कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर को लेकर पार्टी में रार बढ़ती जा रही है. पार्टी के पूर्व सांसद के. मुरलीधरन के ‘किसी भी कार्यक्रम में ना बुलाने’ वाले बयान पर शशि थरूर ने पलटवार किया है. उन्होंने इशारों में जता दिया कि टिप्पणी करने वालों को पहले यह देखना चाहिए कि उनकी पार्टी में हैसियत क्या है.
'वो हैं कौन...', शशि थरूर ने कांग्रेस नेता के मुरलीधरन की हैसियत पर सवाल उठा दिया?
दोनों नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी का सिलसिला 19 जुलाई से शुरू हुआ. कोच्चि में 'शांति, सद्भाव और राष्ट्रीय विकास' विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार, 22 जुलाई को मीडिया से बात करते हुए शशि थरूर ने कहा,
"सबसे पहले मैं कहना चाहता हूं कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं उनके पास ऐसा कहने का कोई आधार होना चाहिए. वे कौन हैं? पार्टी में उनकी भूमिका क्या है, मैं जानना चाहता हूं..."
शशि थरूर बनाम के मुरलीधरन
दोनों नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी का सिलसिला 19 जुलाई से शुरू हुआ. कोच्चि में 'शांति, सद्भाव और राष्ट्रीय विकास' विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस दौरान बोलते हुए तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपनी राय रखी. कांग्रेस नेतृत्व के साथ अपने संबंधों के बारे में एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा,
हम अपनी पार्टियों का सम्मान करते हैं. हमारे कुछ मूल्य और विश्वास हैं, जो हमें अपनी पार्टियों में बनाए रखते हैं. लेकिन हमें राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में अन्य पार्टियों के साथ सहयोग करने की जरूरत है. जब मेरे जैसे लोग ये कहते हैं. तब कभी-कभी पार्टियों को लगता है कि ये उनके प्रति बगावत है. कई बार उसे विश्वास घात के रूप में देखा जाता है.
शशि थरूर ने आगे कहा कि आप जिस भी पार्टी से हों, आपका मकसद एक बेहतर भारत बनाना होना चाहिए. ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े उनके बयानों पर खुद कांग्रेस नेताओं ने नाराजगी जताई थी. इस पर बोलते हुए उन्होंने कहा,
बहुत से लोग मेरे रुख की आलोचना करते हैं. क्योंकि मैंने अपने सशस्त्र बलों और सरकार का समर्थन किया. और हाल ही में हमारे देश और हमारी सीमाओं पर जो कुछ हुआ है, उसके लिए भी. लेकिन मैं अपने रुख पर अड़ा रहूंगा. क्योंकि मेरा मानना है कि देश के लिए यही सही है.
उनके इसी बयान पर रविवार, 20 जुलाई को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुरलीधरन (K Muraleedharan) ने प्रतिक्रिया दी. के मुरलीधरन ने कहा कि शशि थरूर को अब 'हम में से एक' नहीं माना जाता. वे बोले,
थरूर कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के सदस्य जरूर हैं, लेकिन उनके हालिया बयानों और रुख ने पार्टी की आंतरिक एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हम उन्हें तिरुवनंतपुरम में आयोजित होने वाले किसी भी पार्टी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं करेंगे. अब वह हमारे साथ नहीं हैं, इसलिए उनके किसी कार्यक्रम का बहिष्कार करने का सवाल ही नहीं उठता.
मुरलीधरन ने आगे कहा था कि,
उन पर कोई भी फैसला लेने का अधिकार कांग्रेस आलाकमान का होगा. वह तय करेगा कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए या उन्हें पार्टी में बने रहने दिया जाए. हम केरल में उनके साथ सहयोग करने को तैयार नहीं हैं. क्योंकि वह हमेशा कांग्रेस और इंदिरा गांधी पर हमला करते रहते हैं. केरल में पार्टी भी थरूर के प्रदर्शन से खुश नहीं है. वह अब अपने संसदीय क्षेत्र तिरुवनंतपुरम नहीं आते हैं."
पहले भी के मुरलीधरन, थरूर पर हमलावर रहे हैं. 25 जून को इमरजेंसी लगाए जाने की 50वीं वर्षगांठ थी. इस अवसर पर एक अखबार में लेख लिखकर शशि थरूर ने इसकी निंदा की थी. के मुरलीधरन ने आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी की आलोचना वाले लेख को लेकर भी थरूर पर हमला बोला था. उन्होंने थरूर से आग्रह किया था कि अगर वे कांग्रेस के भीतर खुद को विवश महसूस करते हैं, तो एक स्पष्ट रास्ता चुनें.
कब से शुरू हुआ टकराव?
पहलगाम हमले के बाद से शशि थरूर केंद्र सरकार के साथ खड़े दिखे हैं. वहीं नरेंद्र मोदी सरकार ने भी कांग्रेस की मुखालफत के बावजूद उनको 'ऑपरेशन सिंदूर' की जानकारी देने के लिए विदेशों में भेजे जाने वाले एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा. इसके बाद से कांग्रेस नेतृत्व और शशि थरूर के बीच टकराव की स्थिति बन गई, जिसे थरूर के हालिया बयानों ने और ज्यादा हवा दे दी.
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