्होंने एक बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2015 के उस फैसले पर सवाल उठाए, जिसमें नेशनल जुडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमीशन (NJAC) को रद्द कर दिया गया था. किसी उपराष्ट्रपति जैसे पद पर बैठे व्यक्ति के लिए ऐसा करना बहुत कम ही देखा गया है. उन्होंने कहा था कि संसद के बनाए कानून को अगर अदालतें रोकेंगे तो लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा हो जाएगा. उनके इस बयान को विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया था और इसे न्यायपालिका के काम में हस्तक्षेप बताया था.

'मोदी को आने का निर्देश नहीं देंगे'

अगस्त 2023 में धनखड़ ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में उपस्थित रहने का निर्देश नहीं दे सकते और न ही देंगे. क्योंकि संसद में आना किसी भी अन्य सांसद की तरह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है. उन्होंने यह बयान तब दिया था जब विपक्षी दल के सांसद मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर सदन को संबोधित करने के लिए राज्यसभा में प्रधानमंत्री को बुलाने की मांग कर रहे थे.

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स्टूडेंट पॉलिटिक्स पर निशाना

मार्च 2023 में उन्होंने स्टूडेंट पॉलिटिक्स को लेकर भी बड़ी टिप्पणी की थी. धनखड़ ने 'कुछ विश्वविद्यालयों को देशविरोधी विचारधाराओं की शरणस्थली' बताया था. उनके इस बयान में इशारा जेएनयू की तरफ माना गया था. सीपीआई और सीपीएम जैसे विपक्षी दलों ने उनके बयान की निंदा की थी. छात्र संगठनों ने भी मांग की थी कि वह अपना ये बयान वापस लें.

मोदी की तुलना गांधीजी से

नवंबर 2023 में जगदीप धनखड़ ने पीएम नरेंद्र मोदी तुलना से महात्मा गांधी से कर दी. उन्होंने कहा था कि पिछली शताब्दी के महापुरुष महात्मा गांधी थे, इस शताब्दी के युगपुरुष नरेंद्र मोदी हैं.  कांग्रेस ने धनखड़ के इस बयान को शर्मनाक बताया था.  

प्रस्तावना की बहस में

जून 2025 में संविधान की प्रस्तावना को लेकर जारी बहस में शामिल होते हुए धनखड़ ने कहा कि आपातकाल के दौरान सोशलिस्ट (समाजवादी) और सेकुलर (पंथनिरपेक्ष) जैसे शब्द 'नासूर' की तरह जोड़े गए. ये शब्द हलचल पैदा करेंगे. ये शब्द संविधान के निर्माताओं की मानसिकता के साथ धोखे के प्रतीक हैं. यह इस देश की हजारों सालों की सभ्यता की धरोहर और ज्ञान को कमतर बनाने जैसा है. यह सनातन की आत्मा का अपमान है.

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ईडी-सीबीआई को सपोर्ट

अक्टूबर 2024 में धनखड़ ने ईडी और सीबीआई जैसी संस्थाओं के सपोर्ट में बयान दिया तो विपक्ष ने उनकी आलोचना की. धनखड़ ने कहा था कि सीबीआई-ईडी पर सवाल उठाना भारत के न्यायिक तंत्र को कमजोर करता है. विपक्ष ने इस बयान को जांच एजेंसियों की कथित मनमानी कार्रवाई के समर्थन के तौर पर देखा.

विपक्ष लाया अविश्वास प्रस्ताव

धनखड़ पर राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान लगातार पक्षपात के आरोप लगे. 10 दिसंबर 2024 को भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. कांग्रेस, टीएमसी, सपा, डीएमके और वामदलों के 60 से ज्यादा सांसदों ने धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. इस दौरान उन्हें 'सरकार का प्रवक्ता' भी बताया गया.

जया बच्चन ने टोन पर जताई आपत्ति

अगस्त 2024 में जया बच्चन ने धनखड़ के सदन में विपक्ष से संवाद के दौरान 'टोन' को लेकर सवाल उठाया. इस पर नाराज धनखड़ ने जया बच्चन को जवाब देते हुए कहा कि आप सेलिब्रिटी हो सकती हैं लेकिन आपको सदन की मर्यादा को समझना होगा.

शिवराज से पूछा सवाल

अक्सर ‘पक्षपात’ के आरोपी बनाए जाने वाले धनखड़ ने एक बार मोदी सरकार को भी घेर लिया था. किसानों के मुद्दे पर उन्होंने शिवराज सिंह चौहान को डांट लगा दी थी. एक कार्यक्रम में उन्होंने शिवराज से कहा, 'आखिर किसानों से जो लिखित वादे किए गए थे, उन्हें क्यों नहीं निभाया गया. कृषि मंत्री जी, एक-एक पल भारी है. मेरा आपसे आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताएं, क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया, वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं?'

वीडियो: जगदीप धनखड़ रिटायरमेंट का 'पूरा प्लान' बनाकर बैठे थे, उसके पहले क्या हो गया?

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