एक संयुक्त परिवार में हर तरह के लोग होते हैं. कुछ लोग बेहद खुशनुमा होते हैं, तो कुछ लोग हमेशा गुस्से में दिखते हैं. कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जो मौके-बेमौके नाराजगी दिखाते हैं. मौके-बेमौके नाराज होने वालों में सबसे बड़े होते हैं घर के फूफा. मौका पड़ने पर वो नाराज हो जाते हैं. ऐसे ही राजनीतिज्ञों का भी एक परिवार होता है. ये परिवार एक समान विचारधारा के लोगों का होता है, जिसमें दोनों ही तरह के लोग होते हैं. सत्ताधारी बीजेपी के साथ भी कुछ ऐसा ही है. इस परिवार में फूफा के तौर पर दिखते हैं स्वामी रामदेव. वो हर मौके-बेमौके नाराज होते रहते हैं और उसे जाहिर भी करते रहते हैं.

सरकार के लिए बजट भी किसी परिवार की शादी की तरह एक बड़ा मौका होता है. 1 फरवरी सरकार के लिए ऐसा ही मौका था. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया. उसके एक दिन बाद बाबा रामदेव 2 फरवरी को न्यूज़ चैनल इंडिया टीवी पर आए और बजट पर बात की. इस दौरान उनका अंदाज परिवार के फूफा वाला था, जिसमें उनकी नाराजगी दिख रही थी. उन्होंने कहा-
# टैक्स में छूट मिलनी चाहिए. इसकी सीमा कम से कम पांच लाख रुपये होनी चाहिए थी. हो सकता है कि सरकार जल्दी ही इसपर कोई फैसला लेगी. # शेयर मार्केट में 10 फीसदी का जो टैक्स लगाया गया है, उससे मध्यम वर्ग नाराज है.
# बजट वोट बैंक का तंत्र नहीं है, बजट वो दस्तावेज है जो बताता है कि देश आगे कैसे बढ़ेगा. # सरकार को सरकारी स्कूलों की शिक्षा को सुधारने पर जोर देना होगा. क्योंकि सरकारी स्कूलों की हालत बहुत खराब है.
# बाबा रामदेव यहां बैठे हुए हैं और प्रधानमंत्री मोदी विदेशी कंपनियों के लिए लाल कालीन बिछा रहे हैं. # मल्टीनेशनल कंपनियां पांच लाख करोड़ रुपये विदेशों में ले जा चुकी हैं, जिसका देश को कोई फायदा नहीं हुआ है.
# अभी तक किसानों को उनकी खेती से कोई फायदा नहीं होता है. उनकी आमदनी बस इतनी सी होती है कि वो अपनी रोज की ज़रूरतें पूरी कर सकें. # लोग जीएसटी से परेशान हैं. सरकार को जीएसटी के बारे में लोगों को ठीक तरह से जागरूक करना चाहिए.
# सरकार को गैस, डीजल और पेट्रोल के दाम कम करने चाहिए. # मैं खुद भी आयुष मंत्रालय के काम काज से खुश नहीं हूं. मोदीजी को आयुर्वेद पर टैक्स कम करने में दिक्कत है.
# शिक्षा और स्वास्थ्य में किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. इसके लिए अमीर और गरीब के बीच बंटवारा नहीं होना चाहिए. # मैंने हमेशा मनमोहन सिंह का समर्थन किया है और आज की तारीख में भी मैं मनमोहन सिंह की ईमानदारी का कायल हूं.
ये भी पढ़ें: वो 5 कदम, जिससे मोदी सरकार भारत के गांवों को साध रही है मनमोहन ने पीएम मोदी से कहा- आपसे ना हो पाएगा अरुण जेटली की पत्नी ने बजट को 10 में 10 क्यों नहीं दिए? क्या होता है ‘सेस’ जो चोरी से आपकी जेब काट लेता है? पीएम मोदी और अरुण जेटली ने इस बजट में अब तक का सबसे बड़ा शिगूफा छोड़ा है! अरुण जेटली ने जो पेश किया वो बजट ही नहीं था, ये रहे सुबूत बजट पहले शाम पांच बजे क्यों पेश किया जाता था? हमने 2018-19 के इनकम टैक्स की सारी बातें दो के पहाड़े सी आसान कर दी हैं बजट में 50 करोड़ लोगों को फायदा, लेकिन मिडल क्लास नाराज जानिए इस बजट में मिडिल क्लास को क्या मिला