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UN में यूक्रेन संघर्ष को लेकर प्रस्ताव आया, अमेरिका ने रूस का साथ देकर दुनिया को चौंका दिया

यूक्रेन-रूस युद्ध के शुरू होने के बाद ये पहली बार था जब अमेरिका ने रूस के पक्ष में वोटिंग की.

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रूस के सहयोगी देश बेलारूस, नॉर्थ कोरिया और सूडान उन देशों में शामिल थे जिन्होंने इस प्रस्ताव पर कीव के बजाय मास्को का समर्थन किया. (फोटो- AP)

अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से कई बड़े फैसले लिए गए. इसी क्रम में विदेश नीति में भी एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. 24 फरवरी को अमेरिका ने रूस और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के उस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया, जिसका समर्थन यूरोप के अधिकांश देशों ने किया था (US Sides With Russia On Ukraine Vote At UN). UN के इस प्रस्ताव में यूक्रेन से रूस की वापसी की मांग की गई और युद्ध की निंदा की गई थी. वहीं, भारत ने इस प्रस्ताव पर वोट करने से खुद को अलग रखा.

यूक्रेन-रूस युद्ध के शुरू होने के बाद ये पहली बार था जब अमेरिका ने रूस के पक्ष में वोटिंग की. 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगियों द्वारा प्रस्तुत ,'यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति को आगे बढ़ाना' के प्रस्ताव पर मतदान किया. जिसमें 93 वोट पक्ष में पड़े. वहीं 18 वोट इसके विरोध में पड़े. 65 देशों ने इस पर वोट करने से खुद को अलग रखा.

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65 देशों ने इस पर वोट करने से खुद को अलग रखा.

रूस के सहयोगी देश बेलारूस, नॉर्थ कोरिया और सूडान उन देशों में शामिल थे जिन्होंने इस प्रस्ताव पर कीव के बजाय मास्को का समर्थन किया. ये प्रस्ताव रूस-यूक्रेन युद्ध की तीसरी वर्षगांठ पर लाया गया था. वार्ता और कूटनीति के माध्यम से इस युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान करने वाला भारत, इस वोटिंग से दूर रहा.

प्रस्ताव में रूस की कड़ी आलोचना की गई है. साथ ही यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता तथा उसकी सीमाओं पर उसके अधिकार पर जोर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि, "हम इस बात पर चिंता व्यक्त करते हैं कि रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण तीन वर्षों से जारी है और इसके न केवल यूक्रेन बल्कि अन्य क्षेत्रों और वैश्विक स्थिरता पर भी विनाशकारी और दीर्घकालिक परिणाम होंगे." प्रस्ताव युद्ध को रोकने, शत्रुता को शीघ्र समाप्त करने और यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान करने" का आह्वान करता है.

भारत के साथ-साथ अर्जेंटीना, संयुक्त अरब अमीरात, चीन और ईरान ने भी मतदान से परहेज किया. यूक्रेन के यूरोपीय सहयोगियों ने प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से समर्थन व्यक्त किया.

अमेरिका और यूक्रेन के बीच खराब होते संबंधों

पिछले महीने डॉनल्ड ट्रंप के वाइट हाउस में लौटने के बाद से अमेरिका और यूक्रेन के बीच संबंधों में गिरावट देखने को मिली है. पिछले हफ़्ते ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को "तानाशाह" कहा था और दावा किया था कि वो बेहद अलोकप्रिय हैं. रूसी और अमेरिकी अधिकारियों ने कीव के बिना सऊदी अरब में बातचीत की थी, और युद्ध को समाप्त करने के लिए तेज़ी से आगे बढ़ने का आग्रह किया था.

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