लल्लनटॉप के व्यूअर हैं कबीर. उनकी बेटी है 4 साल की. मूंगफली खाते ही उसकी तबियत ख़राब होने लगती है. अगर किसी खाने की चीज़ में मूंगफली मिली हुई है, और वो गलती से उसे खा ले तो उसकी हालत ख़राब हो जाती है. शरीर पर खुजली होने लगती है. दाने निकलने लगते हैं. कई बार तो चक्कर भी आने लगते हैं. जब दिक्कत बढ़ने लगी तो कबीर अपनी बेटी को डॉक्टर के पास लेकर गए. उसके कुछ टेस्ट हुए. पता चला, उसे फ़ूड एलर्जी है. कुछ ख़ास तरह के नट्स से. इसमें मूंगफली भी शामिल है. शरीर इन चीज़ों को अपना दुश्मन समझ बैठता है.
कुछ चीज़ें खाने से एलर्जी क्यों होती है? ये कब जानलेवा हो सकती है और इससे कैसे बचें?
फ़ूड एलर्जी से बचने के लिए एलर्जन्स को अवॉइड करें. एलर्जन्स यानी एलर्जी पैदा करने वाली चीज़ें.
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बहुत सारे लोगों को किसी न किसी चीज़ से एलर्जी होती है. जैसे धूल, मिट्टी, पेंट की स्मेल. लेकिन कुछ ख़ास तरह के खानों से भी लोगों को एलर्जी होती है. जैसे दूध से. अंडों से. गेहूं से. लिस्ट बहुत बड़ी है. बहुत बार इंसान को इसका पता नहीं चलता. तबियत बिगड़ती है, पर वो इस समस्या की जड़ तक नहीं पहुंच पाता.
आखिर फ़ूड एलर्जी होती क्यों है. ये हम डॉक्टर साहब से समझेंगे. जानेंगे कि फ़ूड एलर्जी के क्या लक्षण हैं. ये क्यों होती है. कौन लोग फ़ूड एलर्जी के ज़्यादा रिस्क पर हैं. फ़ूड एलर्जी, फ़ूड सेंसिटिविटी और फ़ूड इनटोलरेंस से अलग कैसे है. और, इसका इलाज क्या है?
फ़ूड एलर्जी के क्या लक्षण होते हैं?
ये हमें बताया डॉक्टर विक्रम जीत सिंह ने.

शरीर में सबसे पहले खुजली शुरू होती है. त्वचा पर पित्ती (चकत्ते) पड़ने लगते हैं. शरीर में सूजन आ जाती है. एलर्जी बढ़ने पर सांस फूलने लगती है. चक्कर आने लगते हैं और बेहोशी भी हो सकती है. कुछ खास प्रकार के खाने से लोकल एलर्जी होती है (यानी किसी खास हिस्से में ही एलर्जी का असर होना). जिसके कारण लूज़ मोशन (दस्त) होते हैं. उल्टियां आने लगती हैं. फ़ूड एलर्जी होने पर कोई भी लक्षण महसूस हो सकता है. हालांकि सबसे आम लक्षण उल्टियां आना, लूज़ मोशन होना, पित्ती निकलना और खुजली होना है. जब एलर्जी गंभीर हो जाती है, तो सांस लेने में दिक्कत होने लगती है.
फ़ूड एलर्जी क्यों होती है?
जब आप कोई खास तरह का खाना खाते हैं तो उसके अंदर कुछ प्रोटीन होते हैं. कुछ प्रोटीन को शरीर एंटीजेनिक (शरीर के लिए हानिकारक) मान लेता है. फिर शरीर इसे खतरा समझकर उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाने लगता है. जब उस खाने के एंटीजन और शरीर की एंटीबॉडी आपस में रिएक्ट करते हैं, तो फ़ूड एलर्जी होती है. इस प्रक्रिया में शरीर में IgE एंटीबॉडी बहुत ज्यादा बनती हैं, जिससे एलर्जी के लक्षण दिखने लगते हैं.

