The Lallantop

पेट से जुड़ी तकलीफें बार-बार होती हैं तो इग्नोर न करें, बड़ी आंत में कैंसर हो सकता है

बड़ी आंत यानी कोलन कैंसर के लक्षण पेट की तकलीफों से मिलते-जुलते हैं. इसलिए ये जल्दी पहचान में नहीं आता. लोग अक्सर इसे हाज़मे की दिक्कत समझ लेते हैं और जांच नहीं करवाते.

Advertisement
post-main-image
बड़ी आंत में होेने वाले कैंसर को कोलन कैंसर कहते हैं (फोटो: Freepik)

कोलन यानी बड़ी आंत. पाचन तंत्र का बहुत अहम हिस्सा. कुछ लोगों में यहां कैंसर वाली गांठ बन जाती है. इसे कोलन कैंसर या बड़ी आंत का कैंसर कहते हैं. कोलन कैंसर के लक्षण पेट की तकलीफों से मिलते-जुलते हैं. इसलिए ये जल्दी पहचान में नहीं आता. लोग अक्सर इसे हाज़मे की दिक्कत समझ लेते हैं और जांच नहीं करवाते. नतीजा? कैंसर बढ़ता जाता है. इसलिए कोलन कैंसर का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है.

Advertisement

2020 में आई ग्लोबोकैन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलन कैंसर दुनिया में होने वाला चौथा सबसे आम तरह का कैंसर है. यही नहीं, खासतौर पर युवाओं में कोलन कैंसर बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है.

आज हम कोलन कैंसर पर बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि कोलन कैंसर क्या है. ये क्यों होता है. इसके लक्षण क्या हैं. कोलन कैंसर का पता लगाने के लिए कौन-सा टेस्ट किया जाता है. इससे बचाव और इलाज कैसे किया जाता है.

Advertisement

कोलन कैंसर क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर रुचि कपूर ने. 

dr ruchi kapoor
डॉ. रुचि कपूर, वाइस प्रेसिडेंट, रेडक्लिफ लैब्स, गुरुग्राम

कोलन कैंसर यानी बड़ी आंत का कैंसर. ये एक गंभीर लेकिन धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है. ये बीमारी अक्सर बिना किसी खास लक्षण के शुरू होती है. इसकी शुरुआत बड़ी आंत में बनने वाली छोटी गांठ से होती है, जिसे पॉलिप कहते हैं. दिक्कत तब होती है जब ये पॉलिप कैंसरस यानी कैंसर में बदल जाता है. चूंकि शुरुआती लक्षण हल्के या आम होते हैं, लोग इसे अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं. कई बार इसे स्ट्रेस, हाज़मे की दिक्कत या फिर दूसरी बीमारियों जैसे AIDS से जोड़कर देखा जाता है.

कोलन कैंसर होने के कारण

कोलन कैंसर के पीछे लाइफस्टाइल और जेनेटिक कारण दोनों हैं. जैसे खाने की आदतें सही न होना. खाने में फाइबर कम और फैट ज़्यादा होना. कोई शारीरिक मेहनत न करना. शराब और सिगरेट पीना. अगर परिवार में किसी को कोलन कैंसर हुआ है, तो जेनेटिक कारण भी हो सकते हैं. कुछ मेडिकल कंडिशंस जैसे इंफ्लेमेट्री बॉवेल डिज़ीज़, अल्सरेटिव कोलाइटिस से भी रिस्क बढ़ता है.

Advertisement
colon cancer
कोलन कैंसर के लक्षणों को अक्सर लोग पाचन से जुड़ी समस्या समझकर इग्नोर कर देते हैं (फोटो: Freepik)

कोलन कैंसर के लक्षण

कोलन कैंसर के लक्षणों को अक्सर लोग पाचन से जुड़ी समस्या समझकर इग्नोर कर देते हैं. लेकिन अगर यही लक्षण बार-बार दिख रहे हैं, तो चेक कराना ज़रूरी चाहिए. स्टूल का रंग गाढ़ा हो जाना या उसमें खून आना. बार-बार कब्ज़ या डायरिया होना. अचानक और तेज़ी से वज़न घटना. पेट में लगातार क्रैम्प्स महसूस होना, जो आराम के बाद भी न जाए. 

कोलन कैंसर की समय पर पहचान के लिए जल्दी जांच बहुत ज़रूरी है. इसके लिए सबसे भरोसेमंद टेस्ट कोलोनोस्कोपी है. इसमें एक कैमरे की मदद से आंतों को चेक किया जाता है. इसके अलावा स्टूल फॉर ऑकल्ट ब्लड टेस्ट भी है, ये शुरुआती स्क्रीनिंग में बहुत असरदार है. अगर इन टेस्ट्स में कोई गड़बड़ी मिलती है, तो कैंसर की पुष्टि के लिए बायोप्सी की जाती है.

कोलन कैंसर से बचाव और इलाज

कोलन कैंसर की शुरुआती स्टेज में पहचान मुश्किल होती है. लेकिन अगर वक्त रहते पता चल जाए, तो इलाज का असर और रिकवरी रेट दोनों बेहतर हो सकते हैं. दुनियाभर में ये तीसरा सबसे आम कैंसर हैं. लेकिन भारत में अब भी स्क्रीनिंग और जागरूकता बहुत कम है. अच्छी बात ये है कि कोलन कैंसर से बचाव मुमकिन है. इसके लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना, सही खानपान रखना, हाई फाइबर डाइट लेना, फिज़िकल एक्टिविटी ज़रूरी है. सिगरेट और शराब से दूर रहना भी ज़रूरी है. अगर कोई व्यक्ति 45 साल से ऊपर का है और परिवार में इस बीमारी का इतिहास रहा है, तो रेगुलर स्क्रीनिंग कराना बहुत ज़रूरी है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: जल्दी सोने, जल्दी उठने की टिप्स डॉक्टर से जानिए

Advertisement