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इंडियन एयरफ़ोर्स ने ईरान से आया बड़ा ख़तरा टाल दिया!

W581 में बॉम्ब थ्रेट की पूरी कहानी क्या है? प्लेन का आगे क्या हुआ?

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W581 में बॉम्ब थ्रेट की पूरी कहानी क्या है?

03 अक्टूबर की सुबह किसी आम दिनों की तरह बीत रही थी. इतने में ख़बर फ़्लैश हुई कि इंडियन एयरफ़ोर्स (IAF) ने हाई अलर्ट जारी किया है. पता चला कि IAF ने अपने फ़ाइटर जेट्स भी हवा में तैनात कर दिए हैं. ये सारा तामझाम एक चेतावनी की वजह से हो रहा था. ये चेतावनी ईरान की महान एयरलाइंस की फ़्लाइट W581 से आ रही थी. दरअसल, एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल (ATC) को सूचना मिली थी कि प्लेन में बम रखा है. इस प्लेन का तय रूट ईरान की राजधानी तेहरान से चीन के ग्वांग्झू के बीच का था. लेकिन नई दिल्ली के पास  पहुंचते ही इसकी ऊंचाई घटने लगी. फिर प्लेन के पायलट ने दिल्ली एयरपोर्ट के एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल से संपर्क किया. खतरे को देखते हुए IAF के फ़ाइटर जेट्स ने मोर्चा संभाला. पायलट को दो विकल्प दिए. चंडीगढ़ और जयपुर. लेकिन पायलट प्लेन को दिल्ली में उतारना चाहता था. 45 मिनट तक अफरातफरी मची रही. फिर प्लेन अपने तय रूट की तरफ़ मुड़ा और आगे निकल गया.

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तो, आज हम जानेंगे,

- W581 में बॉम्ब थ्रेट की पूरी कहानी क्या है? प्लेन का आगे क्या हुआ?
- इंडियन एयरफ़ोर्स को अपने फ़ाइटर जेट्स क्यों तैनात करने पड़े?
- और, प्लेन में बॉम्ब थ्रेट की स्थिति से निपटने के लिए नियम क्या-क्या हैं?

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03 अक्टूबर की सुबह तीन बजकर 45 मिनट पर महान एयरलाइंस की फ़्लाइट W581 ने ईरान की राजधानी तेहरान के इमान ख़ोमैनी एयरपोर्ट से उड़ान भरी. फ़्लाइटरडार 24 के डेटा के अनुसार, इस प्लेन को ईरान के बाद अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार और चीन के एयरस्पेस में दाखिल होना था. चीन का ग्वांग्झू में इसका डेस्टिनेशन था. आज से पहले तक W581 तय प्रोसेस और रूट पर चल रहा था.

लेकिन 03 अक्टूबर की सुबह रूटीन में खलल पड़ गई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जैसे ही प्लेन भारत की हवाई सीमा में दाखिल हुआ, पायलट ने नई दिल्ली में एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल (ATC) से संपर्क किया. ATC भारत की हवाई सीमा में उड़ रहे प्लेन्स पर नज़र रखती है. उनके बीच सुरक्षित दूरी बनाने का काम करती है ताकि उनका आपस में कोई टकराव ना हो. ATC प्लेन्स को सेफ़ रूट मुहैया कराती है. प्लेन को लैंड कराने में मदद करती है. पायलट और सपोर्ट स्टाफ़ को सटीक उड़ान के लिए सलाह देती है. कई देशों में ATC सिक्योरिटी एजेंसी की तरह भी काम करती है. वो ख़तरे की स्थिति में सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है.

जैसा कि 03 अक्टूबर को हुआ. W581 के पायलट ने दिल्ली ATC को बताया कि उसके प्लेन में बम रखा है. भारत के एयरस्पेस में घुसते ही फ़्लाइट की ऊंचाई घटने लगी थी. ये पहले 35 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था. भारतीय सीमा में आते ही ये घटकर 21 हज़ार फ़ीट पर आ गया. ATC ने तुरंत सुरक्षा एजेंसियों और IAF को इसकी जानकारी दी.

