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वुहान में मिला कोरोना जैसा नया वायरस! क्या दुनिया पर फिर मंडरा रहा है महामारी का ख़तरा?

वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के रिसर्चर्स ने इस नए वायरस के बारे में पता लगाया है. वायरस का नाम HKU5-CoV-2 है. ये चमगादड़ों में मिला है और इंसानों के शरीर में भी प्रवेश कर सकता है.

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अभी तक इस वायरस का कोई भी केस इंसानों में नहीं मिला है (क्रेडिट: Getty Images)

वुहान, जो कि चाइना में है, वहां रिसर्चर्स ने कोरोना जैसे एक नए वायरस की पहचान की है. ये वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकता है. ये वायरस चमगादड़ों में मिला है. इसका नाम है, HKU5-CoV-2. इसे बैट कोरोना वायरस भी कहा जा रहा है. वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के रिसर्चर्स ने इसके बारे में पता लगाया है. 

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इस वायरस से जुड़ी स्टडी मेडिकल जर्नल Cell में छपी है.

क्या है ये वायरस, इसके बारे में क्या पता चला है और क्या हम भारतीयों को इससे डरने की ज़रूरी है? ये सब हमें बताया डॉक्टर नेहा रस्तोगी पांडा ने.

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डॉ. नेहा रस्तोगी पांडा, सीनियर कंसल्टेंट, संक्रामक रोग विभाग, फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

डॉक्टर नेहा बताती हैं कि चीनी रिसर्चर्स ने HKU5-CoV-2 वायरस के बारे में पता लगाया है. ये वायरस चमगादड़ों के ज़रिए इंसानों में फैल सकता है. ये इंसानों के सेल्स में दाखिल हो सकता है. सेल, हमारे शरीर का बेसिक यूनिट है. शरीर का हर हिस्सा सेल से मिलकर बना है.

HKU5-CoV-2 वायरस लगभग उसी तरह सेल में प्रवेश करता है, जैसे कोरोना वायरस करता था. ये वही कोरोना वायरस है. जिसकी वजह से कोविड-19 फैला था.

सबसे पहले HKU5-CoV-2 वायरस जापानी पिपिस्ट्रेल चमगादड़ों में पाया गया था. बाद में चीन के कई प्रांतों में भी इसके सैंपल मिले. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस रिसर्च के लिए रिसर्चर्स ने सैकड़ों पिपिस्ट्रेल चमगादड़ों से इस वायरस का सैंपल लिया. फिर लैब में उसे टेस्ट किया. देखा कि ये वायरस, इंसानों के सेल्स में कैसे फैलता है.

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पता चला कि ये वायरस ACE2 यानी एंजियो-टेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम 2 नाम के प्रोटीन से जुड़ने की क्षमता रखता है. ये प्रोटीन, सेल्स की सतह पर पाया जाता है. इसी प्रोटीन से कोरोनावायरस भी जुड़ता था और फिर सेल्स में दाखिल हो जाता था.

इस वायरस के स्पाइक प्रोटीन में ‘फ्यूरिन क्लीवेज साइट’ पाई जाती है. स्पाइक प्रोटीन एक तरह का प्रोटीन है. जो वायरस की सतह पर पाया जाता है. इसका आकार कांटें जैसा होता है. इसमें मौजूद फ्यूरिन क्लीवेज साइट, वायरस को ज़्यादा प्रभावी ढंग से सक्रिय करने में मदद करती है. जिससे ये ACE2 रिसेप्टर्स के साथ आसानी से जुड़ जाता है. फिर इंसानों के सेल्स में पहुंच जाता है.

हालांकि इस वायरस का महमारी बनने का चांस कम है. क्यों? क्योंकि, ये ACE2 प्रोटीन से उतनी मज़बूती से नहीं जुड़ता, जितना कोरोनावायरस जुड़ता था. अभी तक कोई भी व्यक्ति, इस नए वायरस से संक्रमित नहीं हुआ है.

क्योंकि अभी तक इस वायरस का कोई केस इंसानों में नहीं मिला है. इसलिए, इसके लक्षण भी पता नहीं चल सके हैं. मगर एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके लक्षण कोविड-19 जैसे हो सकते हैं. यानी सांस से जुड़े हुए. जैसे सांस लेने में तकलीफ होना. गला ख़राब होना. बुखार आना. खांसी, थकान और बदन दर्द वगैरह.

जिन लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लगवाई है, क्या वो इस वायरस से बचे रहेंगे? और क्या हम भारतीयों को इससे डरना की ज़रुरत है? डॉक्टर नेहा कहती हैं कि अभी इस वायरस से डरने की ज़रूरत नहीं है. इसकी दो वजहें हैं. पहला, अभी तक ये चमगादड़ों से इंसानों में नहीं फैला है. दूसरा, अभी तक की रिसर्च के मुताबिक, ये कोरोनावायरस जितना घातक नहीं है. जैसे-जैसे और रिसर्च होगी, इसके बारे में और जानकारी सामने आएगी.

वैसे, रिसर्चर्स में ये भी पाया गया है कि अगर HKU5-CoV-2 वायरस इंसानों में फैलता है. तो इसका इलाज एंटीवायरल दवाइयों और मोनो-क्लोनल एंटीबॉडीज़ से किया जा सकता है. मोनो-क्लोनल एंटीबॉडीज़, खास तरह के प्रोटीन होते हैं. जिन्हें लैब में तैयार किया जाता है. तो घबराएं नहीं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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