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‘इंफोसिस वाले हैं तो क्या सब जानते हैं...’, नारायण मूर्ति और कर्नाटक सरकार के बीच किस बात पर ठनी?

CM सिद्दारमैया ने कहा कि हमने कई बार साफ किया है, फिर भी सुधा और नारायण मूर्ति को लगता है कि ये पिछड़े वर्गों का सर्वे है.

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दंपति ने सर्वे में हिस्सा लेने से साफ इनकार कर दिया था. (फोटो- PTI)

कर्नाटक में चल रहे जाति जनगणना में हिस्सा लेने से इन्फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति ने मना कर दिया था. राज्य के सीएम सिद्दारमैया ने शुक्रवार, 17 अक्टूबर को दंपति के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि ये सोशल एंड एजुकेशनल सर्वे बैकवर्ड क्लासेस का नहीं, बल्कि पूरी आबादी की गिनती वाला काम है.

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मुख्यमंत्री ने नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति के फैसले पर कहा,

"ये उनका फैसला है. ये बैकवर्ड क्लास का सर्वे नहीं है. अगर उन्हें ये समझ नहीं आया तो इसमें मैं क्या ही करूं? सिर्फ इंफोसिस वाले हैं तो क्या वो सब कुछ जानते हैं? हमने बीसियों बार कहा है कि ये बैकवर्ड क्लासेस का सर्वे नहीं, पूरी जनसंख्या का सर्वे है."

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सिद्दारमैया ने आगे कहा,

"हमने कई बार साफ किया है, फिर भी सुधा और नारायण मूर्ति को लगता है कि ये पिछड़े वर्गों की सर्वे है. ये गलत है. केंद्र सरकार भी सर्वे कर रही है. वो क्या करेंगे? उनके पास शायद गलत जानकारी होगी."

इससे पहले सर्वे को लेकर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का भी बयान आया था. उन्होंने कहा

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"हम किसी को सर्वे में हिस्सा लेने के लिए मजबूर नहीं करते. ये पूरी तरह स्वैच्छिक है."

वहीं, इंफोसिस के CEO रह चुके मोहनदास पाई ने भी जाति सर्वे की आलोचना की.  उन्होंने कहा,

"कर्नाटक में मंत्री जाति, जाति सर्वे, तुष्टिकरण पर ज्यादा ध्यान देते हैं. न कि विकास, अच्छी नौकरियां या टेक्नोलॉजी पर. वो राज्य को पीछे धकेल रहे हैं, फ्रीबीज के लिए कर्ज ले रहे हैं."

सर्वे टीम को मना किया

बता दें कि 10 अक्टूबर को जब सर्वे की टीम नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति के जयनगर वाले घर पहुंची तो दंपति ने इसमें हिस्सा लेने से साफ इनकार कर दिया. ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी (GBA) के एक अधिकारी ने बताया कि दोनों ने कारण बताते हुए एक लेटर जमा किया है. नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति ने लेटर में लिखा,

"हम पिछड़े वर्ग से नहीं हैं. हम आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा के मामले में आगे हैं. इसलिए सरकार या पिछड़े वर्ग को हमारी जानकारी से कोई फायदा नहीं होगा. इस सर्वे का मकसद पिछड़े लोगों को चिह्नित कर सुविधाएं देना है. ऐसे में हमारा न हिस्सा लेना सही है."

Official Karnataka state survey form document with printed headers in Kannada and English for Socio-Economic Survey 2025, including sections for household details, income, and assets. Handwritten response in English by Narayana Murthy and Sudha Murty stating they do not wish to participate. Signature at bottom, dated 10 January 2025 in Bengaluru, addressed to survey officials.
मूर्ति दंपति ने कारण बताते हुए एक लेटर जमा किया है.

सर्वे को लेकर हाल ही में कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक टिप्पणी की थी. 25 सितंबर को अखिल कर्नाटक ब्राह्मण महासभा की याचिका पर कोर्ट ने कहा था,

"कोई भी व्यक्ति जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं. सर्वे में हिस्सा पूरी तरह स्वैच्छिक है. अगर कोई मना करे, तो सर्वे वाले दबाव नहीं डालेंगे."  

कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा था कि कमीशन को पब्लिक नोटिस जारी करना होगा कि हिस्सा लेना आपकी इच्छा पर है.

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