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भारत की हवाई सीमा की पूरी ज़िम्मेदारी इंडियन एयरफ़ोर्स के पास है. IAF के अड्डों पर हर समय इमरजेंसी फ़्लाइट्स तैयार रहतीं है. आपात स्थिति में फ़ाइटर पायलट्स मिनटों के भीतर हवा में तैनात हो सकते हैं. ये तेज़ी 03 अक्टूबर को भी देखने को मिली. अलर्ट जारी होने के कुछ ही समय बाद दो सुखोई विमान हवा में थे. उन्होंने ईरानी प्लेन को घेर लिया. उन्होंने प्लेन के क्रू से संपर्क किया. फिर उसे पहले जयपुर और फिर चंडीगढ़ में उतरने का ऑप्शन दिया. लेकिन पायलट ने इससे मना कर दिया. वो प्लेन को दिल्ली में ही उतारना चाहता था. जब तक ये चल रहा था, तब तक W581 ने दिल्ली का चक्कर लगाना जारी रखा. इस दौरान IAF के फ़ाइटर जेट्स ने प्लेन को घेरे रखा. ताकि किसी अप्रिय घटना को टाला जा सके. हालांकि, 45 मिनट बाद W581 ने अपनी ऊंचाई और तय रूट को वापस हासिल कर लिया. इस बीच ईरान की एजेंसियों ने भी भारत की सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क कर लिया था. उन्होंने कहा कि बॉम्ब थ्रेट को गंभीरता से ना लिया जाए. ये बस एक अफवाह थी. आख़िरकार, प्लेन अपने तय रूट पर वापस निकल गया. इसके बावजूद, जब तक प्लेन भारत की हवाई सीमा में रहा, तब तक भारत ने उसके ऊपर नज़र बनाए रखी. जब इसने इंडियन एयरस्पेस को छोड़ दिया, तब अलर्ट हटा लिया गया. ताज़ा जानकारी के अनुसार, W581 सुरक्षित ग्वांग्झू में लैंड कर चुका है.

इस घटना पर IAF ने क्या कहा?

IAF ने अपने बयान में कहा,

03 अक्टूबर 2022 को हमें एक ईरानी प्लेन में बम होने की सूचना मिली. उस समय ये प्लेन भारत की हवाई सीमा से होकर गुज़र रहा था. सूचना मिलने पर फ़ाइटर एयरक्राफ़्ट तैनात किए गए. उन्होंने सुरक्षित दूरी से प्लेन का पीछा किया. प्लेन को जयपुर और फिर चंडीगढ़ में उतारने का विकल्प दिया गया. हालांकि, पायलट ने ये विकल्प लेने से इनकार कर दिया. कुछ समय बाद तेहरान से कहा गया कि बॉम्ब थ्रेट को नज़रअंदाज कर दिया जाए. इसके बाद प्लेन अपने तय रूट की तरफ़ बढ़ गया. IAF ने मिनिस्ट्री ऑफ़ सिविल एविएशन और ब्यूरो ऑफ़ सिविल एविएशन सिक्योरिटी के साथ मिलकर नियमों के तहत कार्रवाई की. जब तक प्लेन भारत की हवाई सीमा में रहा, तब तक एयरफ़ोर्स ने रडाव सर्विलेंस के जरिए उसपर नज़र बनाकर रखी.’ये तो हुई W581 की कहानी. अब प्रोसेस समझ लेते हैं. 

बॉम्ब थ्रेट की स्थिति में क्या होता है?

इसके लिए हमें पहले एयरस्पेस को समझना होगा. किसी भी देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा के ऊपर के आसमान पर संबंधित देश का अधिकार होता है. उसके पास ये तय करने का हक़ है कि वो किस प्लेन को अपनी सीमा से होकर गुज़रने देना चाहता और किसे नहीं. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान आपने इस तरह की कई ख़बरें सुनी होंगी. मसलन, यूरोपियन यूनियन ने रूसी एयरलाइंस को अपने एयरस्पेस से बैन किया. इसका मतलब ये हुआ कि कोई भी रशियन प्लेन EU के देशों के ऊपर से नहीं गुजर सकता. अगर किसी ने बैन का पालन नहीं किया तो क्या होगा? ऐसी स्थिति में इसे कानून का उल्लंघन माना जाएगा. उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती है. पहले चेतावनी और अंतिम स्थिति में प्लेन को नीचे गिराया जा सकता है.

भारत में हवाई सीमा की सुरक्षा IAF करती है. ये सर्फ़ेस-बेस्ड रडार सिस्टम या एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम और एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) के ज़रिए एयरस्पेस की निगरानी करती है. भारत के एयरस्पेस में घुसने से पहले किसी भी एयरक्राफ़्ट को संबंधित एजेंसियों से परमिशन लेनी पड़ती है. उनके लिए एंट्री और एग्जिट का पॉइंट भी निर्धारित होता है. अगर कोई प्लेन बिना इजाज़त के ग़लत रास्ते से घुसने की कोशिश करे, फिर एयरफ़ोर्स एक्टिव हो जाती है. IAF के आर्म्ड फ़ाइटर जेट्स स्टैंडबाय पर रहते हैं. फ़ाइटर जेट्स प्लेन के करीब जाकर उन्हें नजदीकी एयरपोर्ट पर उतरने के लिए कहते हैं. पहले ये पता किया जाता है कि प्लेन से ख़तरा कितना है. अगर पायलट संकेतों को मानने से इनकार कर दे तो अंतिम स्थिति में प्लेन को हवा में मारकर गिराया जा सकता है. जानकारों की मानें तो ऐसा यदा-कदा ही होता है. आम स्थिति में प्लेन्स ग़लती से किसी दूसरे देश की सीमा में घुस जाते हैं. चेतावनी के बाद वे अपना रास्ता बदल लेते हैं.

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