'हमरी अटरिया पे आओ संवरिया, देखा-देखी बलम हो जाए.'
यह दादरा मेरे दिल की वो फांस बन चुका है जिसे सुई से ख़ूब कुरेदा पर वह नहीं निकली और धंसती चली गई. यह सुनकर गर्दन के पिछले हिस्से से रीढ़ की हड्डी तक जो सिहरन होती है, मैं कोशिश करके भी उससे नहीं बच पाया. और आख़िर में वही हुआ कि यह गिरह मुझसे खोली न गई. राग भैरवी के इस तरजुमे ने मुझे उम्र भर के लिए फांस लिया है. जब सुनता हूं मन संग-संग ठुमकने लगता है और तबीयत हरी हो जाती है. लिखने वाले ने क्या शानदार लिखा और दिग्गजों ने क्या दिलकश गाया. गाने वालों की लिस्ट इतनी बड़ी है कि सबके अपने फेवरेट वर्जन हो गए हैं. कौन सी सुरमयी आवाज़ें आपको अपनी अटरिया पर बुला रही हैं, आइए देखादेखी तनिक होइ जाए:
1. शोभा गुर्टू
मरहूम शोभा गुर्टू को ठुमरी क्वीन का खिताब हासिल है. उनकी आवाज में जो 'हमरी अटरिया' है, उसकी तासीर में थोड़ा सा कच्चापन और है. और यह कच्चापन कुछ तो तबले की मुखर संगत से है और कुछ शोभा ताई की खुरदुरी और पकी आवाज़ का जादू है. बोल भी यहां मुख़्तलिफ़ हैं. शोभा ताई ने मुखड़े के बाद इसे 'नैना मिल जइहैं नज़र लग जइहैं, सब दिन का झगड़ा खतम होइ जाए' करके गाया है, जो अख़्तरी बाई के वर्जन में नहीं है.
हम तुम हैं भोले जग है ज़ुल्मी, प्रीत को पाप कहता है अधर्मी
जग हंसिहै, तुम ना हंसियो, तुम हंसियो तो जुलम भई जाए
https://www.youtube.com/watch?v=Z768VUP3Qjs
2. उस्ताद शुजात खान
लीजेंड्री सितार प्लेयर थे उस्ताद विलायत खान. उनके बेटे हैं शुजात खान और ये भी सितार में माहिर हैं. उनका वाला वर्जन बाकी से इसलिए अलग है क्योंकि इसमें सितार की भूमिका प्रधान है और बोल कोरस में लगते हैं. बात सितार से ही शुरू होती है और लगातार साढ़े तीन मिनट तक चलती है. इस दौरान राब्ते में रुकावट नहीं आती और ताल्लुक़ का कोई तार नहीं टूटता है. फिर निचले नोड पर शुजात खान की ठहरी और जगजीत सिंह की याद दिलाती आवाज में बोल हैं जो इस संगीत में इजाफे की तरह आते हैं. आगे की कहानी भी सितार ही कहता है. सुनते हुए इंस्ट्रूमेंटल वर्जन वाली फील आती है. म्यूजिक प्लेयर को रिपीट पर लगाइए और पच्चीस बार सुनिए. https://www.youtube.com/watch?v=c8h64Tv2Pjk
3. ताहिर कव्वाल
ताहिर साहब मूल रूप से कनाडा से हैं और ज़ाहिराना तौर पर गैर हिंदी-गैर उर्दू भाषी जमीन से आते हैं. उन्होंने तबला मास्टर हरजीत सेयान सिंह से हिंदुस्तानी संगीत सीखा और फिर ताहिर कव्वाल के नाम से जाने गए. 'हमरी अटरिया' का ये वर्जन उनके लिए है जो इस्कॉन टाइप भजन चाव से सुनते हैं या जो भारतीय गीतों को विदेशियों के मुख से सुनकर उल्लासित होते हैं. लेकिन ताहिर अपनी अंग्रेजी जुबान के असर से झगड़ा को 'झगडा' और खतम को 'खटम' कहते हैं तो हमें तो बहुत खटकता है. हालांकि बांसुरी वगैरह की संगत है तो एकाध बार सुन सकते हैं. https://www.youtube.com/watch?v=FLhOncCuwZI
