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केरल से महाराष्ट्र बस एक दिन में कैसे पहुंचा मॉनसून? आखिर क्या बला है ये ऑसिलेशन इफेक्ट?

समय से काफी पहले आए मॉनसून ने अब तक के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इस बार साउथ-वेस्टर्न मॉनसून 24 घंटे के अंदर ही केरल से महाराष्ट्र पहुंच गया. इस महीने मुंबई में पिछले 107 सालों की सबसे ज़्यादा बारिश हुई है. इसके पीछे मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन को बताया गया है.

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भारी बारिश की वजह से मुंबई में जगह-जगह हुआ जलभराव. (फोटो- पीटीआई)

मॉनसून मुंबई (Monsoon In Mumbai) में दस्तक दे चुका है. इस साल मॉनसून 14 दिन पहले मुंबई पहुंचा है. यह कोई सामान्य बात नहीं है. इसकी वजह से मुंबई में भारी बारिश (Heavy Rain In Mumbai) हो रही है. जल्दी पहुंची बारिश ने अधिकारियों को तैयारी तक का मौका नहीं दिया. इसकी वजह से सड़कों और घरों में भारी जलभराव हो गया है. नए बने मेट्रो स्टेशन में पानी घुस गया है. आखिर इस बार समय से इतने पहले मॉनसून मुंबई क्यों पहुंचा चलिए जानते हैंः

मुंबई में क्यों जल्दी आया मॉनसून?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, समय से काफी पहले आए मॉनसून के अब तक के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. डेटा से पता चलता है कि यह मुंबई में अब तक का सबसे जल्दी मॉनसून है. इससे पहले 1971, 1962 और 1956 में 29 मई को मॉनसून आया था. सामान्य तौर पर माना जाता है कि मुंबई में मॉनसून 11 जून के आसपास आता है.

केरल पहुंचने के 10 दिन बाद यह मुंबई पहुंचता है. सामान्य तौर पर केरल में मॉनसून 1 जून के आसपास आता है. इसके बाद साउथ-वेस्टर्न मॉनसून आमतौर पर 6 जून तक महाराष्ट्र और फिर 11 जून तक मुंबई तट पर पहुंच जाता है.

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हिंद महासागर में पैदा होता मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन. (फोटो- पीटीआई)

इस साल, भारत मौसम विभाग (IMD) ने 24 मई को ही केरल में मॉनसून आने का एलान किया. 2009 के बाद यह सबसे जल्दी था. लेकिन इस बार साउथ-वेस्टर्न मॉनसून 24 घंटे के अंदर ही केरल से महाराष्ट्र पहुंच गया.

क्या है मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO)

IMD मुंबई की डायरेक्टर शुभांगी भूटे के मुताबिक, “बहुत अनुकूल” परिस्थितियों की वजह से मॉनसून का जल्दी आया है. वरिष्ठ मौसम विज्ञानियों ने जल्दी मॉनसून आने के पीछे एक्टिव मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) को एक अहम कारण बताया है. MJO हिंद महासागर में पैदा होता है. यह भारतीय मॉनसून को प्रभावित करने वाले सबसे अहम कारणों में से एक है.

ये एक मौसम से जुड़ी डिस्टर्बेंस है. यह खासकर हिंद महासागर में पैदा होता है. यह 4-8 मीटर प्रति सेकंड की स्पीड से पूर्व की ओर यात्रा करता है. 30 से 60 दिनों के अंदर MJO की हवाएं दुनिया भर में यात्रा कर सकती हैं. उनके कारण मौसम में बदलाव आता है. इसी बदलाव की वजह मॉनसून में भी बदलाव हुआ है.

22 मई को जारी अपने डिटेल्ड पूर्वानुमान में IMD ने कहा था कि MJO तब 1 से ज़्यादा आयाम के साथ चौथे चरण में था. यह भारी बारिश और तूफान का संकेत है. IMD के एक अधिकारी ने कहा,

मॉनसून जल्दी आने में MJO एक अहम कारण है. क्रॉस इक्वेटोरियल फ्लो (जो नॉर्थ और साउथ पोल्स के बीच गर्मी और नमी ले जाता है) भी इस समय बहुत मज़बूत है. यह बहुत ज़्यादा नमी लाता है.

मुंबई की सड़कों पर भरा पानी. (फोटो- पीटीआई)

इसके अलावा, अरब सागर में एक लो प्रेशर दबाव वाला क्षेत्र बना था. यह यहां उठने वाली तूफानी हवा की वजह से बना था. इस कम दबाव वाले क्षेत्र ने दक्षिण-पश्चिम मॉनसून को तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद की. भारतीय मौसम विभाग (IMD) के वैज्ञानिकों ने बताया कि इसी वजह से मुंबई में पिछले कुछ हफ्तों से भारी बारिश हो रही थी. इसे प्री-मॉनसून बारिश भी कहते हैं.

मई के महीने ऐतिहासिक क्यों?

इस महीने मुंबई में पिछले 107 सालों में सबसे ज़्यादा बारिश हुई है. इस महीने पहले ही 197 मिमी बारिश हो चुकी है. यह 2021 के बाद से सांताक्रूज़ का सबसे ज़्यादा बारिश वाला मई महीना भी है. भारी बारिश के कारण इस साल शहर में गर्म हवाएं नहीं चलीं, जो मई के दौरान आम होती हैं. इससे पहले 8 मई को मुंबई 70 से ज़्यादा वर्षों में सबसे ठंडी सुबह रही. न्यूनतम तापमान 22.2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया. यह 1951 के बाद से शहर में दर्ज किया गया सबसे ठंडा दिन है.

इस बार मुंबई में कैसा रहेगा मॉनसून?

इस मॉनसून में मुंबई में सामान्य से ज़्यादा बारिश हो सकती है. IMD ने अपने लॉन्ग टर्म अनुमान में कहा था कि इस साल देश में सामान्य से ज़्यादा मॉनसून रहने की उम्मीद है. मौसम विभाग ने बताया है कि मॉनसून के दौरान अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) और हिंद महासागर द्विध्रुव (ODT) की स्थिति मौसम में भरपूर बारिश में योगदान देगी.

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