‘हमारी ये डिटॉक्स ड्रिंक पीजिए. लिवर एकदम साफ हो जाएगा.’ ‘अरे, ये सप्लीमेंट खाइए. आपका लिवर चकाचक काम करेगा.’
क्या वाकई लिवर को डिटॉक्स ड्रिंक्स की ज़रूरत है?
मार्केट में लिवर को डिटॉक्स करने वाले प्रोडक्ट्स की भरमार है. इन्हें बेचने वाली कंपनियों का दावा है कि उनका प्रोडक्ट लिवर की सफ़ाई करता है.
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मार्केट में लिवर को डिटॉक्स करने वाले प्रोडक्ट्स की भरमार है. इन्हें बेचने वाली कंपनियों का दावा है कि उनका प्रोडक्ट लिवर की 'सफ़ाई' करता है, जिससे लिवर हेल्दी रहता है और बढ़िया काम करता है.
लेकिन, जिस लिवर को हम साफ करने पर तुले हैं. क्या उसे वाकई बाहरी सफाई की ज़रूरत है? ये हमने पूछा पारस हेल्थ, गुरुग्राम में लिवर ट्रांसप्लांट एंड जीआई सर्जरी के डायरेक्टर डॉक्टर वैभव कुमार से.

डॉक्टर वैभव कहते हैं कि लिवर हमारे शरीर में बहुत सारे काम करता है. इसमें एक है खून साफ़ करना. खून में जो गंदगी मिली है, उससे छानकर अलग करना. लिवर में दो रास्तों से खून आता है. पहला रास्ता- हेपेटिक आर्टरी. ये आर्टरी यानी धमनी दिल से निकलती है और आक्सीज़न से भरा खून लिवर तक पहुंचाती है. इससे लिवर के सेल्स को एनर्जी और ऑक्सीज़न मिलता है.
दूसरा रास्ता-पोर्टल वेन. वेन यानी नस. ये नस खून को पाचन तंत्र से होते हुए लेकर आती है. इस खून में पोषक तत्व, टॉक्सिंस, और कई केमिकल्स होते हैं. लिवर इसी खून की सफाई करता है. ये खून में मौजूद टॉक्सिंस यानी शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली चीज़ों को तोड़ता है. उन्हें कम नुकसानदेह बनाता है ताकि किडनी और आंतें इसे आसानी से बाहर निकाल सकें.
लोगों को लगता है कि जब लिवर का काम खून की गंदगी साफ़ करना है. तो उसे भी सफाई की ज़रूरत पड़ती ही होगी. क्योंकि, लिवर में खून के ज़रिए पूरे शरीर की गंदगी आती है. मगर ऐसा नहीं है.
आपका लिवर आपसे सिर्फ़ एक बात कहना चाहता है. ‘मुझ पर एक एहसान करना, कि मुझ पर कोई एहसान न करना. बस अपना ख्याल रखना मैं अपनी सफ़ाई खुद कर लूंगा.’

जी, लिवर खुद ही अपनी सफाई कर लेता है. ये आत्मनिर्भर है. जब तक लिवर हेल्दी है, वो खुद की सफाई करने के काबिल है. आपको उसे ड्रिंक्स या सप्लीमेंट्स की मदद से डिटॉक्स करने की ज़रूरत नहीं है. ऐसा कोई साइंटिफिक प्रूफ मौजूद नहीं है, जो साबित करता हो कि ये डिटॉक्स प्रोडक्ट्स लिवर के लिए फायदेमंद हैं, या ये उसके काम करने की क्षमता बढ़ा देते हैं. उल्टा कभी-कभी ये शरीर को नुकसान पहुंचाने लगते हैं.
जूस और ड्रिंक्स जैसे प्रोडक्ट्स में ज़्यादा शुगर होती है. ये शरीर के लिए नुकसानदेह हैं. कुछ डिटॉक्स प्रोडक्ट शरीर को डिहाइड्रेट भी कर सकते हैं. यानी इन्हें लेने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है. इसलिए इनसे दूर ही रहें.
ज़रूरी ये है कि आप अपना लाइफस्टाइल सही रखें, ताकि लिवर हेल्दी रहे. इसके लिए हेल्दी खाना खाएं. खूब पानी पिएं. रोज़ थोड़ी देर एक्सरसाइज़ करें. बाहर की तली-भुनी चीज़ें कम कर दें. शराब-सिगरेट हरगिज़ न पिएं और हेपेटाइटिस से बचने के लिए वैक्सीन लगवाएं. हेपेटाइटिस यानी लिवर में इंफेक्शन होना. उसमें सूजन आ जाना. अगर आपने इतना कर लिया न तो आपका लिवर आपको थैंक्यू बोलेगा और लल्लनटॉप काम करेगा.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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