पाकिस्तान (Pakistan) की सैन्य व्यवस्था आतंकियों का पालन-पोषण करती है. इसमें क्या कोई दो राय नहीं है. लेकिन सच सुनना उन्हें ज़हर लगता है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने दिल्ली में आयोजित एचटी लीडरशिप समिट में कहा कि भारत की कई पुरानी सुरक्षा चुनौतियां पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था से जुड़ी हुई हैं. तो इस बयान के तुरंत बाद पाकिस्तान बौखला उठा और कड़ी आपत्ति जता दी.
जयशंकर के बयान से तिलमिलाया पाकिस्तान, आतंक पर सेना की भूमिका से इनकार
भारत के विदेश मंत्री S Jaishankar ने कहा कि भारत की कई पुरानी सुरक्षा चुनौतियां Pakistan की सैन्य व्यवस्था से जुड़ी हुई हैं. उनके इस बयान के तुरंत बाद पाकिस्तान बौखला उठा और कड़ी आपत्ति जता दी.
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7 दिसंबर को पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता ताहिर आंद्राबी ने कहा कि पाकिस्तान एस जयशंकर के बयान को पूरी तरह खारिज करता है और निंदनीय मानता है. आंद्राबी ने जयशंकर के कॉमेंट्स को बहुत भड़काऊ, निराधार और गैर-जिम्मेदाराना बताया है.
आंद्राबी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान एक जिम्मेदार देश है और उसकी संस्थाएं, जिसमें सेना भी शामिल है, वो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है. अब पाकिस्तानी सेना, वहां की सरकार किस तरह आतंकियों का साथ देती है. उसके कुछ उदाहरणों पर नजर डाल लेते हैं.
ऑपरेशन सिंदूर के वक्त भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. उसके कुछ महीनों बाद जैश ए मोहम्मद के प्रमुख कमांडर मसूद इलियास कश्मीरी का बयान आया. जिसमें यह कहा गया कि पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और बहावलपुर के आतंकी कैंपों के बीच के संबंधों को छिपाने की पूरी कोशिश की.

एक और वीडियो सामने आया. इसमें लश्कर ए तैयबा के प्रमुख सरगनाओं में से एक सैफुल्लाह कसूरी ने खुलासा किया. कहा, पाकिस्तान सरकार और सेना आतंकी संगठन को मुरीदके में अपना मुख्यालय फिर से बनाने के लिए फंड मुहैया करा रही है. वही मुख्यालय जिसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तबाह कर दिया गया था.

7 मई को जब भारत की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया. उसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें सामने आईं. जिसमें देखा गया कि पाकिस्तानी सेना के लोग आतंकी ‘कारी अब्दुल मलिक’ और खालिद-मुदस्सिर के जनाजे में शामिल हुए. उन अफसरों के नाम भी सुन लीजिए.

लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन शाह, जो लाहौर की IV कोर के कमांडर हैं. लाहौर की 11वीं इन्फैंट्री डिविजन के मेजर जनरल राव इमरान सरताज, ब्रिगेडियर मोहम्मद फुरकान शब्बीर. डॉ. उस्मान अनवर, मलिक सोहैब अहमद भेरथ (ये पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब की प्रांतीय विधानसभा के अध्यक्ष हैं).

मई 2025 में दी गार्डियन ने एक रिपोर्ट पब्लिश की. जिसमें 2012 में कार्नेगी एंडॉवमेंट फॉर पीस- जो एक इंटरनैशनल थिंक टैंक, उसके लिए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ एश्ले टेलिस ने एक अहम बात लिखी थी. दर्ज किया कि, 'शुरुआत से ही लश्कर ए तैयबा पाकिस्तान का पसंदीदा संगठन बन गया. क्योंकि इसकी स्थानीय प्राथमिकताएं- अफगानिस्तान में लड़ाई और भारत के खिलाफ जंग रही है. जो पाकिस्तानी सेना की अपनी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं से मेल खाती थीं.
असल में पाकिस्तान भी यही चाहत रखता है कि पश्चिम में अफ़गानिस्तान पर प्रभाव बनाए रखा जाए और पूर्व में भारत को अस्थिर रखने की कोशिश चलती रहे.'
उन्होंने आगे यह भी लिखा,
‘दो दशकों से भी अधिक समय तक, ISI ने LeT के साथ मज़बूत संस्थागत, भले ही गुप्त, संबंध बनाए रखे और उसे भरपूर वित्तीय मदद और ज़रूरत पड़ने पर सैन्य प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया.’
बाकी पाकिस्तान भले ही अपनी आस्तीनों से बारूद साफ कर यह दिखावा करता रहा हो कि वह आतंक को नहीं पालता. पर, हर बार कलई खुल जाती है.
वीडियो: भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना से ऐसे लड़ी, डरे गवर्नर ने कांपते हाथों से इस्तीफा दिया












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