Indigo की बीते दिनों दनादन फ्लाइटें कैंसिल हुईं. देश भर के एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी मची रही. हजारों यात्री एयरपोर्ट्स पर घंटो फंसे रहे. लोग अपने जरूरी कामों के लिए गंतव्य तक नहीं पहुंच पाए. सरकार को बीच में आना पड़ा. सिविल एविशन मॉनिटरिंग बॉडी DGCA ने इंडिगो के ऑपरेशन की देखरेख के लिए अपनी टीम बिठाई. सरकार पूरे मामले की जांच कराने और कार्रवाई करने की बात कह रही है. इंडिगो के CEO को भी नोटिस दिया गया है.
Indigo का चाहकर भी नहीं कर सकते बायकॉट, इसके बिना घर बैठने की नौबत आ जाएगी
Indigo Crisis के बीच कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर #BoycottIndiGo का ट्रेंड चलाने की कोशिश की. लेकिन वो ये नहीं जानते कि चाहें तो भी इंडिगो का बायकॉट नहीं किया जा सकता. आखिर ऐसा है क्यों? जानिए पूरी कहानी.


इधर, पूरे संकट पर लोगों का इंडिगो पर गुस्सा फूटा. हर मुद्दे की तरह इस पर भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड चलने लगा. कुछ ने तो यहां तक दावा किया कि इंडिगो ने सरकार पर Flight Duty Time Limitations (FTDL) रूल को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए जानबूझकर फ्लाइट्स कैंसिल कीं. एक्सपर्ट्स और कुछ लोगों ने भी कहा कि नियमों पर अमल करने के लिए साल भर का समय था तो तैयारी क्यों नहीं की? कुछ लोगों ने तो सोशल मीडिया पर इंडिगो का बायकॉट करने तक की अपील कर डाली. लेकिन क्या यह संभव है? सवाल है कि अगर आपने इंडिगो को बायकॉट कर भी दिया तो फिर ऑप्शन क्या है. कम से कम आंकड़े देखकर तो ऐसा ही लगता है.
Indigo का बायकॉट क्यों आसान नहीं?अगर डाटा को देखा जाए तो पता लगता है कि भारत में डोमेस्टिक फ्लाइट्स के जितने रूट हैं, उनमें से आधे से अधिक पर आपके पास इंडिगो के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है. एविएशन एनालिटिक्स और ट्रैवल डाटा प्रोवाइडर कंपनी Cirium ने दि लल्लनटॉप के साथ भारत के डोमेस्टिक रूट की फ्लाइट्स से जुड़े कुछ आंकड़े शेयर किए हैं. आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर महीने में भारत में कुल 1201 रूट पर फ्लाइट्स ऑपरेट हो रही हैं. इनमें से 978 रूट पर इंडिगो की फ्लाइट्स जाती हैं. इनमें से 610 रूट ऐसे हैं, जिन पर केवल इंडिगो की ही फ्लाइट्स चलती हैं. यानी कुल रूट्स में से आधे से ज्यादा रूट्स पर आपके पास और कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है. यह हाल केवल दिसंबर का नहीं, बल्कि पूरे साल का है. जनवरी से लेकर दिसंबर तक अमूमन 1100 से लेकर 1200 रूट्स पर हर महीने फ्लाइट्स चली हैं. और हर महीने लगभग 500-600 रूट्स पर अकेले इंडिगो ऑपरेट करती आई है.
इस एकतरफा दबदबे का सबसे बड़ा कारण है इंडिगो की भारतीय एविएशन मार्केट में हिस्सेदारी. DGCA की ओर से अक्टूबर 2025 में जारी आंकड़ों के मुताबिक देश के सिविल एविएशन सेक्टर में इंडिगो का सबसे बड़ा 64.2% मार्केट शेयर है. दूसरे नंबर पर आता है एयर इंडिया, जिसकी इंडिगो के मुकाबले आधे से भी कम, 27.3 % की हिस्सेदारी है. इसके अलावा आकासा एयर का मार्केट शेयर 5.4 % और स्पाइसजेट का महज 2% है. फ्लाईबिग, फ्लाई91 और स्टार एयर जैसी छोटी एयरलाइंस का शेयर 1 प्रतिशत से हैं भी कम.
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ऐसे में स्वाभाविक सी बात है कि सबसे बड़ी एयरलाइन होने के कारण रूट भी सबसे अधिक इंडिगो के होंगे. लेकिन इतने अधिक हैं कि निकट भविष्य में हम और आप अभी इसी पर निर्भर हैं. दूसरा और कोई विकल्प नहीं है. इसलिए जरूरी है कि और एयरलाइंस मार्केट में आएं, हेल्दी कॉम्पटीशन बने और अंत में कंज्यूमर के पास विकल्प हों. नहीं तो यह सब फिर से हो सकता है, जो हाल ही में इंडिगो संकट की वजह से हुआ है.
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