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मालेगांव ब्लास्ट के इन दो आरोपियों को अब भी तलाश रही NIA

दिसंबर 2016 में इस मामले में एक नया मोड़ सामने आया था. रिपोर्ट के अनुसार एक निलंबित पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि संदीप डांगे और राम कलसांगरा की मौत हो चुकी है. लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें अभी भी जीवित दिखाया है.

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मई 2016 में ये खबर आई कि डांगे को कई बार नेपाल में देखा गया था. (फोटो- PTI)

17 साल पहले हुए मालेगांव ब्लास्ट से जुड़े केस में NIA की स्पेशल कोर्ट ने 31 जुलाई को अपना फैसला सुना दिया (Malegaon blast case). प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी 7 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा और केवल संदेह के आधार पर दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता. हालांकि, इस मामले में NIA अभी भी दो आरोपियों की तलाश कर रही है. जानते हैं वो कौन-कौन है?

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मालेगांव ब्लास्ट केस में दो आरोपी, रामचंद्र कलसांगरा और संदीप डांगे अब भी फरार हैं. इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि डांगे और कलसांगरा का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है. दोनों को गिरफ्तारी होने के बाद मुकदमे का सामना करना पड़ेगा.

एक नेपाल में दिखा, एक का पता नहीं

डांगे और कलसांगरा को अभी भी वॉन्टेड अभियुक्त के रूप में दिखाया गया है. मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के मुताबिक इन दोनों ने ही मालेगांव शहर के भीकू चौक पर शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट नाम की दुकान के बाहर बम से बंधी बाइक रखी थी. पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बताया था कि साध्वी बनने के लिए सांसारिक जीवन त्यागने के बाद, उन्होंने अपना दोपहिया वाहन कलसांगरा को दे दिया था. हालांकि, इतने सालों में कलसांगरा और डांगे का कुछ भी पता नहीं चल पाया.

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लेकिन दिसंबर 2016 में इस मामले में एक नया मोड़ सामने आया था. रिपोर्ट के अनुसार एक निलंबित पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि संदीप डांगे और राम कलसांगरा की मौत हो चुकी है. लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें अभी भी जीवित दिखाया है. ये दावा अगस्त 2016 में सोलापुर की एक अदालत में महबूब मुजावर नाम के एक व्यक्ति ने किया था. वो आर्म्स एक्ट के तहत आपराधिक धमकी के एक अलग मामले में आरोपी था. इसके बाद, कलसांगरा के परिवार ने हत्या के आरोपों की गहन जांच की मांग की थी.

लेकिन इससे पहले मई 2016 में खबर आई थी कि डांगे को कई बार नेपाल में देखा गया था. लेकिन कोई भी एजेंसी अब तक उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी.

क्या हुआ था?

29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में भीकू चौक के पास एक जोरदार धमाका हुआ था. इसके महज कुछ मिनट बाद ही गुजरात के मोडासा में भी धमाका हुआ. मालेगांव धमाके में 7 लोगों की मौत हुई थी जबकि मोडासा में एक 15 साल के लड़के की जान चली गई थी. इन हमलों में कुल 80 लोग घायल हुए थे. मामले की जांच के दौरान दावा किया गया कि इसके पीछे ‘हिंदू कट्टरपंथियों का हाथ’ है. 24 अक्टूबर 2008 को पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर शामिल थीं. अब अदालत ने उन्हें और कर्नल पुरोहित समेत 7 लोगों को बरी कर दिया है.

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वीडियो: मालेगांव ब्लास्ट में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों ने फैसले पर क्या नाराजगी जाहिर की?

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