मणिपुर में लंबे वक्त से चल रही जातीय हिंसा (Manipur Conflict) के बीच कुकी समुदाय के प्रतिनिधियों ने बैठक की. जिसमें कुकी-ज़ो उग्रवादी समूह के प्रतिनिधि, कुकी विधायक और विभिन्न नागरिक समाज संगठनों (CSO) ने हिस्सा लिया. इस बैठक में तय हुआ कि जब तक सरकार ठोस राजनीतिक बातचीत फिर से शुरू नहीं करती, तब तक कुकी समुदाय केंद्र के साथ कोई संपर्क नहीं रखेगा.
मणिपुर: कुकी समुदाय का फैसला, कहा- राजनीतिक संवाद शुरू होने तक केंद्र से कोई बात नहीं करेंगे
Manipur Conflict: गुवाहाटी के एक बंद कमरे में कुकी समुदाय के प्रतिनिधियों ने बैठक की. इसमें कुकी-ज़ो उग्रवादी समूह के प्रतिनिधि, कुकी विधायक और विभिन्न नागरिक समाज संगठनों (CSO) ने हिस्सा लिया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार, 16 मई को गुवाहाटी के एक बंद कमरे में ये बैठक हुई. जिसके बाद एक बयान जारी किया गया. जिसमें कहा गया,
गुवाहाटी में आज विधायकों, नागरिक समाज संगठनों (CSO) और सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन एग्रीमेंट (SoO) से जुड़े कुकी समूहों की संयुक्त बैठक में यह फैसला लिया गया कि जब तक भारत सरकार SoO समूहों के साथ ठोस राजनीतिक बातचीत फिर से शुरू नहीं करती, तब तक कुकी समुदाय, भारत सरकार या उसके प्रतिनिधियों के साथ कोई संपर्क नहीं रखेंगे.
अगस्त 2008 में, भारत सरकार, मणिपुर सरकार और मणिपुर के 25 कुकी उग्रवादी संगठनों ने ऑपरेशन के निलंबन (Suspension of Operations) समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते से युद्ध विराम हुआ और कुकी उग्रवादी समूहों ने अपने हथियार डालकर शांति वार्ता शुरू की. 2008 के बाद SoO समझौते को समय-समय पर आगे बढ़ाया गया.
बीते शुक्रवार को हुई इस बैठक में 25 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें विद्रोही समूहों के नेता भी शामिल थे, जो SoO समझौते का हिस्सा थे. बैठक में 10 कुकी-ज़ो विधायकों के साथ-साथ नागरिक समाज संगठनों जैसे कुकी ज़ो काउंसिल और ज़ोमी काउंसिल के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.
बातचीत से कोई हल नहीं5 अप्रैल को मैतेई और कुकी-ज़ो के प्रतिनिधियों ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के अधिकारियों के साथ बैठक की थी. ये बैठक दोनों समुदायों के बीच पहली बैठक थी. उस वक्त दोनों समुदायों के सामने एक संयुक्त प्रस्ताव का मसौदा रखा गया था. हालांकि, बैठक बिना किसी समाधान के खत्म हो गई थी. इससे पहले भी साल की शुरुआत में, एक MHA प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर में समूहों से अलग-अलग मुलाकात की थी. इतना ही नहीं, विधायकों के जरिए भी बातचीत की कोशिश की गई, लेकिन कोई हल नहीं निकला.
रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को हुई बैठक में उपस्थित एक शख्स ने कहा,
उन्हें (केंद्र को) SoO समूहों के साथ बातचीत करनी चाहिए. इन सभी वार्ताओं की क्या ज़रूरत है? महीनों से कोई गोलीबारी नहीं हुई है. CSO के साथ बैठक में, सरकार ने शांति समझौते के लिए सहमत करने की कोशिश की. ऐसी बैठकें आयोजित करने के बजाय, जहां प्रतिनिधि बिना किसी आगे की कार्रवाई के वापस लौट जाते हैं, केंद्र को राजनीतिक बातचीत शुरू करनी चाहिए.
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बता दें कि मैतेई राजनेता और नागरिक समाज समूह, SoO समझौते को रद्द करने के लिए दबाव बना रहे हैं. पिछले साल फरवरी में, जब 10 कुकी-ज़ो विधायक मणिपुर विधानसभा में अनुपस्थिति थे. तब सदन ने सर्वसम्मति से केंद्र से 2008 में हुए SoO समझौते को रद्द करने की अपील करने का संकल्प लिया था.
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