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ये डायटम टेस्ट क्या है, जो बता रहा मनसुख हिरेन डूबते समय ज़िंदा थे

मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक वाली कार के मामले में मनसुख हिरेन का नाम आया था.

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अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक वाली कार मिलने के मामले को लेकर मनसुख हिरेन (बाएं) सवालों में आए थे, और डायटम (दाएं).
मुंबई का एंटीलिया केस. वही जिसमें मुकेश अंबानी के घर 'एंटीलिया' के बाहर स्कॉर्पियो कार में विस्फोटक मिला था. मामला सामने आने के बाद ठाणे के व्यापारी मनसुख हिरेन की लाश बरामद हुई. लाश की फ़रेंसिक जांच हुई. और फ़रेंसिक जांच में एक ऐसा टेस्ट हुआ, जिसके बाद कहा जा रहा है कि मनसुख हिरेन जिस समय डूबे, उस समय वह ज़िंदा थे.  किस टेस्ट की बिना पर ये बातें हो रही हैं? डायटम टेस्ट. अंग्रेज़ी में लिखें तो DIATOM. इस टेस्ट के नतीजे के आधार पर ये संभावना जताई जा रही है. ये टेस्ट क्या होता है, और इसकी कितनी अहमियत है आज इस ख़बर में हम इसी बारे में बतायेंगे. डायटम क्या होता है?  पहले समझें कि डायटम होता क्या है. डायटम मतलब एक शैवाल. एल्गी (Algae). अब आप पूछेंगे कि शैवाल क्या होता है तो आपको सबसे नज़दीकी उदाहरण से समझाते हैं. बारिश होती है तो दीवारों और ज़मीनों पर हरे रंग की काई जम जाती है. जहां-जहां नमी होती है, वहां. वही शैवाल होता है. समुद्र के अंदर तो बहुत सारे शैवाल होते हैं. पेड़ जितने बड़े-बड़े. और बहुत छोटे-छोटे भी. इतने छोटे कि नंगी आंख से दिखाई नहीं देते. पानी की बूंदों को माइक्रोस्कोप में रखना पड़ता है, तब दिखाई देते हैं ये छोटे शैवाल. ये भी पेड़ों और पौधों की तरह सूर्य की रोशनी से खाना और ऑक्सीजन बनाते हैं. इनकी ही वजह से पानी के भीतर भी ऑक्सीजन मौजूद रहती है. कहने का मतलब ये कि ये डायटम ऐसे ही नन्हें, बहुत नन्हें शैवाल ही हैं. अब मान लीजिए किसी व्यक्ति की डूबने से मौत हो गयी. उस व्यक्ति के शरीर के कई हिस्सों में ये डायटम मिलेंगे. और डायटम फ़रेंसिक टेस्ट में इन्हीं की जांच की जाती है. किस-किस हिस्से में मिल सकते हैं डायटम? रिसर्च के मुताबिक, जब किसी व्यक्ति के अंदर डूबते समय जान होती है, तो वो व्यक्ति पानी के अंदर सांस लेने की कोशिश करता है. अगर बाक़ायदे सांस नहीं आयी, तो वो व्यक्ति ना चाहते हुए भी बहुत सारा पानी पी जाता है. ऐसे में ये डायटम पेट के कुछ हिस्से में तो मिलेंगे ही, साथ ही फेफड़ों में भी मिल सकते हैं. अब डूबते समय व्यक्ति का जो शरीर है, वो ऑटोमैटिक तरीक़े से पानी को खांसकर निकालने की कोशिश करता है. ऐसे में फेफड़े की दीवारों में दरार आ जाती है. और ऐसे में ये डायटम फेफड़े से निकलकर ख़ून में मिल जाते हैं, और शरीर के दूसरे हिस्से तक पहुंच जाते हैं. कई केसों में ये डायटम अस्थिमज्जा यानी Bone Marrow तक पहुंच जाते हैं. लिवर, किडनी और दिमाग के कई हिस्से तक भी पहुंच जाते हैं. पानी के साथ-साथ.  कैसे होता है डायटम टेस्ट? व्यक्ति की लाश के कुछ हिस्सों, ख़ासकर अंदरूनी हिस्सों को, पोस्ट्मॉर्टम के वक़्त सुरक्षित रख लिया जाता है. इन हिस्सों को फ़रेंसिक लैब में ले जाया जाता है. वहां इन हिस्सों को ख़ास तरह के एसिड से गलाकर स्पेशल टेक्नीक से डायटम निकाला जाता है. और शरीर के इन अलग-अलग हिस्सों में डायटम की गिनती की जाती है.  अपनी प्रवृत्ति में डायटम बहुत दिनों तक बिना सड़े-गले बचे रहते हैं. ऐसे में डूबने से जल्दी ख़राब हुई लाशों में भी अच्छी स्थिति में डायटम मिल जाते हैं. कुछ रिसर्च में ये भी दावा किया गया है कि जिन केसों में लाशें गलकर बिल्कुल ख़त्म हो चुकी होती हैं और सिर्फ़ हड्डियां बची होती हैं, उनमें भी हड्डी के बीच में मौजूद बोन मैरो से डायटम टेस्ट किया जा सकता है.  रिज़ल्ट कैसे निकलता है? शरीर के अलग-अलग हिस्सों में डायटम की मात्रा का आकलन किया जाता है. एक निश्चित संख्या या उससे ज़्यादा मात्रा में डायटम मिले, तो ये माना जा सकता है कि व्यक्ति की मौत डूबने से हुई है. कोई व्यक्ति डूबने से मरा है, तो ज़ाहिर है कि शरीर में ज़्यादा मात्रा में डायटम मिलेंगे क्योंकि वो व्यक्ति सांस लेने की कोशिश में बहुत सारा पानी अपने अंदर लेगा. किसी व्यक्ति की लाश को मौत के बाद यदि पानी में फेंका गया है, तो उसके शरीर में तुलनात्मक रूप से कम डायटम मिलेंगे.  क्या डायटम टेस्ट एकदम पक्की जांच है? ऐसा नहीं कह सकते. मनसुख हिरेन के केस में भी अधिकारियों का कहना है कि इस डायटम टेस्ट के रिज़ल्ट के आधार पर आख़िरी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सकता. मान लीजिए किसी व्यक्ति की मौत किसी चोट या घाव की वजह से हुई है, या उसकी मौत के पहले से ही उसके शरीर पर खुले घाव या चोट मौजूद हैं, तो उसके शरीर में भी डायटम मिलेंगे, लेकिन कम. अब कोई व्यक्ति किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित है, जैसे हृदय रोग या किसी दूसरी बीमारी की वजह से फेफड़े कमज़ोर हैं, तो पानी में डूबने से मौत तो होगी लेकिन व्यक्ति के शरीर में सामान्य परिस्थितियों की तुलना में कम पानी जाएगा, ऐसे में शरीर में डायटम की कम मात्रा मिलेगी.  कई वैज्ञानिक कहते हैं कि डायटम से आइडिया लग जाता है, लेकिन निष्कर्ष पर सीधे-सीधे पहुंचना थोड़ा मुश्किल होता है.