सवाल - S400 है क्या?
हमने समय-समय पर S400 खरीद के बारे में दी लल्लनटॉप शो में बताया है. ये एक एयर डिफेंस सिस्टम है. इसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें होती हैं. ये हवा से आने वाले खतरे से निपटने के लिए काम आता है. हवा से आने वाला खतरा मतलब दुश्मन का फाइटर जेट. अमेरिकी वायुसेना का F35 दुनिया का सबसे बढ़िया स्टेल्थ जेट माना जाता है, जिसका सीरियल प्रोडक्शन फिलहाल चल रहा है. अभी तक F35 और S400 का सामना नहीं हुआ है. लेकिन S400 एक साथ छह F35 को निशाने पर ले सकता है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि S400 f35 को गिरा सकता है.एयर डिफेंस की पारंपरिक तकनीक सिर्फ फाइटर जेट पर निशाना लगा पाती थी. लेकिन S400 एक बार में 100 टार्गेट पहचान सकता है और 400 किलोमीटर की रेंज में 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन को भी गिरा सकता है. इसीलिए अमेरिका तक के कई रक्षा विशेषज्ञ इसे दुनिया का बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम मानते हैं. यहां तक कहा गया है कि S400 अमेरिका में बने मिसाइल डिफेंस सिस्टम - Terminal High Altitude Area Defense माने THAAD से कहीं आगे की चीज़ है. जबकि तकनीकि रूप से मिसाइल डिफेंस सिस्टम एयर डिफेंस सिस्टम से उन्नत हथियार होता है.
इसे लड़ाई वाले इलाकों में तैनात किया जा चुका है. मिसाल के लिए सीरिया, जहां ये सिस्टम रूस के सैनिक ठिकानों को कवर करता है. इस सिस्टम को हाई प्रोफाइल जगहों की सुरक्षा में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. रूस ने अपनी राजधानी मॉस्को की रक्षा के लिए S400 को ही तैनात किया हुआ है. और इन्हीं सारी खूबियों के चलते भारत ये सिस्टम खरीदना चाह रहा है. इसके लिए डील हुई थी पिछले साल, जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत आए थे. भारत इस सिस्टम के बदले रूस को तकरीबन 39 हज़ार करोड़ देगा.

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सवाल - अड़ंगा कहां लगा था?
जैसे ही भारत ने कहा कि वो एस 400 खरीदेगा, अमेरिका धमकी देने लगा कि वो भारत पर Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act के तहत प्रतिबंध लगा सकता है. भारत ने इस धमकी को इग्नोर किया. लेकिन पिछले दिनों ये खबरें आईं कि अमेरिका के दबाव में भारत की तरफ से रूस को पैसे मिलने में दिक्कत हो रही है. अब खबर आई है कि एडवांस दे दिया गया है, तो इन कयासों पर विराम लग गया है.सवाल - पैसे हम दे रहे हैं तो फायदा कैसा?
दिल्ली में रूस का दूतावास है. इसमें रूसी मिशन के डिप्टी चीफ मिनिस्टर काउंसलर रोमन बबुश्किन ने कहा है कि रूस अपने डील पर कायम है. सिस्टम की डिलिवरी 2023 में शुरू हो जाएगी. इसके बाद उन्होंने जो कहा, उससे ट्रंप काका को मिर्ची लग जाएगी. उन्होंने कहा कि डॉलर पर से दुनिया का भरोसा उठ रहा है. तो भारत-रूस को पैसों के लेन- देन के नए तरीकों पर विचार करना चाहिए. नया तरीका क्या - ये बताया भारत में रूस के व्यापार प्रतिनिधि यारोस्लाव तारास्युक ने. उन्होंने कहा कि एस 400 के लिए भुगतान भारतीय रुपयों में होगा. रुपये और रूस की मुद्रा रूबल का एक एक्सचेंज रेट तय होगा और फिर दोनों देशों में मौजूद बैंकों के ज़रिए सौदे की रकम ट्रांसफर की जाएगी. इससे अमेरिका पिक्चर से बाहर हो जाएगा क्योंकि डॉलर का खेल इस बार होने ही नहीं वाला. रुपया लगातार डॉलर के मुकाबले टूट रहा है. तो किसी भी अंतरराष्ट्रीय सौदे की रकम वक्त के साथ ऊपर जा रही है. ऐसा नहीं है कि रुपये-रूबल में कीमत ऊपर नीचे नहीं होती. लेकिन इस व्यवस्था में भारत को वैसा नुकसान होने की संभावना कम रहेगी, जैसा तेल कारोबार में होता है. हम तेल डॉलर में खरीदते हैं. डॉलर के महंगे होने पर हमारे यहां तेल महंगा हो जाता है, क्योंकि हमें उसी तेल के लिए ज़्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं.सवाल - कहां तैनात होगा ये सिस्टम
एस 400 भारतीय वायुसेना के पास मौजूद एयर डिफेंस सिस्टम की रीढ़ बनने वाला है. इनकी तैनाती कहां होगी, सरकार सार्वजनिक तौर पर नहीं बताती. रक्षा विशेषज्ञ ज़रूर बताते हैं कि इन मिसाइलों की पांच रेजिमेंट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र माने दिल्ली के आसपास और मुंबई-बड़ौदा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के आस पास तैनात की जाएंगी. सितंबर में मोदी Eastern Economic Forum की बैठक में हिस्सा लेने के लिए Vladivostok जाने वाले हैं. वहां उनकी मुलाकात पुतिन से होने वाली है. इसीलिए डील के इर्द-गिर्द सारी औपचारिकताएं तेज़ी से निपटाई जा रही हैं.वीडियो- कोरिया युद्ध वाले म्यूजियम में लल्लनटॉप क्या कर आया