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तेजस से DRDO का ‘उत्तम’ रडार आउट, HAL ने इजरायली सिस्टम पर लगाई मुहर, ‘आत्मनिर्भर भारत’ को झटका

स्वदेशी फाइटर जेट Tejas में इस्तेमाल करने के लिए DRDO के Uttam Radar को Hindustan Aeronautics Limited ने नकार दिया है. इसकी जगह HAL ने इजरायली कंपनी ELTA के Radar को तरजीह दी है.

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तेजस विमान की डिलीवरी को फास्ट-ट्रैक करने पर काम चल रहा है (PHOTO-Indian Air Force)

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारत के स्वदेशी सिस्टम ने शानदार प्रदर्शन किया. चाहे वो आकाशतीर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम हो या आकाश मिसाइल (Akash Missile) सिस्टम, हर सिस्टम ने पाकिस्तान से आ रहे किसी भी हवाई खतरे को बखूबी रोका. यहां तक कि भारत में बने कुछ स्वदेशी ड्रोन्स का भी इस्तेमाल किया गया. लेकिन फिर भी स्वदेशी विमान Tejas में इस्तेमाल करने के लिए देसी रडार सिस्टम, ‘Uttam Radar’ को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने नकार दिया है. इसकी जगह HAL ने इजरायली कंपनी ELTA Systems को तरजीह दी है. तो जानते हैं कि दोनों सिस्टम्स में कितने अलग हैं? और HAL के इस फैसले का 'आत्मनिर्भर भारत' पर क्या असर पड़ेगा?

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रडार 

एक समय था जब दो विमानों की डॉगफाइट यानी हवा में सीधी लड़ाई होती थी. आज भी वो जमाना है, लेकिन अब बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल्स (BVR Missiles) के आ जाने से डॉगफाइट कम ही देखने को मिलती है. अपनी ही सीमा में रह कर दुश्मन को न सिर्फ ट्रैक किया जा सकता है, बल्कि मार गिराया जा सकता है. इस लिहाज से देखें तो ट्रैकिंग किसी लड़ाकू विमान के सबसे अहम कंपोनेंट्स में से एक है. अगर रडार न हो तो विमान न खुद को नेविगेट कर पाएगा, न दुश्मन या उसकी फायर की हुई मिसाइल को. और जंग के मैदान में इसकी कोई गुंजाइश नहीं है.

भारत का स्वदेशी विमान तेजस भी रडार से अछूता नहीं है. उसमें भी आगे के हिस्से माने नोज पर एक ऐसा रडार लगाया जाता है, जो उसे टारगेट्स की जानकारी भेजता है. इसे एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (Active Electronically Scanned Array), शॉर्ट में AESA रडार कहते हैं. भारत के तेजस में अब तक DRDO का बनाया हुआ उत्तम AESA रडार इस्तेमाल होता था. इंडिया टुडे की रिपोर्ट कहती है कि तेजस बनाने वाली कंपनी HAL ने DRDO की जगह इजरायल में बने Elta Systems के EL/M-2052 को तरजीह दी है. AESA, एक ऐसा रडार सिस्टम है जिसे आमतौर पर विमान की नोज यानी सबसे अगले हिस्से पर लगाया जाता है. इसे ध्यान से देखने पर ये किसी मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखता है. इसमें कई छोटे-छोटे ट्रांसमिटर्स और रिसीवर्स होते हैं. AESA रडार की मदद से विमान कई कामों को अंजाम देते हैं जैसे-

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  • फास्ट ट्रैकिंग. 
  • एक साथ कई टारगेट्स को इंगेज कर सकते हैं. 
  • खुद के डिटेक्ट होने के चांस काफी कम होते हैं. 
  • सिग्नल या रेडियो जैमिंग से बचाते हैं.
DRDO- उत्तम रडार

जैसा कि इसके नाम से जाहिर है इस रडार को डीआरडीओ यानी डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने बनाया है. इस रडार को तेजस के वर्जन Mk1A,  स्टेल्थ फाइटर जेट AMCA और सुखोई Su-30MkI के अपग्रेडेड वर्जन में लगाया जाएगा. शुरुआती ट्रायल्स के बाद ये कन्फर्म था कि तेजस Mk1A मे इसे जाहिर तौर पर इंटीग्रेट किया जाएगा. इसके कुछ फीचर्स को देखें तो 

  • सॉलिड स्टेट TR (Transmitting/Receiving)मॉड्यूल पर काम करता है. यानी इसमें ट्रांसमिट और रिसीव, दोनों काम करता है. सॉलिड स्टेट का होने की वजह से इसमें सिग्नल भेजने के लिए वैक्यूम ट्यूब्स की जगह सेमीकंडक्टर्स का इस्तेमाल होता है.
  •  एक साथ 50 टारगेट्स से अधिक को इंगेज कर सकता है. 
  • हवा से हवा (Air to Air) और हवा से जमीन (Air To Ground) ऑपरेशंस में कारगर है. 
  • ओपन डिजाइन की वजह से भविष्य में आसानी अपग्रेड भी किया जा सकता है. 
  • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (जैमिंग आदि) की वजह से जंग के लिए मुफीद.
UTTAMRADAR TEJAS
तेजस में लगा उत्तम रडार

HAL अगर तेजस में उत्तम रडार लगाती है तो उसे कई तरह के फायदे हो सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण ये है कि HAL को किसी विदेशी कंपनी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. साथ ही इंडियन होने की वजह से डिलीवरी भी फास्ट-ट्रैक होगी. फाइटर जेट्स हों,  ड्रोन्स हों या UAV हों, सब में इसे आसानी से इंटीग्रेट किया जा सकेगा. इसके अलावा विदेशी सिस्टम्स की तुलना में खर्च भी कम आएगा.

