5 मिनट चल लें, तो थक जाते हैं? ज़्यादा देर खड़े नहीं हो पाते? सामान उठाने में मुश्किल होती है? हाथ-पैरों में दर्द रहता है?
मांसपेशियां कमज़ोर क्यों हो जाती हैं? ये लक्षण दिखते ही अलर्ट हो जाएं
डॉक्टर से समझेंगे कि किन लक्षणों से पता चलता है मसल्स वीक हो रही हैं. ऐसे में कौन से टेस्ट करवाने चाहिए. मांसपेशियों को कमज़ोर होने से कैसे रोक सकते हैं. अगर मांसपेशियां कमज़ोर हो चुकी हैं, तो इलाज क्या है.


अगर ये सब हो रहा है, तो हो सकता है कि आपकी मसल्स यानी मांसपेशियां कमज़ोर हो गई हैं या होना शुरू हो गई हैं. समय से पहले मसल्स अपनी ताकत क्यों खोने लगती हैं, कमज़ोर क्यों हो जाती हैं, ये जानेंगे आज. डॉक्टर से समझेंगे कि किन लक्षणों से पता चलता है मसल्स वीक हो रही हैं. ऐसे में कौन से टेस्ट करवाने चाहिए. मांसपेशियों को कमज़ोर होने से कैसे रोक सकते हैं. अगर मांसपेशियां कमज़ोर हो चुकी हैं, तो इलाज क्या है.
किन वजहों से मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं?
ये हमें बताया डॉक्टर अभिनव मिश्रा ने.

मांसपेशियों में कमज़ोरी कई कारणों से हो सकती है. जैसे पोषण की कमी. उम्र के साथ मांसपेशियों का कमज़ोर हो जाना. इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस बिगड़ना. कुछ ऐसे काम करना जिनकी आदत शरीर को नहीं है. जैसे भारी सामान उठाकर लंबे वक़्त तक चलना.
इसके अलावा, शरीर में पानी की कमी होना. लिगामेंट या टेंडन (ये मांसपेशियों को हड्डी से जोड़ते हैं) में चोट लग जाना. नर्व्स में चोट लग जाना. नसों पर दबाव पड़ना. ब्रेन स्ट्रोक के कारण भी ऐसा होता है. कुछ इन्फेक्शंस की वजह से भी मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं, जैसे फ्लू.
डायबिटीज़, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस, COPD जैसी बीमारियों में भी ऐसा होता है. कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा स्टैटिन, कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां और स्टेरॉयड से मांसपेशियां कमज़ोर हो सकती हैं. जेनेटिक कारणों से भी ऐसा हो सकता है
किन टेस्ट से पता चलता है मांसपेशियां कमज़ोर हैं?
मांसपेशियों की कमज़ोरी का कारण पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करवाते हैं. जैसे इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस, रुमेटाइड अर्थराइटिस और बाकी बीमारियों के टेस्ट. MRI की ज़रूरत भी पड़ सकती है.
नर्व कंडक्शन स्टडी से नर्व्स की स्थिति पता चलती है. EMG टेस्ट से मांसपेशियों में आ रही दिक्कत का पता लगाया जा सकता है.
इसके अलावा, डॉक्टरी जांच में MRC ग्रेडिंग भी की जा सकती है. इसमें 0-5 की ग्रेडिंग होती है. 0 यानी मांसपेशियों में बिल्कुल भी पावर नहीं है. 5 यानी मांसपेशियां एकदम मज़बूत हैं. इस ग्रेडिंग से पता चल जाता है कि मांसपेशियां कमज़ोर हैं या नहीं.

मांसपेशियों में कमज़ोरी के लक्षण
मांसपेशियों में कमज़ोरी के लक्षण कारणों पर निर्भर करते हैं. अगर शरीर में पानी या पोषण की कमी है तो मसल्स में ऐंठन और दर्द हो सकता है. अगर साइटिका है तो पैरों या शरीर के दूसरे हिस्सों में अचानक दर्द उठ सकता है. अगर स्ट्रोक है तो शरीर के एक हिस्से में लकवा मार सकता है. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में पेशेंट्स के लिए उठना मुश्किल हो जाता है. कमज़ोर मांसपेशियों की वजह से चाल बदल जाती है. डायबिटीज़ जैसी बीमारियों में मांसपेशियां आमतौर पर कमज़ोर हो जाती हैं. बुजुर्गों में उम्र के चलते मसल मास कम हो जाता है. जिसकी वजह से हाथ-पैर पतले दिखते हैं.
मांसपेशियों को कमज़ोर होने से कैसे रोक सकते हैं?
मांसपेशियों को कमज़ोर होने से बचा सकते हैं. इसके लिए रोज़ एक्सरसाइज़ करना ज़रूरी है. हेल्दी खाना खाएं. लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं. सही समय पर इलाज मिल जाए तो कमज़ोर मांसपेशियों से बचा जा सकता है.
अगर मांसपेशियां कमज़ोर ही चुकी हैं तो इलाज क्या है?
मांसपेशियों में कमज़ोरी का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है. अगर ऐसा किसी बीमारी के चलते हो रहा है, तो दवाइयों से डॉक्टर उसका इलाज कर सकते हैं. साथ ही एक्सरसाइज़ और फिजियोथेरेपी की भी ज़रूरत पड़ सकती है. लाइफस्टाइल में सुधार करें. योग करें, टहलें. अगर जिम जा सकते हैं तो जिम जाएं. ऐसा करके आप अपनी मांसपेशियों को मज़बूत बना सकते हैं. किसी गंभीर बीमारी का पता चलने पर उसका इलाज करवाना बेहद ज़रूरी हो जाता है ताकि बीमारी को आगे बढ़ने से रोका जा सके और उसका इलाज हो सके.
मांसपेशियां कमज़ोर हो जाने पर हाथ-पैर जल्दी थकने लगते हैं. थोड़ी देर खड़े रहने, चलने या काम करने पर शरीर में दर्द होने लगता है. सामान उठाने में भी दिक्कत होती है. अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें ताकि समस्या की जड़ तक पहुंचा जा सके.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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