दिल की हालत सिर्फ दिल नहीं बताता. पूरा शरीर बताता है. तब तो ज़रूर बताता है, जब दिल में कुछ ख़राबी आने लगती है. कुछ ऐसे लक्षण दिखते हैं, जिनसे पता चल जाता है कि आपका दिल अब हेल्दी नहीं रहा. क्या हैं ये लक्षण? यही जानेंगे आज की इस स्टोरी में.
कैसे पता चलेगा, दिल कमज़ोर हो गया है? लक्षण और ज़रूरी टेस्ट जान लीजिए!
दिल से जुड़ा सबसे आम टेस्ट इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानी ECG है. ये दिल के काम करने के तरीके को दिखाता है.

डॉक्टर से समझेंगे कि दिल के अनहेल्दी होने के वो शुरुआती लक्षण क्या हैं, जिनपर नज़र रखना बहुत ज़रूरी है. किन वजहों से दिल की सेहत बिगड़ना शुरू होती है. दिल की सेहत जांचने के लिए कौन-से टेस्ट कराने चाहिए. और, दिल को हेल्दी रखने के लिए डॉक्टर क्या टिप्स देते हैं.
दिल सेहतमंद नहीं रहा, कैसे पता चलता है?
ये हमें बताया डॉक्टर स्वरूप स्वराज पाल ने.

- चलते-चलते सीने में दर्द होना
- सांस फूलना
- हाथ-पैर या पूरे शरीर में सूजन होना
- बहुत ज़्यादा कमज़ोरी महसूस होना
- ये सभी लक्षण दिल की बीमारी का संकेत हो सकते हैं
- अगर किसी बच्चे में जन्मजात दिल की बीमारी है, तो उनमें भी कुछ लक्षण दिख सकते हैं
- जैसे लगातार दूध न पी पाना
- बहुत ज़्यादा पसीना आना
- वजन घटना या ठीक से बढ़ न पाना️

किन वजहों से दिल की सेहत बिगड़ना शुरू होती है?
आजकल कई लोग सिगरेट और शराब पीते हैं. कुछ लोग ड्रग्स का भी सेवन करते हैं. साथ ही, लोग एक्सरसाइज़ नहीं करते. बहुत ज़्यादा तनाव में रहते हैं. इन सबसे दिल की बीमारियां बढ़ सकती हैं.
कुछ मेडिकल कंडीशंस भी दिल की सेहत पर असर डालती हैं. जैसे मोटापा, डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल. कुछ जेनेटिक बीमारियों में दिल पहले से ही कमज़ोर होता है, जैसे डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी.
वहीं, कुछ इंफेक्शंस की वजह से हार्ट वाल्व खराब हो सकते हैं. हार्ट वॉल्व यानी दिल के चारों कक्षों में लगे एकतरफ़ा दरवाज़े, जो खून को सही दिशा में बहने देते हैं. अगर हार्ट वाल्व खराब हो जाएं, तो उन्हें ठीक करना या बदलना पड़ता है.
दिल की सेहत जांचने के लिए कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए?
सबसे आम टेस्ट इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या ECG है. ये दिल के काम करने के तरीके को दिखाता है.
दूसरा टेस्ट 2D Echo है. इससे पता चलता है कि दिल कैसे काम कर रहा है, वॉल्व में कोई लीकेज है या नहीं, और दिल कमज़ोर हुआ है या नहीं.
तीसरा टेस्ट TMT या ट्रेडमिल टेस्ट है. इसमें व्यक्ति को ट्रेडमिल पर दौड़ाया जाता है और फिर ECG किया जाता है. इसके बाद देखा जाता है कि उसमें कोई बदलाव है या नहीं.
इसके अलावा, कोरोनरी एंजियोग्राफी या CT कोरोनरी एंजियोग्राफी भी की जाती है. अगर दिल की नसों में कोई ब्लॉकेज होता है, तो इस टेस्ट से पता चल जाता है.
अगर दिल की बीमारी जन्मजात है, तो इसका पता 2D Echo से चलता है. कैथेटराइज़ेशन स्टडी भी की जा सकती है. इसमें कैथेटर नाम की पतली ट्यूब को खून की नलियों के ज़रिए दिल तक पहुंचाया जाता है.
खून में बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा का पता करने के लिए ब्लड कोलेस्ट्रॉल टेस्ट किया जाता है. अगर हार्ट अटैक आया है, तो ट्रॉप-आई टेस्ट किया जाता है. इससे पता चलता है कि हार्ट अटैक कितना बड़ा और गंभीर था.

दिल को हेल्दी रखने के लिए डॉक्टर क्या टिप्स देते हैं?
- पौष्टिक भोजन करें
- बाहर के खराब तेल में तली हुई चीज़ें न खाएं
- मटन कम खाएं
- सिगरेट, शराब और ड्रग्स से दूर रहें
- खाने में चीनी कम लें, ताकि डायबिटीज़ न हो
- खुश रहें, ज़्यादा तनाव न लें
- रोज़ 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें
- इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहेगा और दिल की सेहत सुधरेगी
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें. दिल से जुड़े लक्षणों को इग्नोर करना, आपके लिए गंभीर दिक्कतें खड़ी कर सकता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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