एक नया पैसा: बिटकॉइन क्या है? इसके अलावा कौन सी क्रिप्टोकरेंसी अस्तित्व में हैं?
क्रिप्टोकरेंसी का मतलब सिर्फ बिटकॉइन नहीं है
बिटकॉइन समेत दूसरी सभी क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग की जाती है(फोटो सोर्स - bitcoin)
12 अक्तूबर 2021 (अपडेटेड: 13 दिसंबर 2021, 06:54 IST)
एक नया पैसा: पार्ट-3
जिस तरह हम वनस्पति तेल को डालडा, डिटेरजेंट पाउडर को सर्फ़, टूथपेस्ट को कोलगेट और फ़ोटोकॉपी मशीन को ज़ीरोक्स कहते आए हैं, वही हाल बिटकॉइन का भी है. यानी बिटकॉइन एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है, क्रिप्टोकरेंसी का पर्यायवाची नहीं. जैसे सर्फ़ के अलावा टाईड और निरमा भी वॉशिंग पाउडर हैं वैसे ही बिटकॉइन के अलावा भी कई अन्य और कई अन्य तरह की क्रिप्टोकरेंसीज़ हैं.
एक नया पैसा के इस पार्ट में हम जानेंगे दुनिया की सबसे फ़ेमस क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के बारे में और साथ में जानेंगे कि सितारों के पार जहां और भी हैं. मतलब बिटकॉइन के अलावा भी कई और क्रिप्टोकरेंसीज़ चलन में हैं,
# बिटकॉइन-
चलिए बिटकॉइन से शुरू करें. बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है जिसे जनवरी 2009 में बनाया गया था. मतलब ये क्रिप्टोकरेंसी के वो सभी मानकों को पूरा करती है जिनकी बात हमने पिछले एपिसोड में की थी. जैसे ये भी ब्लॉकचेन आधारित करेंसी है, ये भी डिसेंट्रलाईज़्ड है, वग़ैरह-वग़ैरह.
लेकिन ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े ये सारे मानक दरअसल ‘बिटकॉइन’ ने ही सेट किए थे. ये उलटबाँसी सी लग रही होगी लेकिन इस उलटबाँसी का हल इस बात में छुपा है कि ‘बिटकॉइन दुनिया की पहली क्रिप्टोकरेंसी है.’ इसका विचार जापान के एक व्यक्ति सतोशी नाकामोटो के माध्यम से आया. हालांकि सतोशी नाकामोटो की पहचान अभी तक नहीं की जा सकी है. लेकिन वो सतोशी नाकामोटो ही थे जो ब्लॉकचेन, माइनिंग और ‘डिसेंट्रलाईज़्ड करेंसी’ जैसे कई युग प्रवर्तक विचारों को 'अंडर वन अंब्रेला’ लेकर आए और इस अंब्रेला का नाम रखा बिटकॉइन. जिन ब्लॉकचेन, माइनिंग और डिसेंट्रलाईज़्ड करेंसी जैसे विचारों की हम बात कर रहे हैं उसमें से कई कॉन्सेप्ट हम आपको पिछले एपिसोड्स में बता चुके हैं और कई आने वाले एपिसोड्स में बताएंगे. अभी के लिए बिटकॉइन पर ही कंसंट्रेट करते हैं.
हां तो ये अंब्रेला, यानी बिटकॉइन कालांतर में इतनी फ़ेमस हुई कि इसके दो परिणाम सामने आए. एक तो बिटकॉइन काफ़ी क़ीमती होती चली गई, दूसरा बिटकॉइन की तरह ही कई अन्य क्रिप्टोकरेंसीज़ चलन में आ गईं.

बिटकॉइन (प्रतीकात्मक चित्र - आज तक)
वैसे पहले बिटकॉइन नहीं उसका कॉन्सेप्ट अस्तित्व में आया था. सतोशी ने 31 अक्टूबर, 2008 को मेट्ज़दोड डॉट कॉम
पर एक घोषणा की, ‘मैं एक नए इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम पर काम कर रहा हूं जो पूरी तरह से पीयर-टू-पीयर है, जिसमें कोई विश्वसनीय तीसरा पक्ष नहीं है.’
