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कैंसर पीड़ित नानी को कूड़े के ढेर में किसने छोड़ा? CCTV ने रिश्तों का सच खोल दिया

पुलिस ने मुताबिक, 20 जून की रात को यशोदा की मानसिक हाल बिगड़ गई और वो आक्रामक हो गईं. उन्होंने खुद को और अपने नाती सागर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. इसके बाद सागर अपने रिलेटिव बाबासाहेब गायकवाड़ के साथ यशोदा को शताब्दी हॉस्पिटल ले गया.

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दाई ओर पीड़ित महिला यशोदा गायकवाड़ वहीं बाई आरे पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रविन्द्र पाटिल. (तस्वीर : इंडिया टुडे)

बीते दिनों मुंबई की आरे कॉलोनी में स्किन कैंसर और मानसिक समस्याओं से जूझ रही एक बुजुर्ग महिला कचरे के ढेर में मिलीं. 60 साल की यशोदा गायकवाड़ ने बताया कि उनके घरवालों ने ही उन्हें यहां छोड़ दिया था. इसके बाद सोशल मीडिया पर इसकी कड़ी आलोचना हुई. महिला के नाती सागर शेवाले ने दावा किया था कि यशोदा अक्सर बिना बताएं निकल जाती थीं. लेकिन अब पुलिस ने CCTV फुुटेज के आधार पर बताया कि सागर ने ही उन्हें कूड़े के ढेर पर छोड़ा था.

इंडिया टुडे से जुड़े दिवेश त्रिपाठी की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार 21 जून की सुबह यशोदा दिनकर राव देसाई मार्ग पर लावारिस हालात में मिली थीं. आसपास के लोगों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी. सुबह सात बजे पुलिस वहां पहुंची और यशोदा को घायल और कमजोर हालत में जोगेश्वरी ट्रॉमा केयर अस्पताल ले जाया गया. उनके चेहरे और हाथों में गंभीर चोटें थीं, इस कारण बाद में उन्हें विले पार्ले के कूपर हॉस्पिटल में ट्रांसफर कराया गया.

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें बेसल सेल कार्सिनोमा (Basal Cell Carcinoma) नाम का कैंसर है. इस दौरान यशोदा ने पुलिस को बताया, "मेरे रिश्तेदार मुझे नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने मुझे छोड़ दिया." पीड़ित महिला ने पुलिस को दो जगहों के पते भी बताए, लेकिन वहां उनकी जान पहचान का कोई नहीं मिला. 

यशोदा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं और बहस का विषय बन गईं. उनकी बात सुन लोगों ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. इस बीच पुलिस ने सोमवार 23 जून को यशोदा के नाती सागर का पता लगा लिया. दिवेश त्रिपाठी की रिपोर्ट के मुताबिक, सागर मुंबई के मलाड इलाके में अपनी पत्नी-बेटे और नानी यशोदा के साथ रहता था. वो ऑफिस बॉय का काम करता है. शुरुआती पूछताछ में उसने दावा किया कि उसकी नानी आए दिन, बिना बताए घर से निकल जाती थीं. उसने बताया, “21 जून को भी ऐसा ही हुआ. नानी रिक्शे से निकल गईं और वापस नहीं आईं. हमने पड़ोसियों की मदद से पुलिस को इसकी जानकारी दी. जहां पुलिस ने हमें 24 घंटे इंतजार करने को कहा.”

आरे पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रविन्द्र पाटिल ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्हें सागर के बयान पर शक हुआ. पुलिस ने CCTV फुटेज खंगाले जिसमें नाती के दावे झूठे पाए गए. इंडिया टुडे से जुड़े शिव शंकर तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक, सख्ती से की गई पूछताछ में सागर ने सारी बातें बताईं.

पुलिस ने मुताबिक, 20 जून की रात को यशोदा की मानसिक हाल बिगड़ गई और वो आक्रामक हो गईं. उन्होंने खुद को और अपने नाती सागर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. इसके बाद सागर अपने रिलेटिव बाबासाहेब गायकवाड़ के साथ यशोदा को शताब्दी हॉस्पिटल ले गया. पुलिस ने बताया कि CCTV फुटेज में वो रात 2:23 बजे हॉस्पिटल में एंट्री करते दिखते हैं, लेकिन कुछ समय बाद 2:40 पर दादी के साथ वहां से निकल जाते हैं. 

इसके बाद रात के करीब 3:30 बजे दोनों एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर संजय कुदशिम की मदद से यशोदा को आरे कॉलोनी छोड़ आते हैं. पुलिस ने बताया कि संजय फिल्मसिटी में काम करता था और आरे इलाके के बारे में जानता था. सागर ने उसे इस काम के लिए 400 रुपये दिए थे.

फिलहाल पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. उनके खिलाफ BNS की धारा 125 (लापरवाही से जीवन को खतरे में डालने) और धारा 24 के अलावा मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन्स एक्ट, 2007 के तहत केस दर्ज किया गया है.

महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने भी मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है. वहीं नागपुर के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ने भी यशोदा के मुफ्त इलाज की पेशकश की है.

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