4. रेखा भारद्वाज
ये 'हमरी अटरिया' का सबसे नया वर्जन है तो साउंड मिक्सिंग का जलवा ज्यादा है. सुकून की उम्मीद में सुनने पर निराश करता है. इकलौती चीज़ जो सुहाती है वह है रेखा की आवाज़. वह बॉलीवुड की उन गिनी-चुनी आवाज़ों में हैं जो ठुमरियों-ग़ज़लों के ज़्यादा मुफीद है. पीछे का शोर ज़रा कम होता तो बेहतर होता, अभी डांस नंबर ज्यादा लगता है. गुलज़ार ने ओरिजिनल मुखड़े का बोल उठा लिया है और आगे का अपने तरीके से गह लिया है. 'आ जा गिलौरी खिलाय दूं किमामी, लाली पे लाली तनिक हुई जाए' ये लाइन मारक है. पर सुबह एक बार अख़्तरी बाई या शोभा ताई को सुन लिया जाए तो रेखा असरदार नहीं लगतीं. https://www.youtube.com/watch?v=-BOWrHtthyc
5. मालिनी अवस्थी
मालिनी अवधी और भोजपुरी में ज़्यादा गाती हैं तो उन्होंने 'आओ' को 'आवो' और 'झगड़ा' को 'झगरा' करके आंचलिक टच देने की कोशिश की है. हारमोनियम, सितार और तबले की संगत है. लेकिन लगता है कि वह बिना तैयारी के जल्दबाज़ी में गा गई हैं, इसलिए पोटाश मिसिंग है. कुछ ऐसा ही कि मुग़ल बावर्चीख़ाने में पोले हाथों से बना शीरमाल खाने के बाद कोई आपको डालडा में बना लड्डू परोस दे. फिर भी 'हमरी अटरिया' के तलबगार एक बार सुन सकते हैं. https://www.youtube.com/watch?v=mdVOGcoZFnY
6. बेगम अख़्तर
और अब सबसे मुक़म्मल संस्करण उस आवाज़ में जिसके सहारे प्रेम के अनगिन पल भ्रूण हत्या का शिकार होने से बचते रहे. वह आवाज़ जो सुक़ून और मरहम का दूसरा नाम है और जिनके बारे में मैं कहता हूं कि वो न होतीं तो चोट खाए आशिक जाने क्या करते और कहां जाते. बेग़म अख़्तर उर्फ अख़्तरी बाई ने 'हमरी अटरिया पे आओ' को अपना बना लिया है. दोनों एक-दूसरे से पहचाने जाते हैं और तमाम वर्जन पायरेटेड से लगने लगते हैं. 'आओ' को जिस तरह वह तान और विस्तार देती हैं, निमंत्रण सजीव हो जाता है. उस्तादी का फ़न यही है कि मामूली लफ़्ज़ों में भी असर आ जाए. न एक इंच इधर, न उधर. उनके वर्जन की तासीर ऐसी है कि इसमें सलमां सितारे नहीं हैं. चीख चिल्लाहट और बहुत शीरींपन भी नहीं है. सब कुछ सादा है और फिर भी सीधे छाती पर असर करता है. https://www.youtube.com/watch?v=B6noCddu-7g
हमरी अटरिया के बोल:
हमरी अटरिया पे आओ संवरिया, देखा-देखी बलम हो जाए
तसव्वुर में चले आते हो कुछ बातें भी होती हैं
शब-ए-फुरक़त भी होती है, मुलाक़ातें भी होती हैं
हमरी अटरिया पे... प्रेम की भिक्षा मांगे भिखारन, लाज हमारी रखियो साजन
आओ सजन तुम हमरे द्वारे, सारा झगड़ा खतम होइ जाए
हमरी अटरिया पे... तुम्हारी याद आंसू बनकर आई चश्म-ए-वीरां में
ज़हे-क़िस्मत के वीरानों में बरसातें भी होती हैं
हमरी अटरिया पे...
और ये शोभा गुर्टू वाले वर्जन में
हम तुम हैं भोले जग है ज़ुल्मी, प्रीत को पाप कहता है अधर्मी
जग हंसिहै, तुम न हंसियो, तुम हंसियो तो जुलम भई जाए
नैना मिल जइहैं नज़र लग जइहैं, सब दिन का झगड़ा खतम होइ जाए