इसका श्वेत पत्र बिटकॉइन डॉट ओआरजी पर प्रकाशित किया गया. जिसका शीर्षक था: बिटकॉइन (अ पीयर-टू-पीयर इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम).
श्वेत पत्र मतलब थ्योरी में किसी कॉन्सेप्ट का पूरी तरह छप जाना. श्वेत पत्र और वास्तविक वस्तु में क्या अंतर है इसे ऐसे समझिए कि ‘हाइपरलूप’ का श्वेत पत्र वर्षों पहले प्रकाशित कर दिया गया था. और प्रकाशित किया था एलन मस्क ने. लेकिन अभी भी ‘हाइपरलूप’ सिर्फ़ थ्योरी में है. हालांकि बिटकॉइन को थ्योरी से प्रेक्टिकल बनने में देर न लगी और 3 जनवरी, 2009 को पहले बिटकॉइन ब्लॉक की माइनिंग की गई. इस पहले ब्लॉक को ‘जेनेसिस ब्लॉक’ कहा गया. हम फिर दोहरा रहे हैं कि ब्लॉक और माइनिंग के बारे में हम आने वाले एपिसोड्स में विस्तारपूर्वक समझेंगे. बस अभी के लिए ये समझ लीजिए कि 03 जनवरी, 2009 उस तारीख़ के रूप में मार्क किया जा सकता है जिस तारीख़ को पहली क्रिप्टो करेंसी, बिटकॉइन अस्तित्व में आई.
हालांकि, इंट्रेस्टिंगली, ये कहना भी पूरी तरह सही नहीं है कि ‘बिटकॉइन अस्तित्व में आई’. क्यूंकि बिटकॉइन या इससे इंस्पायर्ड किसी भी क्रिप्टोकरेंसी का कोई फ़िज़िकल फ़ॉर्म नहीं होता. यानी इसे आप छू या देख नहीं सकते. इसे हाथ में पकड़ नहीं सकते. तो जैसा कई बार इसका स्वरूप हमें टीवी या प्रिंट में दिखाई देता है न, गोल कॉइन सरीखा और बीच में कलात्मक रूप से अंग्रेज़ी का कैपिटल B लिखा, वो इसका केवल आइकन है या यूं कहें प्रतीकात्मक स्वरूप है. मने उसकी कोई वैल्यू नहीं है.
क्रिप्टोकरेंसी की जो मूल परिभाषा है उसी के हिसाब से बाकी सभी क्रिप्टोकरेंसीज़ की तरह बिटकॉइन भी किसी देश, केंद्रीय बैंक या सरकार द्वारा जारी नहीं किए जाते. हालांकि ये ‘कानूनी रूप से’ संचालित नहीं होते लेकिन ये अलग-अलग देशों की मौद्रिक और क़ानूनी नीतियों पर निर्भर करता है कि वो बिटकॉइन या किसी भी अन्य क्रिप्टोकरेंसी को वैधता देती है या नहीं. जैसे भारत में ये इन्वेस्टमेंट के हिसाब से वैध है लेकिन लेन-देन के हिसाब से नहीं. चाइना ने इसे दोनों ही प्रकार से अवैध घोषित किया हुआ है, वहीं अल-सल्वाडोर ऐसा पहला देश बन गया है जहां का क़ानून इसे लेन-देन और इन्वेस्टमेंट, दोनों ही तरह से यूज़ करने की इजाज़त देता है.

अल-सल्वाडोर के प्रधानमंत्री नाइब बुकेले ने सबसे पहले क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर बनाया (फोटो सोर्स- reuters)
हालांकि इन सब पचड़ों के बावज़ूद भी बिटकॉइन बहुत लोकप्रिय है और इसने सैकड़ों अन्य क्रिप्टोकरेंसी को लॉन्च किया है, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘ऑल्टकॉइन’ कहा जाता है. बिटकॉइन को आमतौर पर BTC के रूप में भी लिखा जाता है. ख़ासतौर पर उन प्लेटफ़ॉर्म्स पर जहां इसकी ख़रीद-फ़रोख़्त की जाती है.
