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आपदा के समय सबसे भरोसेमंद साथी NDRF और SDRF के बारे में सब कुछ जान लीजिए

उत्तराखंड मे तबाही के बाद लगातार राहत में जुटी हैं NDRF और SDRF की कई टीमें

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उत्तराखंड में आई बाढ़ के बाद राहत में जुटी NDRF, SDRF और ITBP की टीमें. (फोटो- NDRF)
उत्तराखंड का चमोली जिला. रविवार 7 फ़रवरी 2021 को ग्लेशियर टूटने से आई भारी तबाही के बाद उत्तराखंड में राहत और बचाव कार्य जारी है. सरकार ने आपदा प्रभावित लोगों के लिए 1070 और 9557444486 दो हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं. केंद्र और राज्य की कई एजेंसियां साथ मिलकर राहत कार्य में जुटी हैं.
नज़र डालते हैं उन एजेंसियों पर जो देश में किसी भी आपदा के समय सबसे पहले ग्राउंड ज़ीरो पर लोगों की मदद के लिए पहुंचती है. इन एजेंसियों को ख़ास तौर पर आपदा के समय आने वाली चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार किया जाता है.
90 के दशक में प्राकृतिक आपदाओं और उसके लिए जरूरी तैयारियों की चर्चा वैश्विक स्तर पर जोरों पर होने लगी थी. लगातार दुनिया के किसी न किसी कोने में कोई न कोई आपदा दस्तक दे रही थी. भारत भी प्राकृतिक आपदाओं से अछूता नहीं था. चाहे वो 1991 में ओडिशा का सुपर साइक्लोन हो, 2001 में गुजरात का भूकंप हो या 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी हो. आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 भारत सरकार ने इन चुनौतियों को देखते हुए 26 दिसंबर 2005 को डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट (DMA)
कानून बनाया. इस कानून के तहत किसी भी आपदा के समय नीति, योजना और जरूरी दिशानिर्देश तैयार करने के लिए केंद्रीय स्तर पर नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी, राज्य स्तर पर स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी और जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी बनाई गई. NDMA के मुखिया प्रधानमंत्री होते हैं और वो अधिकतम 9 लोगों को इसका सदस्य चुन सकते हैं. SDMA के मुखिया राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं और वो अधिकतम 8 लोगों को SDMA के सदस्य के तौर पर चुन सकते हैं. DDMA के चेयरपर्सन जिले एक DM या डिप्टी कमिश्नर होते हैं. जिला परिषद के अध्यक्ष या जिला के चुने हुए प्रतिनिधि इसके उपाध्यक्ष होते हैं. जिले के SP, चीफ मेडिकल ऑफिसर, और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त दो और अधिकारी इसके सदस्य होते हैं.
इस वक़्त उत्तराखंड में राहत कार्यों में NDRF SDRF और ITBP की टीमें जुटी हैं. आइये इनके बारे में जानते हैं- NDRF  NDRF यानी नेशनल डिज़ास्टर रेस्पॉन्स फ़ोर्स. हिंदी में इसे राष्ट्रीय आपदा मोचन बल कहते हैं. DMA के सेक्शन 44 के तहत NDRF के गठन का प्रावधान किया गया. 8 बटालियंस के साथ शुरुआत करने वाली NDRF के पास आज 12 बटालियंस हैं और हर बटालियन में 1149 जवान हैं. गठन के बाद NDRF ने कई आपदाओं में अपनी स्पेशल ट्रेनिंग और तत्परता से लाखों लोगों की जान बचाई है. 2008 में बिहार की कोसी नदी में आई बाढ़ से लेकर, 2014 में जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ की भयानक तबाही, 2015 में नेपाल में आये भूकंप और हाल में 2018 में केरल में आई बाढ़ में NDRF की मदद से हज़ारों लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. किसी भी आपदा में तुरंत ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंचने के लिए NDRF की 12 बटालियंस देश के अलग-अलग जगहों पर तैनात हमेशा तैनात रहते हैं.
Ndrf Team
देश के अलग-अलग जगहों पर तैनात NDRF के बटालियंस. (फोटो- NDRF)


 
Kashmir Flood
जम्मू कश्मीर में 2014 में आए बाढ़ के दौरान NDRF की टीमें. (फोटो- NDRF)

SDRF SDRF यानी स्टेट डिज़ास्टर रेस्पॉन्स फ़ोर्स. हिंदी में इसे राज्य आपदा मोचन बल कहते हैं. 2009 में आपदा प्रबंधन पर आई राष्ट्रीय नीति के सेक्शन 3.4.5  के तहत राज्य सरकारों को राज्य में आपदा से लड़ने के लिए SDRF गठन करने के लिए कहा गया. राज्य में किसी भी आपदा की स्थिति में तुरंत राहत कार्य शुरू किया जा सके इसलिए हर राज्य में SDRF का गठन किया गया है. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर SDRF का संचालन करती है. आपदा के समय NDRF की टीम को मदद करना और लोगों तक तुरंत राहत पहुंचना SDRF का मुख्य काम है.
उत्तराखंड के चमोली में SDRF के जवान- ITBP ITBP यानी इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस फोर्स. हिंदी में भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल. यह गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला अर्धसैनिक बल है. उत्तराखंड में आई तबाही के बाद ITBP के जवान भी राहत कार्यों में जुटे हैं. भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर सुरक्षा की जिम्मेदारी ITBP की होती है. ITBP का गठन 1962 में किया गया था. लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक तैनात ITBP के जवान उत्तराखंड से लगे चीन की सीमाओं पर भी तैनात रहते हैं. चमोली में आई प्राकृतिक आपदा के बाद ITBP के जवानों को भी राहत कार्य में उतारा गया है. पहाड़ी इलाकों में तैनाती के कारण ITBP को भी प्राकृतिक आपदाओं के समय आने वाली चुनौतियों के लिए ट्रेनिंग दी जाती है.
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भारत-चीन सीमा पर तैनात ITBP के जवान.

उत्तराखंड से ITBP की राहत कार्यों के की तस्वीरें और वीडियोज़ सामने आ रहे हैं. ये ख़बर लिखे जाने तक उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से आई तबाही के कारण अब तक 19 लोगों की जान जाने की पुष्टि हो चुकी है. 150 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं. NDRF, SDRF और ITBP की टीमें राहत कार्यों में जुटी हुई हैं.