ओपन हार्ट सर्जरी के बारे में ज़रूर सुना होगा. फिर सोचा भी होगा कि क्या वाकई इस सर्जरी में दिल खोल कर रख दिया जाता है? ये दिल की सबसे रिस्की सर्जरी मानी जाती है. इस सर्जरी में दिल की धड़कनें रोक दी जाती हैं. डरने की ज़रूरत नहीं है. दिल को ज़िंदा रखने का भी पूरा इंतज़ाम होता है. ऐसे में आज डॉक्टर से जानिए कि ओपन हार्ट सर्जरी क्या होती है. इसकी ज़रूरत कब पड़ती है. ओपन हार्ट सर्जरी कैसे की जाती है और दिल की बाकी सर्जरी, जैसे स्टेंट और बाईपास से, इलाज के मामले में ओपन हार्ट सर्जरी कितनी अलग है.
ओपन हार्ट सर्जरी क्या है, क्यों और कैसे होती है? आज सब जानें
ओपन हार्ट सर्जरी में दिल की धड़कनों को रोक कर हार्ट के अंदर ऑपरेशन किया जाता है.
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ओपन हार्ट सर्जरी क्या होती है?
ये हमें बताया डॉक्टर शिव चौधरी ने.

हमारा हार्ट खून से भरा हुआ एक मसल पंप है. अगर हमें इसके अंदर काम करना है तो पहले पूरे खून को हटाना पड़ेगा. इसके बाद ही हार्ट को रोककर उसके अंदर काम किया जा सकता है. जिन ऑपरेशन में हार्ट को रोकने की ज़रूरत पड़ती है, उनमें हार्ट के काम को हार्ट-लंग मशीन पूरा करती है. इस मशीन को लगाने के बाद ही हार्ट को रोककर उसके अंदर काम किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को ओपन हार्ट सर्जरी कहते हैं.
ओपन हार्ट सर्जरी की ज़रूरत कब पड़ती है?
ओपन हार्ट सर्जरी की ज़रूरत तीन स्थितियों में पड़ती है. पहली, दिल की उन बीमारियों में जो पैदाइशी हैं. दूसरी, जब हार्ट के वॉल्व बदलने या रिपेयर करने की ज़रूरत हो. इसके अलावा बाईपास सर्जरी में ज़रूरत पड़ सकती है. कभी-कभी हार्ट-लंग मशीन की ज़रूरत भी पड़ती है. कुछ मामलों में बिना हार्ट-लंग मशीन के ही ऑपरेशन कर दिया जाता है.

ओपन हार्ट सर्जरी कैसे की जाती है?
- ओपन हार्ट सर्जरी के लिए सबसे पहले हार्ट तक पहुंचा जाता है.
- इसके लिए छाती के बीच वाली हड्डी ‘स्टर्नम’ को काटा जाता है.
- फिर हार्ट के बाहर मौजूद झिल्ली ‘पेरिकाडियम’ को भी काटा जाता है.
- इसके बाद डॉक्टर हार्ट तक पहुंच पाते हैं.
- फिर हार्ट में आ रहे डीऑक्सीजनेटेड ब्लड (शरीर से आने वाला खून) को डायवर्ट किया जाता है.
- इससे पहले मरीज़ को हेपरिन नाम की एक दवाई दी जाती है.
- ये दवाई खून में थक्का जमने से रोकती है.
- अब नसों से जो ब्लड डायवर्ट किया गया है, उसे ऑक्सीजनेटर मशीन में लाया जाता है.
- फिर यहां इस ब्लड को ऑक्सीजनेट (खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाना) किया जाता है.
- अब इस ऑक्सीजनेटेड बल्ड को पंप के ज़रिए मरीज़ की एओर्टा में भेजा जाता है.
- एओर्टा वो आर्टरी है जो ब्लड को हार्ट से पूरे शरीर में लेकर जाती है.
- इसके बाद एक खास दवाई डालकर हार्टबीट को रोक दिया जाता है.
- फिर हार्ट के अंदर ऑपरेशन किया जाता है.
- इसके बाद दोबारा हार्ट को चालू किया जाता है.
-फिर, धीरे-धीरे मरीज़ को हार्ट-लंग मशीन से अलग किया जाता है.

स्टेंट और बाईपास से ओपन हार्ट सर्जरी कितनी अलग है?
दिल की पैदाइशी बीमारियों और वॉल्व के मामलों में ओपन हार्ट सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है. वहीं कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ होने पर इलाज स्टेंट और बाईपास, दोनों से किया जा सकता है. हालांकि इलाज स्टेंट से होगा या बाईपास से, ये कुछ फैक्टर्स पर निर्भर करता है. जैसे कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ की लोकेशन क्या है, मरीज़ की कंडीशन कैसी है और उसको कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है. इनके आधार पर ही तय होता है कि मरीज़ को स्टेंट की ज़रूरत है या बाईपास की.
ओपन हार्ट सर्जरी के अपने रिस्क हैं. सर्जरी के बाद मरीज़ को बेहतर होने में लगभग 6 महीने का समय लगता है. इसलिए, सर्जरी के बाद अपना पूरा ख्याल रखना चाहिए. डॉक्टर जो भी एहतियात बताएं, उन्हें बरतें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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