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'ये भारत है, लेकिन कर्नाटक भी...', साइनबोर्ड को लेकर महिला और बुजुर्ग में विवाद, वीडियो वायरल

Bengaluru Language Controversy: बेंगलुरु में भाषा विवाद को लेकर एक नया वीडियो वायरल है. वीडियो एक बुजुर्ग और महिला के बीच हुई बहस का है. महिला का आरोप है कि बुजुर्ग ने उसे प्रताड़ित किया, जबकि वीडियो में बुजुर्ग एक साइनबोर्ड पर कन्नड़ा के इस्तेमाल को लेकर अपनी बात रखते हुए नज़र आए.

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बुज़ुर्ग और महिला के बीच विवाद हो गया. (फ़ोटो- सोशल मीडिया)

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में बुज़ुर्ग व्यक्ति और एक महिला के बीच साइनबोर्ड को लेकर विवाद हो गया. विवाद की वजह थी भाषा. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में महिला ने बुज़ुर्ग पर उत्पीड़न का आरोप लगाया. जबकि वीडियो में बुजुर्ग उस महिला को भाषा से संबंधित नियम समझाते नज़र आ रहे हैं. 

घटना शहर के बेगुर इलाक़े में हुई. हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक़, ये विवाद बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के एक नियम से शुरू हुआ. नियम के अनुसार, सभी बिज़नेस साइनबोर्ड्स पर लिखी 60 फीसदी चीज़ें कन्नड़ भाषा में होनी चाहिए. बुजुर्ग व्यक्ति की महिला से इसी बात पर बहस हुई. उनका आरोप था कि महिला के दुकान में नेमबोर्ड में इस ज़रूरी नियम का ख़्याल नहीं रखा गया. बल्कि इंग्लिश का इस्तेमाल ज़्यादा हुआ है. 

वीडियो में क्या दिखा?

वीडियो में महिला बुज़ुर्ग पर उत्पीड़न का आरोप लगाती नज़र आ रही है. वीडियो में महिला ये बोलती नज़र आ रही हैं, 

ये आदमी मुझे प्रताड़ित कर रहा है और मुझसे मेरा नेम बोर्ड बदलने के लिए कह रहा है. क्या हम भारत में नहीं रह रहे हैं? मुझसे सवाल करने वाले आप कौन होते हैं?

जवाब में बुज़ुर्ग ने कहा,

हां, ये भारत है. लेकिन ये कर्नाटक भी है, कन्नड़ा भूमि. और यहां नियम स्पष्ट है. साइनबोर्ड पर 60 प्रतिशत कन्नड़ा भाषा होनी चाहिए. मैं एक कन्नड़िगा हूं और मैं सिर्फ़ वही मांग रहा हूं, जो क़ानून में अनिवार्य है.

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हालांकि, बुज़ुर्ग बहस को टालते हुए कुछ ही देर बाद परिसर से चले जाते हैं. ऐसे में ये विवाद वहां तो ख़त्म हो गया. लेकिन इस बहस ने ऑनलाइन तूल पकड़ ली. सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया दी. कुछ ने बुज़ुर्ग का समर्थन किया. वहीं, कुछ ने महिला का. अन्नामलाई नाम के एक यूज़र ने लिखा,

समझ में नहीं आता, दक्षिण भारतीय भाषा सीखने में क्या दिक्कत है? दक्षिण भारतीय भाषा सीखने में ये रवैया क्यों दिखाया जा रहा है?

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अन्नामलाई का रिएक्शन.

वहीं, प्रदीप अहूजा नाम के एक यूज़र ने लिखा,

कर्नाटक सरकार के पास कन्नड़ा भाषा के साइन बोर्ड के लिए कानून और नियम बनाने के लिए तो पूरा समय है. लेकिन राज्य के बुनियादी ढांचे और कर्नाटक के ग़रीब लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं है.

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कर्नाटक सरकार से पूछे सवाल.

हालांकि, कई लोगों ने कहा कि भाषा को लेकर चल रही इस बहस से कुछ नहीं होना, विकास पर ध्यान दिया जाए.

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