कौन लोग फ़ूड एलर्जी के ज़्यादा रिस्क पर होते हैं?
फ़ूड एलर्जी के रिस्क पर सबसे ज़्यादा बच्चे होते हैं. खासकर ऐसे बच्चे जो 1 साल से कम उम्र के हैं. फैमिली हिस्ट्री वाले यानी जिनके परिवार में फ़ूड एलर्जी रही हो, वो भी इसके रिस्क पर हैं. फ़ूड एलर्जी अक्सर परिवार में चलने वाली होती है, जैसे सीफ़ूड या नट्स की एलर्जी. वो लोग जो एलर्जी की दूसरी बीमारियों से पीड़ित होते हैं. जैसे अस्थमा, एक्जिमा या सीलिएक डिज़ीज़. ऐसे लोगों में फ़ूड एलर्जी का खतरा ज़्यादा होता है.
फ़ूड एलर्जी, फ़ूड सेंसिटिविटी और फ़ूड इनटॉलरेंस से कैसे अलग है?
फ़ूड एलर्जी एक इम्यून सिस्टम मीडिएटेड रिएक्शन है, यानी इम्यून सिस्टम द्वारा नियंत्रित प्रतिक्रिया. इसमें शरीर किसी खास खाने के प्रोटीन को ख़तरा मानता है और एंटीबॉडी बनाता है. इसकी वजह से शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं.
फ़ूड सेंसेटिविटी भी एक इम्यून सिस्टम मीडिएटेड रिएक्शन है. मगर इसके लक्षण एलर्जी से कम गंभीर होते हैं.
वहीं फ़ूड इनटॉलरेंस बिल्कुल भी इम्यून सिस्टम मीडिएटेड नहीं है. इसमें शरीर कुछ चीज़ों को हज़म नहीं कर पाता. जैसे सीलिएक डिज़ीज़ और लैक्टोज़ इनटॉलरेंट होने पर.
लैक्टोज़ इनटॉलरेंस में दूध हज़म नहीं होता. इसीलिए, अक्सर छोटे बच्चों को लैक्टोज़-फ्री मिल्क दिया जाता है. सीलिएक डिज़ीज़ से पीड़ित लोग गेहूं के प्रति इनटॉलरेंट होते हैं. उन्हें उम्रभर गेहूं और ग्लूटेन छोड़कर, दूसरे अनाज खाने पड़ते हैं. देखिए, फ़ूड एलर्जी सुनने में हल्की समस्या लग सकती है. लेकिन अगर इसे नियंत्रित नहीं किया जाए, तो ये जानलेवा भी हो सकती है.

फ़ूड एलर्जी से कैसे डील करें?
सबसे पहले, एलर्जन्स को अवॉइड करना होगा. एलर्जन्स यानी एलर्जी पैदा करने वाली चीज़ें. सबसे आम एलर्जन्स नट्स, सीफ़ूड, दूध और गेहूं हैं. इनमें भी सबसे ज़्यादा आम नट्स और सीफ़ूड हैं. इसीलिए, ये जानना ज़रूरी है कि आपको किस चीज़ से एलर्जी है. जब भी खाना ऑर्डर करें या पैकेज्ड फू़ड लें, तो उसका लेबल ज़रूर पढ़ें. अगर खाने में नट्स हैं, तो "Contains Nuts" लिखा होगा. अगर सीफ़ूड है, तो "Contains Seafood" लिखा होगा. भारत में इस बारे में जानकारी कम है, लेकिन पश्चिमी देशों में लोग एपिनेफ्रीन इंजेक्टर्स रखते हैं. ये खासकर नट्स और सीफ़ूड से एलर्जिक लोगों के लिए जरूरी होते हैं, क्योंकि ये एलर्जी बहुत गंभीर होती है.
अगर आपको किसी खाने से एलर्जी है तो अपने डॉक्टर से मिलें. वो एलर्जी से जुड़े कुछ टेस्ट करेंगे और बताएंगे कि आपको किस चीज़ से एलर्जी है. फिर आपको उस चीज़ का अपने खाने में ध्यान रखना होगा.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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