# क्रिप्टोकरेंसीज़ का वर्गीकरण-
‘करेंसी’ नाम के वेब पोर्टल के अनुसार, कुल 7 तरह की क्रिप्टोकरेंसीज़ होती हैं-
# भुगतान-केंद्रित- मतलब वो क्रिप्टोकरेंसीज़ जिनका उपयोग किसी वस्तु या सेवा को ख़रीदने के लिए किया जाता है. जैसे बिटकॉइन, लाइटकॉइन और एथेरियम.
# स्टेबलकॉइन- जैसा नाम से ही पता चलता है, इनकी वैल्यू बहुत तेज़ी से ऊपर-नीचे नहीं होती, क्योंकि इनका मूल्य डॉलर जैसी किसी ‘अंतर्निहित’ (अंडरलाइंग) करेंसी या संपत्ति से आंका जाता है. मतलब किसी स्टेबलकॉइन का मूल्य दो डॉलर होगा तो किसी का पांच रूपये.
# केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी- ऐसी क्रिप्टोकरेंसी जो सरकार या सेंट्रल बैंक द्वारा रेग्यूलेट होती है. इसे ऐसे समझिए, जैसे भारत में रुपया या अमेरिका में डॉलर क्रमशः RBI और फेडरल बैंक द्वारा रेग्यूलेट होता है. अब अगर इससे जुड़े स्टेबलकॉइन ज़ारी किए जाते हैं और ज़ारी करने वाली संस्था भी क्रमशः RBI और फेडरल बैंक हो तो ऐसे स्टेबलकॉइन कहलाएँगे डिजिटल करेंसी.
आपको डिजिटल करेंसी बारे में हम शुरू से ही बताते आ रहे हैं. क्यूं? तीन कारणों से, एक तो ये बिलकुल ही अलग तरह की क्रिप्टोकरेंसी है, जो क्रिप्टोकरेंसी के कई मानकों को पूरा नहीं करती, जैसे इसका डिसेंट्रलाईज़्ड न होना. दूसरा, इसके बारे में अलग से जानना इसलिए भी ज़रूरी है क्यूंकि भारत सरकार या RBI भी अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करने का प्लान बना रही है, चाइना तो इस तरह का प्रयोग पहले ही कर चुकी है. तीसरा, डिजिटल करेंसी क्रिप्टो करेंसी और पारंपरिक करेंसी के बीच की एक कड़ी भी कही जा सकती है. कड़ी, टाइमलाइन के हिसाब से नहीं, कॉन्सेप्ट के हिसाब से.

RBI जल्द ही डिजिटल रूपया लॉन्च करने पर विचार कर रही है (फोटो सोर्स - gettyimages)
# यूटिलिटी (उपयोगिता) टोकन- जो आपकी विशेष सेवाओं तक पहुंच को अनलॉक करते हैं. जैसे ‘लल्लन डिजिटल टोकन’, जिसके बारे में हमने आपको पहले भाग में बताया था.
# गोपनीय कॉइन- जो लेन-देन के दौरान प्रेषकों और प्राप्तकर्ताओं को ‘गुमनामी’ प्रदान करता है.
# शासकीय टोकन- ये टोकन-धारकों को ब्लॉकचेन के भविष्य के विकास को प्रभावित करने वाले निर्णयों में मतदान का अधिकार देता है.
# अप्रतिस्थापित (नॉन फंजिबल) करेंसी- मतलब ऐसे टोकन जिन्हें बदला न जा सके. इस प्रकार के हर टोकन में कुछ ऐसी ‘अद्वितीय’ विशेषताएं होती हैं, जो उन्हें इसी कैटेगरी के अन्य टोकनों से अलग करती हैं.
