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कौन हैं पूर्व IAS प्रदीप शर्मा? जिन्हें गुजरात में भ्रष्टाचार के केस में 5 साल की सजा मिली है

Pradeep Sharma राजनीतिक विवादों के लिए भी चर्चा में रहे हैं. साल 2014 में उन्होंने गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कई आरोप लगाए थे. प्रदीप शर्मा ने एक महिला आर्किटेक्ट की कथित जासूसी की CBI जांच की मांग की थी.

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पूर्व IAS प्रदीप शर्मा | फ़ाइल फोटो: आजतक

गुजरात में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के एक स्पेशल कोर्ट ने शनिवार, 7 दिसंबर को रिटायर्ड IAS प्रदीप शर्मा को मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में 5 साल कैद की सजा सुनाई. यह मामला तब का है जब शर्मा 2003 से 2006 तक कच्छ जिले के कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट लैंड प्राइसिंग कमेटी (DLPC) के अध्यक्ष थे. उन पर आरोप था कि उन्होंने वेलस्पन इंडिया लिमिटेड और उसकी कंपनियों को सरकार की जमीन सस्ती दरों पर आवंटित की थी.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, PMLA कोर्ट के जज के. एम. सोजित्रा ने शर्मा को अहमदाबाद में ED की ओर से दर्ज करप्शन और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में दोषी पाया. शर्मा को इस मामले में पहली बार जुलाई 2016 में गिरफ्तार किया गया था और मार्च 2018 में जमानत पर रिहा किया गया था. 

शनिवार को सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल रहा कि शर्मा ने सरकारी जमीन वेलस्पन को बेहद सस्ती कीमतों पर दी. कोर्ट ने माना कि इसके चलते राज्य को करीब 1.20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. शर्मा के वकील ने उनकी उम्र को देखते हुए दूसरे करप्शन के मामले में मिली सजा को एक साथ चलाने की मांग की थी. लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया.

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कोर्ट ने कहा कि 71 साल उम्र होने के बावजूद उन्हें नरमी नहीं दी जा सकती. आरोपी पहले कलेक्टर रह चुका है. उसने करप्शन में लिप्त होकर सजा पाई है. वह मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराध में भी शामिल है. ऐसे में आरोपी पर कोई नरमी नहीं बरती जा सकती. ऐसा करना सेक्शन-427 के खिलाफ होगा. बता दें कि PMLA कानून के सेक्शन-427 में यह प्रावधान है कि किसी व्यक्ति को एक से ज्यादा सजा होने पर नई सजा पहले वाली सजा खत्म होने के बाद ही शुरू होगी.

दूसरी तरफ शर्मा के वकील आर. जी. गोस्वामी ने कहा कि शर्मा के खिलाफ मामला उस समय का है जब PMLA एक्ट लागू नहीं था. उनका दावा है कि उन्होंने कोर्ट में जो दलीलें दीं, उस पर विचार नहीं किया गया. उनका कहना है कि वह अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे. अदालत ने प्रदीप शर्मा पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

कौन हैं प्रदीप शर्मा? 

प्रदीप शर्मा सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए ही नहीं, बल्कि राजनीतिक विवादों के लिए भी चर्चा में रहे. साल 2014 में उन्होंने तब की गुजरात सरकार के खिलाफ आरोप लगाए थे. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदीप शर्मा ने एक महिला आर्किटेक्ट की कथित जासूसी की CBI जांच की मांग की थी. यह मामला तब सामने आया था जब दो न्यूज पोर्टल्स ने कुछ टेलीफोनिक बातचीत की सीडी जारी की. 

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इस सीडी में कथित तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (उस समय के गुजरात के गृह राज्य मंत्री) और दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बीच की बातचीत होने का दावा किया गया था. साथ ही अगस्त और सितंबर 2009 के बीच कथित तौर पर हुई बातचीत में एक ‘साहेब’ का जिक्र था, जिसे उस समय के गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी से जोड़ा गया. लेकिन अमित शाह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था.

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