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HC में केस लड़ रही महिला ने सीधा जज को वॉट्सऐप मेसेज कर फेवर मांगा, फटकार लगी तो मानी गलती

महिला पति से अलग रह रही है और अपनी छह साल की बेटी की कस्टडी के लिए कोर्ट में केस लड़ रही है. उसने जिला अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इस फैसले के तहत पति को बच्ची की कस्टडी दी गई थी. अदालत ने महिला को कभी-कभार ही बच्ची से मिलने की अनुमति दी थी.

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महिला अपनी छह साल की बेटी की कस्टडी को लेकर कोर्ट में एक कानूनी प्रक्रिया में है. (फोटो- X)

बॉम्बे हाई कोर्ट के जज को एक महिला फरियादी ने सीधा वॉट्सऐप पर मेसेज कर फेवर मांगने की कोशिश की. इसे लेकर हाई कोर्ट ने महिला को सुनवाई के दौरान ही चेतावनी जारी की. हालांकि महिला के माफी मांगने के बाद कोर्ट ने उसे भेजा कारण बताओ नोटिस रद्द कर दिया और आगे से ना करने की चेतावनी दी.

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इंडिया टुडे में जुड़ीं विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक महिला पति से अलग रह रही है और अपनी छह साल की बेटी की कस्टडी के लिए कोर्ट में केस लड़ रही है. उसने जिला अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इस फैसले के तहत पति को बच्ची की कस्टडी दी गई थी. यही नहीं, जिला अदालत ने अपने फैसले में महिला को कभी-कभार ही बच्ची से मिलने और वीडियो कॉल करने की अनुमति दी थी.

इसके बाद महिला हाई कोर्ट पहुंची. लेकिन यहां भी उसे झटका लगा. मामले की सुनवाई करते हुए बेंच ने 29 नवंबर को महिला को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद 30 नवंबर को जस्टिस एमएम सथाये को एक अनजान नंबर से वॉट्सऐप मेसेज मिला. जज ने नंबर और चैट ब्लॉक कर दिए. इसके कुछ दिनों बाद, 2 दिसंबर को जज को दूसरे नंबर से कई मेसेज और वीडियो भेजे गए. 

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इसके बाद बेंच को संदेह हुआ कि ये मेसेज महिला के भेजे हो सकते हैं, इसलिए सुनवाई के दौरान महिला से इस बारे में पूछा गया. उसने बेंच के सामने मेसेज भेजने की बात स्वीकार कर ली. रिपोर्ट के मुताबिक बेंच ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा,

"अपीलकर्ता मां द्वारा न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने और जज को प्रभावित करने का प्रयास किया गया है. ये आचरण कोर्ट की अवमानना के समान है. इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता."

हालांकि, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को स्वीकारा कि महिला भावनात्मक तनाव से गुज़र रही है. लेकिन ये भी कहा कि उसकी ये हरकतें अनुचित थीं. वहीं महिला ने बताया कि वो हताश और असहाय महसूस कर रही थी, जिसके कारण उसने सीधे जज से संपर्क किया था. बेंच ने महिला के स्पष्टीकरण को स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्हें ये व्यवहार दोबारा न दोहराने की सलाह दी.

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वीडियो: बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला 'रुम बुक करने का मतलबये नहीं कि...'

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