अब वर्गीकरण को डिटेरजेंट के हिसाब से समझें तो यही हुआ कि तीन प्रकार के डिटेरजेंट होते हैं: हाथ से कपड़े धोने के लिए यूज़ किए जाने वाले, फ़्रंट लोड वॉशिंग मशीन के वास्ते और टॉप लोड वॉशिंग मशीन के वास्ते. लेकिन सवाल तो ये भी है कि इनके क्या-क्या और कितने ब्रांड मार्केट में हैं. मतलब ‘सर्फ़’, ‘टाईड’, ‘निरमा’ सरीखे. ऐसे ही क्रिप्टोकरेंसी का वर्गीकरण तो हमने जान लिया, आइए अब इनके ब्रांड भी जान लेते हैं.
# कुल कितनी क्रिप्टोकरेंसीज़ हैं चलन में?
ये तो हमें पता ही है कि क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 2009 में ‘बिटकॉइन’ से हुई थी. लेकिन क्या आपको पता है कि एक दशक बीतते-बीतते आज विश्व में कुल 7,800 से ज़्यादा क्रिप्टोकरेंसीज़ चलन में हैं. इनमें से टॉप 5 क्रिप्टोकरेंसीज़ का मार्केट सभी क्रिप्टोकरेंसीज़ का 80% है. दूसरी तरफ़ करीब 2000 ऐसी ‘मृत’ क्रिप्टोकरेंसी हैं, जिनका अस्तित्व अब समाप्त हो चुका है. भारतीय रुपये में बात करें तो क्रिप्टोकरेंसीज़ का कुल मार्केट कैप (कुल मूल्य) 70 लाख करोड़ रुपये के करीब है. जापान के सतोषी नाकमोतो द्वारा बनाए गए ‘बिटकॉइन’ का अकेले ही मार्केट कैप (कुल मूल्य) 42 लाख करोड़ रुपये के आसपास है. बिटकॉइन के अलावा दुनिया की अन्य प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसीज़ के नाम ये रहे-
# एथेरियम- बिटकॉइन के बाद दूसरी सबसे प्रसिद्ध और मूल्यवान क्रिप्टोकरेंसी. इसका मार्केट कैप दस लाख करोड़ रुपये के करीब है.

ईथर, बिटकॉइन के बाद सबसे प्रचलित और महंगी क्रिप्टोकरेंसी है (फोटो सोर्स - आज तक)
# टीथर- ये भी एक भुगतान-केंद्रित यानी पेमेंट-फ़ोकस्ड क्रिप्टोकरेंसी है. टॉप तीन क्रिप्टोकरेंसीज़ में आती है.
# रेडकॉइन- टिप वग़ैरा देने में इसका काफ़ी प्रयोग होता है.
# मोनेरो- इसका प्रयोग डार्क वेब में सबसे ज़्यादा किया जाता है. स्मगलर्स, कालाबाज़ारी करने वालों, अवैध काम करने वालों के बीच सबसे ज़्यादा लोकप्रिय.
# डॉज़कॉइन- डॉज़कॉइन हाल ही में काफ़ी प्रसिद्ध हुई है. ये एक मीम बेस्ड करेंसी है. इसे 2013 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बिली और जेक्सन ने मजाक के तौर पर शुरू किया था. चूंकि ये बाकी क्रिप्टोकरेंसीज़ की तरह बहुत मेहनत से नहीं एक मज़ाक़ के तौर पर बनाई गई, इसलिए ये बिटकॉइन के बराबर सिक्योर नहीं है. हालांकि पिछले कुछ महीनों में एलन मस्क के ट्वीट्स के चलते ये काफ़ी चर्चा में रही और लोगों को दिनों या हफ़्तों में करोड़पति से कंगाल या कंगाल से करोड़पति बनाने लगी.

डॉजकॉइन (प्रतीकात्मक तस्वीर - आज तक)
क्रिप्टोकरेंसी के पूरे वर्गीकरण के बारे में जानने के बाद के बाद अगले के एपिसोड में हम उन सभी टेक्निकल टर्म्स के बारे में जानेंगे जिनका इस एपिसोड या अब तक के एपिसोड में ज़िक्र हुआ है. जिसमें शामिल है: माइनिंग, माइनर्स, प्रूफ़ ऑफ़ वर्क, ब्लॉकचेन और कार्बन फुटप्रिंट्स. तो तब तक के लिए विदा. देखते रहिए, ‘एक नया पैसा.’