गर्मियां आते ही मलेरिया के मामले बढ़ने लगते हैं. इन दिनों भी मलेरिया से जुड़े केसेज़ सामने आ रहे हैं. मलेरिया फीमेल एनाफिलीज़ मच्छर के काटने से होता है. अगर फीमेल एनाफिलीज़ मच्छर प्लाज़्मोडियम नाम के पैरासाइट यानी परजीवी से संक्रमित हो जाए. उसके बाद ये मच्छर किसी इंसान को काट ले, तो ये पैरसाइट उस व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है. जिससे इंसान को मलेरिया हो जाता है.
बढ़ने लगे मलेरिया के मामले, अगर ये गलती की तो आप भी आ जाएंगे चपेट में!
मलेरिया फीमेल एनाफिलीज़ मच्छर के काटने से होता है. गर्मियों में कूलर की टंकी पूरी तरह खाली नहीं होती. इसमें हमेशा पानी जमा रहता है. इससे मच्छर बढ़ने और फिर मलेरिया फैलने का ख़तरा बढ़ जाता है.

ये बीमारी एक इंसान से दूसरे में नहीं फैलती. लेकिन, जितने लोगों को फीमेल एनाफिलीज़ मच्छर काटती है. उन्हें मलेरिया होने का रिस्क होता है. अगर किसी व्यक्ति को मलेरिया हो गया है. और, उसका खून किसी को चढ़ा दिया जाए. या फिर इस्तेमाल हुई सुई किसी और को लगा दी जाए. ऐसे केस में मलेरिया एक से दूसरे में फैल सकता है. हालांकि ऐसा बहुत कम होता है.
World Malaria Report 2024 के मुताबिक, साल 2023 में दुनियाभर में मलेरिया के 26 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए थे. वहीं करीब 5.97 लाख लोगों की मौत भी हुई थी. अगर भारत की बात करें, तो 2023 में मलेरिया के लगभग 20 लाख केसेज़ रिपोर्ट किए गए थे और साढ़े 3 हज़ार लोगों की मौत भी हुई थी.
देखिए, भारत में मलेरिया के मामले और उससे जुड़ी मौतों की संख्या लगातार घट रही है. जैसे साल 2017 में देश में मलेरिया के 64 लाख मामले सामने आए थे. 11,100 लोगों की मौत हुई थी. 2023 के मुकाबले, ये कहीं ज़्यादा है. मगर ये आंकड़ा अभी शून्य नहीं हुआ है. हर साल गर्मियों में मलेरिया के मामले बढ़ने शुरू हो जाते हैं. इस साल आप और आपके आसपास कोई मलेरिया की चपेट में न आए, इसके लिए कुछ खास चीज़ों का ध्यान रखना ज़रूरी है.
इसके बारे में हमें और जानकारी दी मणिपाल हॉस्पिटल में इंटर्नल मेडिसिन के हेड एंड कंसल्टेंट डॉक्टर प्रसाद बिवरे ने.

डॉक्टर प्रसाद कहते हैं कि मलेरिया का मच्छर ठहरे हुए साफ पानी में पाया जाता है. जैसे कूलर, गमले या टंकी में. ये मच्छर इन जगहों पर अंडे देते है और फिर इनकी संख्या बढ़ती जाती है.
देखिए, मलेरिया और डेंगू दोनों ही मच्छरों से फैलते हैं. लेकिन, मलेरिया फैलाने वाला मच्छर आमतौर पर साफ, लेकिन ठहरे हुए पानी में अंडे देता है. हालांकि, कुछ प्रजातियां गंदे या मटमैले पानी में भी पनप सकती हैं. यानी मलेरिया का मच्छर साफ़ और गंदे, दोनों में ही पानी में सर्वाइव कर सकता है.
अब गर्मियों में लोग कूलर का खूब इस्तेमाल करते हैं. कूलर की टंकी में पानी भरते हैं. ये टंकी कभी पूरी तरह खाली नहीं होती. इसमें हमेशा पानी जमा रहता है. इससे मच्छर बढ़ने और फिर मलेरिया फैलने का ख़तरा बढ़ जाता है. इसलिए, हर 3-4 दिन में कूलर की टंकी खाली करें और उसमें दोबारा पानी भरें. ताकि मलेरिया का मच्छर न पनप सके.
अगर आपके आसपास मच्छर बहुत ज़्यादा हैं तो पूरी बांह के कपड़े पहनें. गर्मियों में ऐसा करना मुश्किल है, इसलिए आप सूती कपड़े पहन सकते हैं. शरीर ढंका रहेगा, तो मच्छरों के लिए आपको काटना आसान नहीं होगा और आप मलेरिया से बचे रहेंगे. अगर पूरी बांह के कपड़े नहीं पहन रहे हैं, तो मॉस्क्यूटो रिपेलेंट का इस्तेमाल ज़रूर करें.
अगर रात में आप हवा के लिए खिड़कियां खोलकर सोते हैं या छत पर लेटते हैं, तो मच्छरदानी ज़रूर लगाएं. मॉस्क्यूटो रिपेलेंट का भी इस्तेमाल करें.

वैसे तो मलेरिया का मच्छर किसी भी समय काट सकता है. लेकिन, ये सुबह और शाम को सबसे ज़्यादा एक्टिव होता है. यही समय लोगों के टहलने का होता है. घूमने का होता है. अगर आप इस टाइम बाहर जा रहे हैं. तो पूरी बांह के कपड़े पहनें और मॉस्क्यूटो रिपेलेंट लगाएं. साथ ही, जहां भी आपको कई सारे मच्छर इकट्ठे दिखाई दें, उस जगह से दूर हो जाएं.
अगर सावधानियां बरतने के बावजूद आपको बुखार आ रहा है. ठंड लग रही है, तो हो सकता है कि आपको मलेरिया हो गया हो. फीमेल एनाफिलीज़ मच्छर के काटने के 10 से 12 दिन बाद मलेरिया के लक्षण दिखने शुरू होते हैं. इसका सबसे आम लक्षण है, कंपकंपी के साथ बुखार चढ़ना. साथ में बदनदर्द, सिरदर्द, कमज़ोरी, जी मिचलाना, उल्टी और लूज़ मोशन लगना. मलेरिया के गंभीर मामलों में दौरे भी पड़ने लगते हैं. मरीज़ बेहोश तक हो सकता है.
अगर किसी को ये लक्षण महसूस हों, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें. डॉक्टर आपका ब्लड टेस्ट करेंगे. इसमें वो देखेंगे कि आपके खून में प्लाज़्मोडियम पैरासाइट है या नहीं. अगर होगा, तो फिर मलेरिया का इलाज किया जाएगा.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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