सरकार हेल्थ सिक्योरिटी के बहाने पान मसाला कंपनियों की जेब हल्की करने जा रही है. इसे लेकर 5 दिसंबर को लोकसभा में एक बिल पारित किया गया है. 'हेल्थ एंड नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल 2025' को सदन ने हरी झंडी दे दी है. ये बिल पान मसाला, गुटखा जैसी तंबाकू वाली चीजों पर एक्स्ट्रा सेस लगाने का प्रावधान करता है. सरकार का दावा है कि इससे जुटे फंड का इस्तेमाल हेल्थकेयर और डिफेंस सेक्टर को मजबूत करने में होगा.
लोकसभा में पास हुआ ये बिल पढ़कर पान मसाला कंपनियां रोएंगी!
पान मसाला, सुपारी और तंबाकू प्रोडक्ट्स पर अलग से सेस लगाया जाएगा. मसलन, अगर कोई कंपनी पान मसाला पर 100 रुपये का टैक्स दे रही है, तो अब उसके ऊपर टैक्स जुड़ जाएगा.


ये बिल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुआई वाली टीम ने पेश किया. नाम थोड़ा लंबा है – 'Health Security se National Security Cess Bill, 2025'. मुख्य प्रावधान? पान मसाला, सुपारी और तंबाकू प्रोडक्ट्स पर अलग से सेस लगाया जाएगा. मसलन, अगर कोई कंपनी पान मसाला पर 100 रुपये का टैक्स दे रही है, तो अब उसके ऊपर टैक्स जुड़ जाएगा. ये सेस GST के ऊपर लगेगा, यानी डबल झटका.

बिल पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा,
“करगिल लड़ाई तैयारी की कमी की वजह से हुई. आर्मी जनरलों ने बताया था कि 1990 के दशक की शुरुआत से बजट की कमी की वजह से आर्मी के पास सिर्फ 70-80% ऑथराइज्ड हथियार, गोला-बारूद और इक्विपमेंट थे. हम नहीं चाहते कि भारत उस स्टेज पर फिर कभी वापस आए.”
वित्त मंत्री ने बिल पेश करते हुए कहा कि सेस किसी भी आवश्यक वस्तु पर नहीं, बल्कि स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली हानिकारक वस्तुओं पर लगाया जाएगा. उन्होंने कहा बिल का उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि आम नागरिकों पर बोझ डाले बिना राष्ट्र की सुरक्षा के लिए जरूरी चीजों के लिए फंड मिले.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बिल से प्राप्त रिवेन्यू स्वास्थ्य योजनाओं के लिए राज्यों के साथ साझा किया जाएगा. 40 प्रतिशत GST के अलावा पान मसाला बनाने वाली कंपनियों के ऊपर स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा टैक्स भी लगाया जाएगा.
गुरुवार, 4 दिसंबर को बिल के पीछे के तर्क को विस्तार से समझाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सेस इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि जीएसटी व्यवस्था में उपभोग पर टैक्स लगता है. पान मसाला पर जीएसटी के तहत 28% टैक्स के साथ-साथ कंपेनसेशन सेस भी लगता है. क्योंकि कंपेनसेशन सेस खत्म होने वाला है, इसलिए उस हिस्से को 40% सेस में शिफ्ट किया जा रहा है.
हालांकि, कई प्रकार के पान मसाला अभी भी टैक्स के दायरे में नहीं आते, क्योंकि GST उपभोग (consumption) के आधार पर लगाया जाता है. GST में उत्पादन क्षमता या आउटपुट के आधार पर कोई टैक्स नहीं है. इसी वजह से तंबाकू पर GST लगता है और हाल ही में उसे एक्साइज ड्यूटी के दायरे में भी लाया गया है.
विपक्ष ने किया विरोधवहीं, लोकसभा में हनुमान बेनीवाल सहित अन्य विपक्षी सांसदों ने इस बिल का विरोध किया और इसे वापस लेने की मांग की. बेनीवाल ने सरकार से पूछा कि वो पान मसाला महंगा करने जा रही है, लेकिन गुटखा और पान मसाले का सेलिब्रिटी विज्ञापन कर रहे हैं. इसके खिलाफ सरकार क्या कर रही है.
कांग्रेस के सांसद शशिकांत सेंथिल ने कहा कि इसे समझना मुश्किल है. ऐसे क्लॉज PMLA में देखने को मिले थे.
सिगरेट से हर साल 10 लाख लोगों की मौतविश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल सिगरेट पीने की वजह से 80 लाख से ज्यादा लोगों की प्रीमेच्योर डेथ होती है. वहीं भारत में हर साल स्मोकिंग के कारण 10 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है. इसमें अगर अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन के कारण हुई मौतों के आंकड़े भी जोड़ दिए जाएं तो हर साल लगभग 13.5 लाख लोगों की मौत तंबाकू के सेवन के कारण होती है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन के मुताबिक, सिगरेट पीने से लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी तेजी से घट रही है. एक सिगरेट पीने से जिंदगी के 20 मिनट कम हो रहे हैं. वहीं अगर कोई 10 साल तक रोज 10 सिगरेट पी रहा है तो इसका मतलब है कि उसकी जिंदगी के 500 दिन कम हो गए हैं.
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