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पैरों में जंजीर, घिसटकर गए वॉशरूम... अमेरिका से वापस भेजे गए भारतीयों के साथ हुआ ऐसा सुलूक

Deportee: ये यात्रा सिर्फ शारीरिक रूप से दर्दनाक नहीं थी, बल्कि मानसिक रूप से भी परेशान करने वाली थी. कानूनी रास्ते का वादा करके कई लोगों से 'डंकी रूट' पर बहुत सारे पैसे लिए गए.

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अमेरिकी सेना का एक विमान अमृतसर पहुंचा. (तस्वीर: PTI)

अमेरिकी सेना का मिलिट्री एयरक्राफ्ट ‘सी-17 ग्लोबमास्टर’. 5 फरवरी को ये एयरक्राफ्ट पंजाब के अमृतसर में लैंड हुआ. इस सैन्य विमान में 104 प्रवासी भारतीय थे, जिन्हें अमेरिका ने डिपोर्ट (Indians Deported From US) किया था. इन्हीं में से एक थे हरविंदर सिंह. उन्होंने बताया कि अमेरिका से भारत लाने के क्रम में उन्हें 40 घंटों तक हथकड़ी लगाकर रखा गया. उनके पैर जंजीरों से बंधे थे. बार-बार आग्रह करने के बाद उन्हें खुद को घसीटकर वॉशरूम तक जाने दिया गया.

इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ीं अंजू अग्निहोत्री ने इस मामले को रिपोर्ट किया है. हरविंदर बताते हैं कि अमेरिकी क्रू के लोग शौचालय का दरवाजा खोलकर उन्हें अंदर धकेल देते थे. पूरी यात्रा के दौरान उन्हें उनकी सीट से एक इंच भी हिलने नहीं दिया गया. 

40 साल के हरविंदर पंजाब के होशियारपुर के ताहली गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि ये यात्रा नरक से बदतर थी. 40 घंटों तक वो ठीक से खाना तक नहीं खा पाए. उन्हें हथकड़ी लगाकर खाने को मजबूर किया गया. उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से आग्रह किया कि कुछ मिनटों के लिए हथकड़ी हटा दें, ताकि वो ठीक से खाना खा पाएं. लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. 

सिंह कहते हैं कि ये यात्रा सिर्फ शारीरिक रूप से दर्दनाक नहीं थी, बल्कि मानसिक रूप से भी परेशान करने वाली थी. उन्होंने ये भी बताया कि क्रू में एक दयालु सदस्य भी था, जिसने उनको खाने के लिए फल दिया. हरविंदर पूरे रास्ते सो नहीं पाए. क्योंकि वो उस बेहतर जीवन के बारे में सोच रहे थे जो उन्होंने 8 महीने पहले देखे थे.  

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जमीन गिरवी रखी, कर्ज लिया…

अमेरिका जाने से पहले हरविंदर और उनकी पत्नी कुलजिंदर दूध बेचकर अपना गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उनका 12 साल का एक बेटा और 11  साल की एक बेटी है. अचानक, एक दूर के रिश्तेदार ने 42 लाख रुपये के बदले में हरविंदर को कानूनी तरीके से 15 दिनों में अमेरिका ले जाने की बात की. जून 2024 में इस परिवार ने अपनी एक एकड़ जमीन गिरवी रख दी. उनके पास कुल इतनी ही जमीन है. इसके अलावा उन्होंने कुछ लोगों से ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज भी लिया.

हरविंदर से वादा किया गया था कि उनको कानूनी तरीके से अमेरिका पहुंचाया जाएगा लेकिन एजेंट ने ‘डंकी रूट’ का इस्तेमाल किया. 'डंकी रूट' उस रास्ते को कहते हैं, जिसका इस्तेमाल गैरकानूनी रूप से चोरी-छिपे विदेश पहुंचने के लिए किया जाता है. ये सफर बहुत खतरनाक और मुश्किलों से भरा होता है. कई मामलों में इन रास्तों पर लोगों की हत्याएं और महिलाओं के रेप तक हुए हैं.

कुलजिंदर बताती हैं कि 8 महीनों तक उनके पति एक देश से दूसरे देश भेजा जाता रहा, ऐसे जैसे वो किसी खेल का मोहरा हों. इस मुश्किल समय के दौरान हरविंदर ने कई वीडियो रिकॉर्ड किए और अपनी पत्नी को भेजे. 15 जनवरी को आखिरी बार दोनों की बात हो पाई थी. इसके बाद हरविंदर का अपने परिवार से संपर्क टूट गया. कुलजिंदर ने पहले ही गांव के पंचायत में उस एजेंट की शिकायत दर्ज करा दी थी. उन्होंने बताया कि ‘डंकी रूट’ पर एजेंट ने हरविंदर से कई बार पैसे लिए. आखिरी बार ढाई महीने पहले सेंट्रल अमेरिका के ग्वाटेमाला में उनसे 10 लाख रुपये लिए गए.

परिवार में हरविंदर का एक छोटा भाई, 85 साल के पिता और 70 साल की मां हैं. उनके माता-पिता अब भी खेती का काम करते हैं.

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"सालों से ऐसा गर्म और ताजा खाना नहीं खाया…"

पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बच्चों को छोड़कर विमान में सभी को हथकड़ी लगाई गई थी. कुछ महिलाएं रो रही थीं. अधिकारी ने कहा कि उन्होंने उन लोगों को दाल, चावल, रोटी और सब्जी सहित गर्म भोजन की थाली दी. बच्चों को बिस्किट, जूस और रंग भरने वाली किताबें दी गईं. ऐसा लगा कि उन्हें कई सालों के बाद गर्म और ताजा खाना मिला है. कई लोग इस यात्रा के बारे में बात नहींं करना चाह रहे थे और कई लोग शर्मिंदा थे. उनकी काउंसलिंग कराई जा रही है.

अधिकारी ने कहा कि कई लोगों ने अपने भयानक अनुभवों के बारे में बताते हुए कहा कि उनके निर्वासन के बारे में उनके परिवार को ना बताया जाए. डिपोर्ट किए गए लोगों के रिश्तेदारों ने बताया कि अमेरिका जाने के लिए उन्होंने 30 से 50 लाख रुपये खर्च किए थे. 

पंजाब के NRI मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि वो 10 फरवरी को होनी वाली कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने इस मुद्दे को उठाएंगे. वो बैंकों से उन लोगों के ब्याज को माफ करने के लिए कहेंगे जिन्होंने अमेरिका जाने के लिए कर्ज लिया था.

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