ELTA रडार सिस्टम्स - इजरायल

रडार और सेंसर्स के मामले में इजरायली तकनीक निश्चित तौर पर शानदार है. इजरायल के सेंसर्स की बदौलत ही वो अपने दुश्मनों पर नजर रखता है. जिस सिस्टम को तेजस में लगाने की बात हो रही है, उसे इजरायल की कंपनी ELTA सिस्टम्स बनाती है. इसका नाम EL/M-2052 AESA Radar है. इसे इंडियन एयरफोर्स के मल्टीरोल फाइटर जेट्स तेजस के अलावा जगुआर, मिग-29 और के लिए भी मुफीद माना जाता है. इसकी सबसे अच्छी बात ये है कि इसे कई देश पहले से इस्तेमाल कर रहे हैं. इसकी क्षमताओं का टेस्ट एक तरह से हो चुका है. इसलिए इसे एक उन्नत रडार माना जाता है. इसके कुछ फीचर्स पर नजर डालें तो-

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  • 60 से अधिक टारगेट्स को इंगेज कर सकता है. 
  • 150 किलोमीटर से अधिक दूरी पर भी फाइटर जेट्स को ट्रैक कर सकता है. 
  • मल्टी-मोड रडार से लैस है. 
  • टेरेन यानी इलाके के हिसाब से इसमें मोड्स हैं. 
  • एयर टू एयर और एयर टू ग्राउंड के अलावा मरीन यानी नेवल मिशंस में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. 
  • इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर में दुश्मन को चकमा दे सकता है.
ELTA SYSTEMS RADAR
ELTA Systems का 

भारत अगर तेजस के लिए इजरायली रडार को चुनता है तो उसे इसके बैटल टेस्टेड होने का फायदा मिलेगा. यानी ये सिस्टम्स पहले से टेस्ट किए हुए हैं. साथ ही भारत को बिल्कुल टॉप टेक्नोलॉजी मिलेगी. भारत के पुराने पर शानदार मिग-29 और जगुआर जैसे विमानों में भी इसे इंटीग्रेट किया जा सकता है. और रक्षा क्षेत्र में इजरायल से अच्छे रिश्ते होने का फायदा भारत को मिलेगा. सप्लाई, मेंटेनेंस जैसी कोई लॉजिस्टिकल समस्या आने की उम्मीद कम है.

आत्मनिर्भर भारत को झटका

बीते कुछ सालों से भारत लगातार रक्षा क्षेत्र में खुद को आत्मनिर्भर बनाने पर काम कर रहा है. भारत में कई नई कंपनियां उभर कर सामने आईं हैं जो एक से बढ़ कर एक हथियार और इक्विपमेंट बना रही हैं. DRDO ने लगातार मेहनत कर के उत्तम रडार को तैयार किया है. कई सारे टेस्ट्स में पास होने के बाद इसे इंडियन एयरफोर्स के विमानों में लगाया भी गया है. बावजूद इसके HAL ने तेजस के बाकी बचे विमानों के लिए इसे नकार दिया है. नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट कहती है कि पहले रफाल मरीन की डील के समय भी उसमें उत्तम रडार को लगाने का प्लान था. लेकिन बाद में दसॉ एविएशन इसके लिए राजी नहीं हुआ. अब ये विदेशी कंपनियों का प्रेशर था या दसॉ की मजबूरी ये तो पता नहीं. लेकिन इससे मेक इन इंडिया कर तरह बने उत्तम रडार का पत्ता रफाल मरीन से जरूर कट गया.

(यह भी पढ़ें: AI, लेजर और हाइपरसोनिक तकनीक: भारत के 5 फ्यूचर हथियार जो बदल देंगे जंग का अंदाज़)

लेकिन यहां एक गौर करने वाली बात है कि कोई भी विदेशी कंपनी अगर कोई प्रोडक्ट किसी देश को बेचती है, तो वो यही चाहती है कि उसमें ज्यादा से ज्यादा उसके ही कंपोनेंट्स लगें. ये उस कंपनी की मजबूरी भी है. भारत के हथियार शानदार हैं, इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन इजरायल के हथियार या रडार सबसे टॉप क्वालिटी के हैं. वजह ये है कि वो काफी समय से डेवलप हो रहे हैं. भारत के सिस्टम्स उन्नत तो हैं, लेकिन नए हैं. इसलिए अभी देश के बाहर अपनी साख बनाने में उन्हें कुछ वक्त लगेगा. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में जिस तरह इंडियन सिस्टम्स ने अपना दम दिखाया है, उसने पूरी दुनिया की नजरों में भारत के सिस्टम्स को ला दिया है.

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