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आजकल 30 की उम्र में ही घुटने, जोड़ों में दर्द क्यों होने लगा है?

हाथ-पैर के जोड़ और घुटनों में दर्द शुरू हो जाए, तो इसे बुढ़ापे की शुरुआत मान लिया जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. आजकल तो 30-35 की उम्र में भी घुटने और शरीर के दूसरे जोड़ों में दर्द रहने लगा है.

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आपके शरीर का भी कोई जोड़ दर्द दे रहा? (फोटो: Freepik)

जोड़ों में दर्द हो रहा है. घुटने दुख रहे हैं.

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ये सब पहले बुढ़ापे में होने वाली दिक्कतें थीं. हाथ-पैर के जोड़ और घुटनों में दर्द शुरू हो जाए, तो इसे बुढ़ापे की शुरुआत मान लिया जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. आजकल तो 30-35 की उम्र में भी घुटने और शरीर के दूसरे जोड़ों में दर्द रहने लगा है. इसकी वजह क्या है. यही जानेंगे आज. डॉक्टर से समझेंगे कि आजकल 30 की उम्र में भी घुटनों, जोड़ों में दर्द क्यों होने लगा है. इससे बचने के लिए रोज़ की कौन-सी गलतियां अवॉयड करनी चाहिए. अपनी आदतों और खान-पान में किस तरह के बदलाव करने चाहिए. और, जोड़ों में दर्द का इलाज क्या है.

आजकल 30 की उम्र में ही घुटने, जोड़ों में दर्द क्यों होने लगा है?

ये हमें बताया डॉक्टर सिनुकुमार भास्करन ने. 

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डॉ. सिनुकुमार भास्करन, हेड, एडल्ट जॉइंट रिप्लेसमेंट, मणिपाल हॉस्पिटल्स, पुणे

30 साल से कम उम्र के कई लोगों को घुटनों में दर्द या तकलीफ रहती है. उन्हें डर लगता है कि कहीं इतनी कम उम्र में उन्हें अर्थराइटिस (गठिया) तो नहीं हो गया. हालांकि इस उम्र में अर्थराइटिस होना बहुत आम नहीं है. 30 साल से कम उम्र में घुटने के दर्द का सबसे आम कारण पेटेलोफेमोरल पेन होता है. इसमें घुटने के सामने मौजूद छोटी हड्डी, यानी कटोरी (पेटेला) की पोज़ीशन ठीक न होने से सूजन या दर्द हो सकता है. 

कई बार ये दर्द मांसपेशियों की कमज़ोरी या मसल इम्बैलेंस की वजह से भी होता है. ऐसा लंबे समय तक नीचे बैठने, स्‍क्वैट करने या पालथी मारकर देर तक बैठने की वजह से होता है. ज़्यादा सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से भी घुटनों पर दबाव पड़ता है, जिससे दर्द बढ़ सकता है. कुछ लोगों में पैरों के अलाइनमेंट की वजह से भी घुटने या कटोरी के आसपास दर्द होने का रिस्क ज़्यादा रहता है. 

अच्छी बात ये है कि इस तरह के घुटने के दर्द का इलाज ज़्यादातर मामलों में मुश्किल नहीं होता. इसमें सर्जरी की भी ज़रूरत नहीं पड़ती. इलाज में फिजियोथेरेपी सबसे अहम होती है. इसमें कुछ खास मांसपेशियों को मज़बूत किया जाता है. साथ ही, मरीज को सही बैठने, उठने और चलने की पोश्चर ट्रेनिंग दी जाती है. उन्हें ये भी बताया जाता है कि कौन-सी पोज़ीशन और आदतों से बचना है. ज़रूरत पड़ने पर कुछ कार्टिलेज सपोर्ट करने वाले विटामिंस दिए जाते हैं. इससे दिक्कत बिल्कुल ठीक हो जाती है.

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ज़रूरत से ज़्यादा स्क्वॉट्स करने से भी घुटनों में दर्द हो सकता है (फोटो: Freepik)

रोज़ की कौन-सी गलतियां अवॉयड करनी चाहिए?

रोज़ ज़मीन पर बहुत देर तक पालथी या चौकड़ी मारकर बैठना एक आम गलती है. इस तरह बैठने से घुटने के आगे की हड्डी यानी नीकैप पर ज़्यादा दबाव पड़ता है. कई बार इस दबाव की वजह से नीकैप (कटोरी) अपनी जगह से थोड़ा साइड में खिसक जाती है. इससे घुटने में घिसाव बढ़ता है और दर्द या सूजन हो सकती है. 

कुछ लोग जिम में जरूरत से ज़्यादा स्क्वाट्स करने लगते हैं. इससे भी घुटनों में दर्द हो सकता है. बहुत ज़्यादा सीढ़ियां चढ़ना-उतरना या एक ही जगह बार-बार ज़ोर डालना भी नुकसानदेह हो सकता है. ये सभी एक्टिविटीज ज़रूरी हैं और की भी जानी चाहिए. लेकिन, इन्हें बहुत लंबे समय तक नहीं करना चाहिए.

अगर आप जिम में या कहीं ऐसी एक्सरसाइज़ कर रहे हैं जिनमें घुटने की कटोरी पर ज़ोर पड़ता है, तो पहले सही स्ट्रेचिंग वगैरह करने के बाद ही इसे करना चाहिए.

आदतें, खाने-पीने में किस तरह के बदलाव करने से इससे बचा जा सकता है?

आमतौर पर खाने-पीने की वजह से सीधे घुटने में दर्द होना बहुत रेयर है. घुटने का दर्द ज़्यादातर गलत पोज़ीशन या बहुत दबाव की वजह से ही होता है. विटामिन D, कैल्शियम या विटामिन B12 की कमी से घुटने में दर्द होने का चांस कम है. इसलिए, खाने और घुटनों में दर्द का कोई खास संबंध नहीं है. लेकिन कुछ खास स्थितियों में डाइट का असर पड़ सकता है. जैसे शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ जाना. यूरिक एसिड बढ़ने पर जोड़ों में सूजन हो सकती है. इसमें घुटना भी शामिल है. 

यूरिक एसिड हाई होने पर डाइट में बदलाव करना ज़रूरी है. ऐसे मामलों में डाइटिशियन की सलाह से कुछ चीज़ें कम करनी पड़ती हैं. जैसे शराब, बहुत ज़्यादा प्रोटीन और कुछ तरह के नॉन-वेज खाने.

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ज़्यादातर मामलों में फिज़ियोथेरेपी से जोड़ों और घुटनों का दर्द दूर हो जाता है (फोटो: Freepik)

इलाज

सबसे पहले पता किया जाता है कि जोड़ों, घुटनों में दर्द किस वजह से है. इसके बाद ही आगे का इलाज तय किया जाता है. आमतौर पर दर्द का कारण गलत पोस्चर, मसल इम्बैलेंस या मांसपेशियों की कमज़ोरी होता है. करीब 90% मामलों में इसका इलाज फिज़ियोथेरेपी, एक्सरसाइज़ और पोस्चर सुधारकर किया जाता है. दवाइयों की ज़रूरत बहुत कम पड़ती है. कुछ मामलों में कोलेजन से जुड़े सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं. ये सप्लीमेंट्स आमतौर पर 1–2 महीने तक लिए जाते हैं. इतना करने से जोड़ों और घुटनों का दर्द दूर हो जाता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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