फेफड़ों का कैंसर. मुंह का कैंसर. ओवरी का कैंसर. ब्रेस्ट कैंसर और ब्लड कैंसर. ये कैंसर के वो प्रकार हैं, जिनका ज़िक्र हम अक्सर सुनते हैं. दरअसल, इनके मामले बहुत ज़्यादा आते हैं. ज़ाहिर है, इसलिए इनका ज़िक्र भी खूब होता है.
अंडकोष के कैंसर से हो रही पुरुषों की मौत, 15 से 40 साल की उम्र के लोग कारण और लक्षण जरूर जानें
डीएनए में म्यूटेशन, प्रदूषण या खाने-पीने में मिलावट के कारण टेस्टिकुलर कैंसर हो सकता है. साल 2022 में एक हज़ार से ज़्यादा पुरुषों की मौत टेस्टिकुलर कैंसर की वजह से हुई थी.
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हालांकि एक खास तरह का कैंसर है, जो सिर्फ पुरुषों को ही होता है. इस कैंसर का नाम है टेस्टिकुलर कैंसर (Testicular Cancer). टेस्टिकुलर कैंसर, पुरुषों के टेस्टिस यानी अंडकोष में होता है. आमतौर पर एक ही अंडकोष में. लेकिन, कभी-कभी ये दोनों अंडकोषों में भी हो सकता है.
WHO की एजेंसी International Agency For Research On Cancer ने साल 2022 में कैंसर पर कुछ आंकड़े जारी किए थे. इनके मुताबिक, 2022 में करीब साढ़े चार हज़ार भारतीयों को टेस्टिकुलर कैंसर हुआ था. वहीं हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत भी हुई थी. आप डॉक्टर से जानिए कि टेस्टिकुलर कैंसर क्या है. ये क्यों होता है. और, इससे बचाव और इलाज कैसे किया जाए.
क्या होता है टेस्टिकुलर कैंसर?
ये हमें बताया डॉ. मो. तैफ बेंडिगेरी ने.

टेस्टिकुलर कैंसर को वृषण का कैंसर या अंडकोष का कैंसर भी कहा जाता है. 15 से 40 साल के पुरुषों में टेस्टिकुलर कैंसर होने की आशंका रहती है.
टेस्टिकुलर कैंसर के क्या कारण हैं?
अगर DNA में किसी वजह से म्यूटेशन (बदलाव) होता है, तो इससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है. DNA में म्यूटेशन, प्रदूषण या खाने-पीने में मिलावट के कारण हो सकता है. स्मोकिंग की आदत भी टेस्टिकुलर कैंसर की वजह बन सकती है. प्रदूषण और मिलावट से पूरी तरह बच नहीं सकते, लेकिन स्मोकिंग से बचा जा सकता है.

टेस्टिकुलर कैंसर के लक्षण
- टेस्टिस (अंडकोष) में भारीपन लगना.
- छूने पर वहां गांठ महसूस होना. कई बार इस गांठ में कोई दर्द नहीं होता.
टेस्टिकुलर कैंसर से बचाव
हर पुरुष को 15 दिन या महीने में एक बार अपने टेस्टिस को महसूस करना चाहिए. चेक करें कि टेस्टिस में कठोरता या गांठ तो नहीं है. अगर गांठ है तो कैंसर का चांस हो सकता है. हालांकि घबराने की ज़रूरत नहीं है. आप तुरंत अपने यूरोलॉजिस्ट से मिलें. वो एक स्कैन और ब्लड टेस्ट करेंगे. इन रिपोर्ट्स से पता चलेगा कि कैंसर है या नहीं. करीब 90% मामलों में कैंसर नहीं होता, बल्कि दूसरी वजहों से ऐसा महसूस होता है. अगर किसी पुरुष को टेस्टिकुलर कैंसर हो भी जाए, तो डरने की ज़रूरत नहीं है. अक्सर टेस्टिकुलर कैंसर जानलेवा नहीं होता.
टेस्टिकुलर कैंसर का बहुत अच्छा इलाज हो सकता है. करीब 95% से ज़्यादा मरीज़ ठीक हो जाते हैं. इसके इलाज में कैंसर की गांठ को निकाला जाता है. ज़रूरत पड़ने पर कीमोथेरेपी की जाती है. रेडियोथेरेपी का उपयोग भी किया जा सकता है.
सबसे ज़रूरी है कि शुरुआती स्टेज में ही इसका पता चल जाए. जितना जल्दी इलाज शुरू करेंगे, उतना बेहतर परिणाम मिलेगा. इसलिए, जागरूक रहें और कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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