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सुखबीर बादल पर जानलेवा हमला, स्वर्ण मंदिर गेट पर हुई फायरिंग, बाल-बाल बचे

पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम और Akali Dal (बादल) प्रमुख Sukhbir Badal पर जानलेवा हमला हुआ है. बादल पर स्वर्ण मंदिर गेट के पास फायरिंग की गई. हमले में अकाली प्रमुख बाल-बाल बच गए

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बादल पर गोली चलाने वाले को मौके पर पकड़ लिया गया

अकाली दल (बादल) प्रमुख सुखबीर बादल पर अमृतसर में जानलेवा हमला हुआ है. स्वर्ण मंदिर के गेट पर बादल के ऊपर गोली चलाई गई है. हमला करने वाला एक अधेड़ उम्र का शख्स है. जिसे मौके पर ही पकड़ लिया गया. जिस वक्त ये हमला हुआ, बादल अपनी धार्मिक सजा पूरी करने के लिए हरमंदिर साहब के गेट पर मौजूद थे.

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सुखबीर बादल पर हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. वीडियो में नजर आ रहा है कि स्वर्ण मंदिर के प्रवेशद्वार पर सेवा कर रहे बादल पर कैसे अटैक हुआ. अधेड़ हमलावर ने जेब से पिस्तौल निकाल कर बादल की तरफ फायरिंग की. मगर आसपास के लोगों ने उसे दबोचा लिया. जिसकी वजह से फायर हवा में चला गया और बादल की जान बच गई.

Sukhbir Badal पर हमला करने वाला कौन है?

पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल पर गोली चलाने वाले शख्स की पहचान नारायण सिंह चौरा के रूप में की गई. ये शख्स बब्बर खालसा ग्रुप से जुड़े दल खालसा का सदस्य बताया जा रहा है. कट्टपंथी संगठन दल खालसा सदस्य चौरा को कई देश विरोधी गतिविधियों में शामिल बताया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार चौरा 1984 में पाकिस्तान चला गया था और आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में सहायक था. पाकिस्तान में रहते हुए, उन्होंने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और "देशद्रोही" साहित्य पर एक किताब लिखी. वह बुड़ैल जेलब्रेक मामले में भी आरोपी था. आरोपी नारायण सिंह चौरा पहले ही पंजाब जेल में सजा काट चुका है.

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बादल स्वर्ण मंदिर में ‘सेवा’ क्यों दे रहे?

पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता सुखबीर सिंह बादल ने ‘तनखैया’ की सजा से बचने के लिए अपनी सेवा दे रहे हैं. सिख समाज की सबसे बड़ी संस्था श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से दी गई सजा को ‘तनखैया’ कहते हैं. ये एक तरह की 'धार्मिक सजा' होती है जो किसी सिख को ही दी जाती है. 3 दिसंबर को ही सुखबीर बादल का तनखैया के रूप में सेवा देते हुए वीडियो सामने आया था. 

पूरा मामला क्या है?

सुखबीर बादल के साथ-साथ 17 लोगों को ये सजा सुनाई गई है. इनमें 2015 की अकाली सरकार की कैबिनेट का हिस्सा रहे नेता भी शामिल हैं. इन सभी की सजा आज यानी 3 दिसंबर से शुरू हो गई है. श्री अकाल तख्त ने इस मामले को लेकर 2007 से 2017 तक सरकार की पूरी अकाली कैबिनेट को तलब किया था. साथ ही पार्टी की कोर कमेटी और 2015 शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की आंतरिक कमेटी को भी तलब किया था. इस मामले पर 4 घंटे तक सजा की सुनवाई की गई.

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