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ट्रंप के टैरिफ अटैक से भारतीय झींगा उद्योग पर संकट, आंध्र के किसानों की मुश्किलें बढ़ीं

Shrimp export से जुड़े विशेषज्ञों की माने तो टैरिफ में बढ़ोतरी India के लिए दोहरी मार साबित होने जा रही है. उनके मुताबिक अगर जल्द इस समस्या से निजात नहीं मिली तो भारत झींगा उद्योग पर अपनी वैश्विक पकड़ गंवा सकता है. और इससे जुड़े लाखों परिवारों की आजीविका खतरे में आ जाएगी.

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ट्रंप के टैरिफ अटैक के बाद झींगा किसान मुश्किल में आ गए हैं. (इंडिया टुडे)

डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के टैरिफ अटैक से आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के झींगा किसानों (Shrimp farmer) को बड़ा झटका लगा है. अमेरिकी सरकार के आयात शुल्क को दोगुना कर देने के फैसले ने इस उद्योग की नींव हिला दी है. लाखों लोगों की रोजी रोटी से जुड़ा यह क्षेत्र अचानक से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने की कगार पर बढ़ चला है. और निर्यातक सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं.

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सी-फूड एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, अमेरिका ने भारतीय झींगा पर टैरिफ को 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया है. यह कदम पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के एलान के बाद किया गया.

भारत ने साल 2024 में अमेरिका को  लगभग 2.8 अरब डॉलर (245 अरब) का झींगा निर्यात किया था, जबकि इस साल अब तक ये आंकड़ा 500 मिलियन डॉलर (43 अरब) तक पहुंच चुका है. लेकिन बढ़े हुए टैरिफ के बाद अमेरिका बाजार में भारतीय झींगा महंगा हो जाएगा और खरीददार दूसरे विकल्पों की ओर मुड़ सकते हैं.

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आंध्र प्रदेश मत्स्य विभाग के संयुक्त निदेशक एस लाल मोहम्मद ने बताया कि अमेरिका के इस फैसले के बाद कई झींगा किसानों को झींगा उत्पादन बंद करने या दूसरी प्रजातियों की खेती करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिनमें उनको ज्यादा मुनाफा नहीं होता. उन्होंने आगे बताया, 

बड़े और मंझोले किसान बड़े आकार के झींगा पालते हैं. जिन्हें 30 काउंट या 40 काउंट कहा जाता है. (काउंट प्रति किलोग्राम झींगों की संख्या को बताता है.) इनमें से 90 फीसदी झींगा अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं. ये झींगा प्रति किलोग्राम 350 से 400 रुपये की दर से बिकते हैं. भारी टैरिफ के बाद निर्यातक इन्हें खरीदने से बचेंगे.

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉनल्ड ट्रंप की घोषणा के बाद से झींगों की कीमतों में औसतन 40 से 50 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आ गई है.

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सरकार से राहत पैकेज की मांग

झींगा निर्यातकों ने वाणिज्य और वित्त मंत्रालय से तुरंत मदद करने की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि बिना किसी आपातकालीन पैकेज के हजारों नौकरियों और अरबों डॉलर का झींगा कारोबार खतरे में पड़ सकता है.

झींगा किसानों ने वर्किंग कैपिटल में 30 फीसदी की वृद्धि, आसान शर्तों पर कर्ज और पैकिंग से पहले और बाद के कामों के लिए 240 दिनों की मोहलत देने जैसी मांग सरकार के सामने रखी है.

इन देशों को मिलेगा फायदा 

झींगा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों की माने तो टैरिफ में बढ़ोतरी भारत के लिए दोहरी मार साबित होने जा रही है. चीन, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों पर अमेरिका ने केवल 20 से 30 फीसदी टैरिफ लगाया है. इससे उनकी कीमतें भारतीय झींगा के मुकाबले कम होंगी. और वे अमेरिकी बाजार में भारतीय हिस्सेदारी पर कब्जा कर सकते हैं. 

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विशेषज्ञों ने आगे बताया कि अगर जल्द इस समस्या से निजात नहीं मिली तो भारत झींगा उद्योग पर अपनी वैश्विक पकड़ गंवा सकता है. और इससे जुड़े लाखों परिवारों की आजीविका खतरे में आ जाएगी.

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