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'ये प्यार कैसे होता है?' शाहरुख खान के सवाल का जवाब मिल गया!

प्यार कराने के पीछे 'ऑक्सीटोसिन' हॉर्मोन का बड़ा रोल है. इसे बोलचाल की भाषा में लव हॉर्मोन भी कहते हैं. ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन न सिर्फ़ प्यार और अटैचमेंट महसूस करवाता है. बल्कि शरीर में इसके बनने से आप पॉज़िटिव महसूस करते हैं.

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प्यार होने के पीछे दिल नहीं, ये हॉर्मोन है

प्यार. ये शब्द सुनते ही किसी की आंखों के सामने एक चेहरा आ जाता है. किसी को एक याद. किसी को एक रिश्ता. हर किसी के लिए प्यार की परिभाषा बहुत अलग है. हम अपनी ज़िंदगी में कई लोगों से प्यार करते हैं. अपने मां-बाप, औलाद, पार्टनर और दोस्त से. लेकिन, ये जो प्यार का एहसास है, जैसे किसी के साथ अच्छा महसूस करना. किसी के पास होने से महफूज़ महसूस करना. किसी की तरफ़ आकर्षित होना. इसके पीछे हाथ है एक हॉर्मोन का, जो आपके दिमाग में बनता है. इसका नाम है ऑक्सीटोसिन (Oxytocin). बोलचाल की भाषा में इसे लव हॉर्मोन (Love Hormone) कहते हैं.

ये न सिर्फ़ आपको प्यार और अटैचमेंट महसूस करवाता है बल्कि शरीर में इसके बनने से आप पॉज़िटिव महसूस करते हैं. अच्छा महसूस करते हैं. वहीं, अगर शरीर में ऑक्सीटोसिन ठीक मात्रा में नहीं बने तो आप स्ट्रेस में रहते हैं. घबराहट महसूस करते हैं.

ऐसे में डॉक्टर से समझिए कि लव हॉर्मोन ऑक्सीटोसिन क्या है. ये कैसे काम करता है. अगर शरीर में लव हॉर्मोन कम बने तो क्या होता है. और, इस हॉर्मोन का लेवल ठीक करने के लिए क्या करें.

लव हॉर्मोन क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर आस्तिक जोशी ने. 

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डॉ. आस्तिक जोशी, साइकेट्रिस्ट, नई दिल्ली

लव हॉर्मोन या ऑक्सीटोसिन एक तरह का हॉर्मोन है. ये हमारे दिमाग के हाइपोथैलेमस ग्लैंड (ग्रंथि) में बनता है. वहां से ये हाइपोथैलेमस के नीचे मौजूद पोस्टीरियर पिट्यूटरी ग्लैंड (ग्रंथि) में जाता है. यहां ये स्टोर होता है और समय-समय पर खून में रिलीज़ होता है. खून के ज़रिए ये शरीर के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचता है. लव हॉर्मोन की वजह से ही हमें पॉज़िटिव और खुशनुमा महसूस होता है.

ये हॉर्मोन कैसे काम करता है?

लव हॉर्मोन का मुख्य काम सुरक्षा की भावना को बढ़ाना है. ये दूसरे व्यक्ति के साथ बॉन्डिंग में मदद करता है. लव हॉर्मोन कई तरह से रिलीज़ हो सकता है. जैसे स्किन से स्किन छूने पर. आपस में जान-पहचान होने से. मां और बच्चे के बीच ये हॉर्मोन तब रिलीज़ होता है, जब वो एक-दूसरे को छूते हैं या करीब होते हैं. उन्हें सुरक्षा और सुकून महसूस होता है. ये पॉज़िटिव लूप की तरह काम करता है, जिससे जब मां और बच्चा अगली बार एक-दूसरे को छुएं, उन्हें सुरक्षित लगे. इसी वजह से रिश्ता बनता है और लगातार मज़बूत और गहरा होता रहता है.

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लव हॉर्मोन दूसरे व्यक्ति के साथ बॉन्डिंग में मदद करता है (फोटो:Freepik)

अगर शरीर में लव हॉर्मोन कम बने तो क्या होता है?

लव हॉर्मोन की कमी से शरीर और मन दोनों पर असर पड़ता है. इससे शरीर में HPA एक्सिस डिसफंक्शन हो सकता है. यानी तनाव से निपटने वाले हॉर्मोन्स का संतुलन बिगड़ना. लव हॉर्मोन की कमी से इस सिस्टम का बैलेंस बिगड़ जाता है. इससे शरीर में कई तरह की बीमारियां और हॉर्मोनल दिक्कतें हो सकती हैं. ऑक्सीटोसिन की कमी से व्यक्ति को डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी हो सकती है.

अगर किसी को पहले से डिप्रेशन या एंग्ज़ायटी है, तो उसके लक्षण और बढ़ सकते हैं. ऑक्सीटोसिन की कमी से पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ता है. पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी वो डिप्रेशन जो किसी महिला को बच्चा पैदा करने के बाद होता है. लव हॉर्मोन की कमी इस मानसिक स्थिति को और प्रभावित कर सकती है. इससे खासतौर पर नई मांओं को डिप्रेशन महसूस हो सकता है.

लव हॉर्मोन का लेवल ठीक करने के लिए क्या करें?

- फिज़िकल एक्सरसाइज़ करें

- बैलेंस्ड डाइट लें

- अपनी लाइफस्टाइल सुधारें

- अगर कोई हॉर्मोनल समस्या हो तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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