नज़र डालते हैं उन एजेंसियों पर जो देश में किसी भी आपदा के समय सबसे पहले ग्राउंड ज़ीरो पर लोगों की मदद के लिए पहुंचती है. इन एजेंसियों को ख़ास तौर पर आपदा के समय आने वाली चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार किया जाता है.
90 के दशक में प्राकृतिक आपदाओं और उसके लिए जरूरी तैयारियों की चर्चा वैश्विक स्तर पर जोरों पर होने लगी थी. लगातार दुनिया के किसी न किसी कोने में कोई न कोई आपदा दस्तक दे रही थी. भारत भी प्राकृतिक आपदाओं से अछूता नहीं था. चाहे वो 1991 में ओडिशा का सुपर साइक्लोन हो, 2001 में गुजरात का भूकंप हो या 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी हो. आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 भारत सरकार ने इन चुनौतियों को देखते हुए 26 दिसंबर 2005 को डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट (DMA)
कानून बनाया. इस कानून के तहत किसी भी आपदा के समय नीति, योजना और जरूरी दिशानिर्देश तैयार करने के लिए केंद्रीय स्तर पर नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी, राज्य स्तर पर स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी और जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी बनाई गई. NDMA के मुखिया प्रधानमंत्री होते हैं और वो अधिकतम 9 लोगों को इसका सदस्य चुन सकते हैं. SDMA के मुखिया राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं और वो अधिकतम 8 लोगों को SDMA के सदस्य के तौर पर चुन सकते हैं. DDMA के चेयरपर्सन जिले एक DM या डिप्टी कमिश्नर होते हैं. जिला परिषद के अध्यक्ष या जिला के चुने हुए प्रतिनिधि इसके उपाध्यक्ष होते हैं. जिले के SP, चीफ मेडिकल ऑफिसर, और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त दो और अधिकारी इसके सदस्य होते हैं.
इस वक़्त उत्तराखंड में राहत कार्यों में NDRF SDRF और ITBP की टीमें जुटी हैं. आइये इनके बारे में जानते हैं- NDRF NDRF यानी नेशनल डिज़ास्टर रेस्पॉन्स फ़ोर्स. हिंदी में इसे राष्ट्रीय आपदा मोचन बल कहते हैं. DMA के सेक्शन 44 के तहत NDRF के गठन का प्रावधान किया गया. 8 बटालियंस के साथ शुरुआत करने वाली NDRF के पास आज 12 बटालियंस हैं और हर बटालियन में 1149 जवान हैं. गठन के बाद NDRF ने कई आपदाओं में अपनी स्पेशल ट्रेनिंग और तत्परता से लाखों लोगों की जान बचाई है. 2008 में बिहार की कोसी नदी में आई बाढ़ से लेकर, 2014 में जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ की भयानक तबाही, 2015 में नेपाल में आये भूकंप और हाल में 2018 में केरल में आई बाढ़ में NDRF की मदद से हज़ारों लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. किसी भी आपदा में तुरंत ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंचने के लिए NDRF की 12 बटालियंस देश के अलग-अलग जगहों पर तैनात हमेशा तैनात रहते हैं.

देश के अलग-अलग जगहों पर तैनात NDRF के बटालियंस. (फोटो- NDRF)

जम्मू कश्मीर में 2014 में आए बाढ़ के दौरान NDRF की टीमें. (फोटो- NDRF)
उत्तराखंड के चमोली में SDRF के जवान-

भारत-चीन सीमा पर तैनात ITBP के जवान.
उत्तराखंड से ITBP की राहत कार्यों के की तस्वीरें और वीडियोज़ सामने आ रहे हैं.