जम्मू के सांबा ज़िले और पंजाब के जालंधर ज़िले में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर 12 मई की देर रात कुछ घंटों के लिए ड्रोन गतिविधि देखी गई. इस पर सेना की भी तरफ़ से प्रतिक्रिया आई है. 12-13 मई की दरम्यानी रात सेना ने कहा, ‘स्थिति शांत और नियंत्रण में है. फिलहाल किसी ड्रोन को स्पॉट नहीं किया गया है.’
जम्मू-कश्मीर और पंजाब में सीमा पर कल रात फिर दिखे थे ड्रोन, आर्मी ने एक मार गिराया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑपरेशन सिंदूर के बाद राष्ट्र के नाम पहले संबोधन और भारत-पाकिस्तान के DGMO की बैठक के कुछ ही घंटों बाद सीमा पर ये ड्रोन गतिविधि हुई. हालांकि सेना ने कहा कि घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है.

इससे पहले सेना ने कहा था कि सुरक्षा बल सांबा ज़िले में संदिग्ध ड्रोनों से निपट रहे हैं. द हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, सेना की तरफ़ से बताया गया था,
जम्मू-कश्मीर के सांबा के पास कुछ संदिग्ध ड्रोन देखे गए हैं. उनसे निपटने की कोशिश की जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑपरेशन सिंदूर के बाद राष्ट्र के नाम पहले संबोधन और भारत-पाकिस्तान के DGMO की बैठक के कुछ ही घंटों बाद सीमा पर ड्रोन गतिविधि हुई. तब सेना ने कहा था कि घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है.
हालांकि 12-13 मई की दरम्यानी रात में भी सांबा, कठुआ, राजौरी और जम्मू के कई इलाकों में ब्लैकआउट की स्थिति रही. हिंदू के सूत्रों ने बताया कि एहतियात के तौर पर माता वैष्णो देवी मंदिर और उसके रास्ते पर रोशनी बंद कर दी गई थी.
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वहीं, जालंधर के डिप्टी कमिश्नर हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि सशस्त्र बलों ने एक संदिग्ध ‘सर्विलांस ड्रोन’ को निष्क्रिय कर दिया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर पोस्ट कर बताया,
मुझे बताया गया है कि सशस्त्र बलों ने रात क़रीब 9:20 बजे मंड गांव के पास एक सर्विलांस ड्रोन को मार गिराया. विशेषज्ञों की एक टीम मलबे की तलाश कर रही है.
रात को 11.03 बजे उन्होंने ये पोस्ट किया था. इसमें उन्होंने लोगों को किसी भी मलबे के पास न जाने और निकटतम पुलिस स्टेशन को तुरंत सूचित करने की सलाह दी थी. उन्होंने ये भी बताया कि रात 10 बजे के बाद से कोई ड्रोन गतिविधि नहीं हुई है.
बताते चलें, भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को एक समझौता हुआ. इसके तहत दोनों देशों ने तत्काल प्रभाव से ज़मीन, हवा और समुद्र में सभी गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयां बंद कर दीं. ये समझौता चार दिनों तक सीमा पार से ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद किया गया था. इससे दोनों देश युद्ध की कगार पर पहुंच गए थे.
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