आजकल एक नई मुसीबत गले पड़ गई है, और असल में गले ही पड़ी है. जब सुबह सोकर उठो तो गले में खिंच-खिंच होती है. सूखा-सा लगता है. खांसी आती है. आप इसे ये सोचकर इग्नोर कर देते हैं कि शायद ठंड लग गई होगी. मौसम ही ऐसा है. लेकिन, इसके पीछे कुछ और वजहें भी हो सकती हैं. ख़ासतौर पर अगर ऐसा आपके साथ अक्सर होता है.
सुबह उठते ही गले में खिंच-खिंच होती है? गला सूखा हुआ लगता है? सिर्फ मौसम नहीं, ये वजहें भी ज़िम्मेदार
जब सर्दी-ज़ुकाम होता है, तो नाक जाम हो जाती है. ऐसे में लोग मुंह से सांस लेते हैं. इससे भी रातभर में गला सूख जाता है.


मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर डायरेक्टर, डॉक्टर शरद जोशी कहते हैं कि कई लोग नाक नहीं, सीधे मुंह से सांस लेते हैं. वो रात में सोते भी मुंह खोलकर हैं. ऐसा करने पर हवा सीधे गले में जाती है और उसकी नमी खींच लेती है. इससे सुबह-सुबह गला ड्राई यानी सूखा महसूस होता है.

जब सर्दी-ज़ुकाम होता है, तो नाक जाम हो जाती है. ऐसे में लोग मुंह से सांस लेते हैं. इससे भी रातभर में गला सूख जाता है.
सर्दियों में ठंड की वजह से लोग पानी कम पीते हैं. इससे शरीर में नमी की कमी हो जाती है और गला सूखता है. ख़ासकर सुबह-सुबह.
जो लोग सर्दियों में हीटर या गर्मियों में AC चलाकर सोते हैं. उनके कमरे की हवा में नमी की कमी हो जाती है. हवा ड्राई हो जाती है. ये दोनों ही हवा से नमी खींचते हैं. ऐसे माहौल में सोने से गले में मौजूद म्यूकस मेम्ब्रेन सूख जाती है. इसलिए गला इतना सूखा हुआ लगता है. म्यूकस मेम्ब्रेन एक तरह की झिल्ली है, जो शरीर के अंदरूनी अंगों की रक्षा करती है. उन्हें नम रखती है. साथ ही, इंफेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया और वायरस को शरीर में आने करने से रोकती है.
जिन्हें स्लीप एपनिया है या जो लोग खर्राटे लेते हैं. उन्हें भी मुंह और गला सूखने की दिक्कत ज़्यादा हो सकती है.
अगर आप ऐसी जगह पर रहते हैं, जहां प्रदूषण बहुत ज़्यादा है और आप खिड़की खोलकर सोते हैं. एयर प्योरिफायर का इस्तेमाल नहीं करते. तब प्रदूषण के महीन कण हवा के ज़रिए सांस की नली में पहुंच सकते हैं. इससे गले में ड्राईनेस बढ़ जाती है.

जो लोग शराब या सिगरेट पीते हैं. उनके गले में मौजूद म्यूकस मेम्ब्रेन को नुकसान पहुंचता है. वो ड्राई हो जाता है. उसमें नमी नहीं रह जाती. नतीजा? गले में सूखापन. इसलिए, शराब-सिगरेट से एकदम दूर रहें.
अगर आप सोते हुए मुंह से सांस लेते हैं, तो आप माउथ टेपिंग ट्राई कर सकते हैं. इसमें मुंह पर टेप लगाकर सोया जाता है, ताकि नींद में मुंह न खुले और इंसान नाक से सांस ले.
अगर नाक बंद है तो आप भाप ले सकते हैं या नेज़ल स्प्रे का इस्तेमाल कर सकते हैं.
साथ ही, रोज़ दो लीटर पानी पीजिए. हीटर का कम इस्तेमाल करिए. कुछ देर चलाने के बाद रूम हीटर बंद कर दीजिए. इसे घंटों न चलाइए. ऐसे रूम हीटर इस्तेमाल करिए, जिनमें ह्युमिडिफायर भी लगा हो. ताकि हवा में नमी बरकरार रहे. अगर आपके हीटर में ह्युमिडिफायर नहीं लगा है, तो आप हीटर के सामने एक बड़ी बाल्टी में पानी भरकर रख दीजिए. इससे हवा ड्राई नहीं होगी और उसमें नमी बनी रहेगी.
वहीं अगर स्लीप एपनिया जैसी कोई दिक्कत है, तो डॉक्टर से ज़रूर मिलिए.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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